शनिवार, 19 दिसंबर 2020

देश की नदियां भारतीय संस्कृति और पर्यटन का महत्वपूर्ण हिस्सा: प्रहलाद पटेल

जल संरक्षण की बढ़ती आवश्यकता पर होना चाहिए जोर: त्रिवेन्द्र सिंह रावत 5वें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन के तीसरे दिन हुआ मंथन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में जल संरक्षण और प्रबंधन को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे मंथन के तहत नदियों के संरक्षण और पर्यटन के महत्व के मद्देनजर तर्क दिया गया कि पर्यटन का नदियों के साथबहुत ही गहरा संबंध है। इसलिए नदियों के कायाकल्प में हरेक व्यक्ति द्वारा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकती है। यहां नई दिल्ली में चल रहे वर्चुअल 5वें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन के तीसरे दिन यानि शनिवार को ‘नदी संरक्षण समन्वित ऊर्जा और पर्यटन’ विषय पर चर्चा हुई। इस मंच से केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने नदियों की संस्कृति, पर्यटन क्षमता और ऊर्जा प्रबंधन पर जोर देते हुए कहा कि नदियों में न केवल भौतिक ऊर्जा होती है, बल्कि बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा के प्रबल स्रोत होते हैं। उन्होंने कहा कि आज के समय सभी मनुष्य शांति की तलाश में हैं, और उन्हें यह शान्ति इन दिव्य नदियों के किनारे ही प्राप्त हो सकती है। पटेल ने कानपुर में एशिया के सबसे बड़े सीवेज को बंद करने के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में कुंभ को लेकर लोगों की धारणाओं में बहुत सकारात्मक बदलाव आया है। दुनिया अब इसे सबसे बड़े और सबसे जीवंत समूह के रूप में मानते हुए प्रशंसा करती है। उन्होंने कहा कि नदियों का जीवित अस्तित्व हैं और हमें इन्हें नहरों में नहीं बदलने देना चाहिए। उत्तराखंड में पूरी हुई नमामि गंगे परियोजनाएं-- सम्मेलन में माँ गंगा और जल संरक्षण के विषय पर बोलते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हर घर तक पीने का पानी और शौचालय की सुविधा पहुंचाने की सरकार की पहल से आज पानी की जरूरत कई गुना बढ़ गई है। इसलिए, जल संरक्षण अब और अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि नमामि गंगे मिशन के तहत उत्तराखंड में गंगा नदी से जुड़ी सभी परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं और राज्य सरकार ने लगभग 3 मिलियन जल संरक्षण संरचनाओं का विकास किया है और 50,103 लाख लीटर की भंडारण क्षमता का निर्माण किया है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि गंगा कई नदियों की एक प्रणाली है और वह उन सभी की संस्कृति को एक साथ लेकर चल रही है। गंगा संस्कृति वास्तव में भारतीय संस्कृति है। इस सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र, एसपीएमजी उत्तराखंड के परियोजना निदेशक उदय राज सिंह, टेरी के महानिदेशक अजय माथुर, एनजीजीजी के कार्यकारी निदेशक रोज़ी अग्रवाल आदि ने भी राष्ट्रीय नदी गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने और नदी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर को बढ़ाने पर विस्तृत चर्चा सत्र में हिस्सा लिया। 13Dec-2020

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