बुधवार, 30 दिसंबर 2020

कोहरे में रेल परिचालन सुचारू रखने की योजना तैयार

उत्तर भारत में कोहरे की चुनौतियों से निपटने को तकनीक का होगा इस्तेमाल हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। उत्तर भारत में शीतकालीन मौसम के दौरान कोहरे की चुनौतियों के बीच यात्री और माल रेलगाड़ियों के परिचालन प्रणाली के प्रभावित होने से बचाव की दिशा में रेलवे ने व्यापक तैयारियों को अंतिम रूप दिया है। इसके लिए तकनीकी प्रणालियों को इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें सभी ट्रेनों को जीपीएस नेटवर्क से जोड़ा जा रहा है। उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक आशुतोष गंगल ने शुक्रवार को कहा कि गत वर्षों के दौरान कोहरे के मौसम में आई कठिनाईयों के अनुभवों व व्यवस्थाओं को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे द्वारा रेल परिचालन की योजना तैयार की गई है। इस बार सर्दियों में कोहरे के मद्देनज़र रेल परिचालन को बेहतर ढंग से व्यवस्थित करने की प्रस्तावित योजना के तहत एक घंटे से अधिक विलम्ब से प्रस्थान करने वाली रेलगाड़ियों की सूचना यात्रियों को एसएमएस के माध्यम से उनके रजिस्टर्ड मोबाइल पर दी जायेगी। वहीं सामान्य कार्य अवधि के उपरांत भी देर तक प्लेटफार्मों पर खान-पान स्टॉलों को खोलने का प्रावधान किया गया है। भीड़-भाड़ प्रबंधन और सुरक्षा मामलों से निपटने के लिए स्टेशनों पर रेल सुरक्षा बल के अतिरिक्त जवानों की तैनाती की जायेगी। ----रेल सरंक्षा पर फोकस: रेलवे के अनुसार रेल संरक्षा की दिशा में रेलवे ने सर्दियों के मौसम में रेल लाइनों पर गश्त बढ़ाकर सतत् निगरानी करने का निर्णय लिया है। मसलन रेल पथ पर गश्त लगाने वाले कर्मचारियों को जीपीएस आधारित हैंड-हैल्ड उपकरण प्रदान किए गए हैं, ताकि किसी भी आकस्मिक घटना की सूचना वे दोनों ओर के निकटवर्ती स्टेशनों तक तुरंत पहुँचा सकें। वहीं सभी रेल इंजनों में फॉग-सेफ्टी डिवाइस का प्रावधान किया गया और दृश्यता कम होने की स्थिति में ड्राइवर आने वाले सिगनल की ऑडियो-विजुअल सूचना प्राप्त कर सकता है। जीपीएस नेटवर्क से जुडी सभी मॉडिफाइड स्वचालित सिगनल इकाईयों की सिगनल प्रणाली का अपग्रेडेशन किया जा रहा है। इसी प्रकार साइटिंग बोर्डों, लेवल क्रासिंग बोर्डों, फॉग सिगनल चौकियों इत्यादि को चमकदार पेंट से बेहतर बनाने, रेल पटरियों के साथ लाइम मार्किंग की गई है। ----ऐसे होगी कोहरे की स्थिति की जांच: गंगल ने बताया कि स्टेशन और उसके आसपास के क्षेत्रों में कोहरे की स्थिति को जांचने के लिए स्टेशन मास्टरों द्वारा विजिबिलिटी टैस्ट किए जाते हैं। कम दृश्यता संबंधी मामलों से निपटने के लिए लोको पायलटों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है। वह रेल पथों पर परिस्थिति के अनुसार रेलगाड़ी की गति सीमा को अपने विवेक और सूझ-बूझ के साथ नियंत्रित करेगा। सर्दी के मौसम में कोहरे या धुंध के मौसम में सामान्य जन-जीवन भी प्रभावित होता है। इसका रेल परिचालन प्रणाली पर कम दृश्यता के चलते रेलगाड़ियों का परिचालन भी प्रभावित होता है। इन परिस्थितियों से निपटने के लिए कोहरा प्रभावित क्षेत्रों में रेलगाड़ियों की गति सीमा पर प्रतिबंध लगाने जैसे अनेक उपाय किये जाते है। -----कोहरा रेल परिचालन में चुनौती: रेलगाडियों के विलम्ब से चलने के कारण रैकों का अनियमित आगमन/प्रस्थान के साथ मार्ग अवरोधों और रेलगाड़ियों की धीमी गति के कारण कार्य के घंटों में वृद्धि के चलते चालक दल की कमी की जा सकती है। रेलगाड़ियों के विलम्ब से चलने के कारण रेलगाड़ियों की समय-सारणी, उनके प्लेटफार्मों पर लगाए जाने की योजना, वाशिंग लाइन परिसरों में उनके रख-रखाव के समय पर प्रभाव के कारण रेलगाड़ियों के विलम्ब से चलने के कारण खान-पान सुविधाओं पर असर पड़ता है। प्रमुख रेल टर्मिनलों के प्लेटफार्मों पर प्रतीक्षारत यात्रियों की भीड़ बढ़ना स्वाभाविक है। इसी प्रकार कम क्षमता के कारण अनुरक्षण ब्लॉकों की अनुपलब्धता हो सकती है। वहीं गति सीमा पर प्रतिबंध और क्षमता बाधित होने के कारण परिसम्पतियों के न्यूनतम उपयोग और चालक दल के ओवर टाइम के कारण परिचालन की लागत में वृद्धि करना भी प्रस्तावित है। 26Dec-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें