शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

केंद्र सरकार ने दी गन्ना किसानों को बड़ी सौगात

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3500 करोड़ रुपये की सहायता राशि को मंजूरी केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये महत्वपूर्ण फैसले हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों को लेकर जहां किसान आंदोलन चल रहा है, वहीं केंद्र सरकार ने गन्ना किसानों के लिए 3,500 करोड़ रुपये की सहायता राशि को मंजूरी दी है। सरकार के इस फैसले से देश के पांच करोड़ गन्नाा किसानों और उनके परिवारों तथा चीनी मिलों के अलावा सहायक गतिविधियों के पांच लाख कामगारों को लाभ होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में गन्ना किसानों के हित में लिये गये फैसले की एक संवाददाता सम्मेलन में जानकारी देते हुए कहा कि गन्ना किसानों की सहायता के लिए मंजूर की गई करीब 3500 करोड़ रुपये की राशि सीधे किसानों के खातों में जमा की जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने निर्णय के तहत किसानों को 3500 करोड़ रुपये निर्यात सब्सिडी के अलावा 18 हजार करोड़ रुपये निर्यात लाभ तथा अन्य सब्सिडी भी दी जाएगी। केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने बताया कि इस साल सरकार ने 60 लाख टन चीनी निर्यात करने का फैसला किया है और इस पर सब्सिडी सीधे किसानों के खाते में जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ किसानों और पांच लाख मजदूरों को सीधा लाभ मिलेगा, जिनकी आजीविका चीनी उद्योग पर निर्भर है। केंद्रीय मंत्री जावडेकर ने कहा कि किसान अपना गन्नात चीनी मिलों को बेचते हैं, लेकिन चीनी मिल मालिकों से उन्हेंम उनका भुगतान प्राप्त नहीं होता, क्योंेकि उनके पास चीनी का अतिरिक्त स्टॉकक होता है। इस चिंता को दूर करने के लिए सरकार चीनी के अतिरिक्त स्टॉ‍क को शून्य पर लाने का प्रयास कर रही है। इससे गन्नाा किसानों के बकाये का भुगतान करने में सहूलियत होगी। सरकार इस उद्देश्य के लिए 3,500 करोड़ रुपये व्यय करेगी और इस सहायता की राशि को चीनी मिलों की ओर से बकाये के भुगतान के तौर पर सीधे किसानों के खातों में जमा किया जाएगा। शेष राशि, यदि बचेगी तो, उसे चीनी मिलों के खाते में जमा कर दिया जाएगा। इस सब्सिडी का उद्देश्य चीनी मिलों द्वारा चीनी सत्र 2020-21 के दौरान अधिकतम स्वी कार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यूं) के तहत 60 लाख मीट्रिक टन की मात्रा तक चीनी का निर्यात करने पर उसके प्रबंधन, सुधार तथा अन्य प्रसंस्करण लागत और अंतर्राष्ट्री य तथा घरेलू परिवहन एवं माल भाड़ा शुल्क समेत उस पर आने वाली कुल बाजार कीमत को पूरा करना है। ----------------------------------- अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी इस दौरान मौजूद केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बतया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले दौर की स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग के निर्णय लेने वाले शीर्ष निकाय, डिजिटल संचार आयोग ने मई में ही स्पेक्ट्रम नीलामी योजना को मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने कहा कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए आवेदन आमंत्रित करने के लिए इसी माह एक नोटिस जारी किया जाएगा और मार्च 2021 तक नीलामी होना प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि दूरसंचार विभाग को अगले दौर की नीलामी के लिए अधिसूचना जारी करनी है। इसके तहत 5.22 लाख करोड़ रुपये मूल्य की रेडियो तरंगों की बिक्री की जाएगी। दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो का कहना है कि 3.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य का स्पेक्ट्रम बिना किसी उपयोग के नीलामी के लिए पड़ा है। उन्होंने बताया कि इस नीलामी के तहत स्पेकक्ट्राम वाणिज्यिक मोबाइल सेवाएं उपलबध कराने के लिए सफल बोलीदाताओं को सौंप दिया जाएगा। यह नीलामी 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज और 2500 मेगाहर्ट्ज फ्रीक्वेंासी बैंड्स के स्पेकक्ट्रपम के लिए होगी। यह स्पे8क्ट्रटम 20 वर्ष की वैधता अवधि के लिए सौंपा जाएगा। इसके तहत आरक्षित मूल्य पर कुल 3,92,332.70 करोड़ रुपये के निर्धारण के साथ कुल 2251.25 मेगाहर्ट्ज का प्रस्ता1व किया जा रहा है। दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश को अनुमति केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने दूरसंचार क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा निर्देश को अनुमति दे दी है। इसके तहत, सप्लाई चेन सुरक्षा की अखंडता बनाए रखने के लिए, सरकार विश्वस्त सूत्रों/उत्पादों की सूची जारी करेगी, जो दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के लिए लाभप्रद होंगे। ----------------------------------- पूर्वोत्तर राज्यों में होगा बिजली सुविधाओं में सुधार केंद्रीय कैबिनेट में लिए गये निर्णयों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह भी बताया कि आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम को मजबूत करने के लिए छह राज्यों असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा के लिए उत्तर पूर्वी क्षेत्र विद्युत प्रणाली सुधार परियोजना को भी मंजूरी दी है। इसकी अनुमानित लागत 6,700 करोड़ रुपये है। अंतरराज्यीूय पारेषण एवं वितरण व्यतवस्थाट को सुदृढ़ बनाकर पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक प्रमुख कदम है। सरकार के इस फैसले से पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी वर्ग के उपभोक्तापओं तक ग्रिड के संपर्क से बिजली की पहुंच का लाभ सुनिश्चित किया जा सकेगा। इसके अलावा केन्द्री य मंत्रिमंडल ने केन्द्री य विद्युत नियामक आयोग (सीईआरसी), भारत और संघीय ऊर्जा नियामक आयोग (एफईआरसी) संयुक्त राज्य अमरीका (यूएसए) के बीच विद्युत क्षेत्रों में आपसी हितों के क्षेत्रों में सूचना और अनुभवों के आदान-प्रदान के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताअक्षर करने के लिए केन्द्री य विद्युत नियामक आयोग के प्रस्ताडव को अपनी मंजूरी दी है। यह समझौता ज्ञापन दक्ष, थोक, विद्युत बाजार विकसित करने और ग्रिड विश्वूसनीयता बढ़ाने के लिए नियामक और नीतिगत ढांचे को बेहतर बनाने में मदद करेगा। 17Dec-2020

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