शनिवार, 19 दिसंबर 2020

दिल्ली में बाधक बने हजारों पेड़ों ने थामी रेल परियोजनाओं की रफ्तार!

वन विभाग की अनुमति ने मिलने पर रेलवे करेगा 600 पेड़ों का ट्रांसप्लांट तीन साल विलंब हो सकती है आनंद विहार टर्मिनल को तिलक ब्रिज से जोड़ने की योजना हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। भारतीय रेलवे के कायाकल्प की दिशा में देशभर में तमाम रेल परियोजनाओं को अंजाम दिया जा रहा है, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेलवे ट्रैक के विस्तार की योजनाएं अटकी हुई हैं, जो तय समय को भी पार गई। इसका प्रमुख कारण है कि रेलवे लाइन बिछाने के रास्ते में बाधक बने हजारों पेड़ काटने की वन विभाग अनुमति देने को तैयार नहीं है। ऐसे में रेलवे ने आनंद विहार टर्मिनल को तिलक ब्रिज स्टेशन से जोड़ने की योजना को पूरा करने के लिए 600 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल को तिलक ब्रिज स्टेशन को तीसरी व चौथी लाइन के जरिए आनंद विहार टर्मिनल को जोड़ने का लक्ष्य दिसंबर 2020 था, लेकिन 4400 पेड़ इस रेलवे ट्रैक बिछाने की राह में बड़ी बाधा बने हुए हैं और दिल्ली सरकार के वन विभाग पेड़ काटने की अनुमति को लगातार अस्वीकार कर रहा है। उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने इस संबन्ध में हरिभूमि संवाददाता को बताया कि वन विभाग से पेड़ काटने की अनुमति न मिलने की वजह से अब तिलक ब्रिज स्टेशन से आंनद विहार टर्मिनल के बीच की तीसरी व चौथी लाइन बिछाने का कार्य कम से कम तीन साल पिछे खिसक सकता है। उत्तर रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि अब रेलवे ने इन पेड़ो में से 600 पेड़ों को ट्रांसप्लांट करके कहीं और लगाने की योजना तैयार की है, जिसकी जानकारी वन विभाग को दे दी गई है। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार इसके लिए भैरो मार्ग के पास यमुना नदी पर 419 करोड़ की लागत से एक पुल बनाने की अनुमति मिल चुकी है, जिसके तहत पिछले सप्ताह 8 व 9 दिसंबर को ट्रैफिक ब्लॉक देकर मंडावली, चंदर नगर में इस योजना में शामिल सबवे का कुछ काम किया गया है। --परियोजना पर 115 करोड़ खर्च--- उत्तर रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि आनंद विहार टर्मिनल और तिलक ब्रिज को 9.77 किमी लंबे रेलवे ट्रैक के जरिए जोड़ने की योजना में पुलों व सबवे जैसे कार्यो पर 115 करोड़ खर्च रुपये खर्च किये जा चुके हैं। जबकि नई दिल्ली और तिलक ब्रिज स्टेशन के बीच पांचवी व छठी रेलवे लाइन बिछाने का कार्य पूरा कर लिया गया है। इस पूरी योजना पर 419 करोड़ की लागत अनुमोदित है। उत्तर रेलवे के अनुसार इन दोनों स्टेशनों को जोड़ने के बाद तीसरी व चौथी लाइन के निर्माण से दिल्ली-हावड़ा रेलमार्ग की क्षमता में विस्तार होगा और आनंद विहार तक आने वाली लंबी दूरी की रेलगाड़ियां नई दिल्ली रेलवे स्टेशन तक आ सकेंगी, जिससे आनंद विहार स्टेशन का दबाव कम होगा। अभी तक साहिबाबाद से तिलक ब्रिज तक दो लाइनों का ट्रैक है, जिस पर पैसेंजर गाड़िया आनंद विहार हाल्ट पर ठहराव करती हैं। --परियोजना से मिलेगा फायदा-- रेलवे के अधिकारियों का दावा है कि इस रेल परियोजना के पूरा होने पर दिल्ली, गाजियाबाद, साहिबाबाद व उत्तर प्रदेश व यहां से अन्य पूर्वी राज्यों से हर दिन लाखों रेल यात्रियों की आवाजाही करने वालों को फायदा मिलेगा। यह भी उम्मीद की जा रही है कि इस नए ट्रैक के निर्माण के बाद रोजारा करीब 10 जोड़ी अधिक मेल, एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया जा सकेगा। वहीं तिलक ब्रिज स्टेशन से तीसरी व चौथी लाइन को आनंद विहार टर्मिनल जोड़ने के बाद माल गाड़ियों को भी किसी हाल्ट पर नहीं रोकना पड़ेगा और उनकी आवाजाही आसान हो जाएगी। वहीं रेलवे की प्रतिदिन एक करोड़ रुपये से अधिक की आय बढ़ जाएगी? 14Dec-2020

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