बुधवार, 30 दिसंबर 2020

पोर्टेबल उपकरणों से होगी पानी की गुणवत्ता जांच

राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने शुरू की उपकरण विकसित करने की कवायद हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन ने जल परीक्षण करने वाले पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग की साझेदारी से एक नवाचार चुनौती शुरू की है। इसका मुख्य मकसद उठाने में आसान उपकरणों को विकसित करने के वास्ते एक अभिनव, मॉड्यूलर तथा कम लागत वाला प्रभावी समाधान सामने लाना है, जिसका उपयोग घरेलू स्तर पर पीने के पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए त्वरित, आसानी और सही तरीके से किया जा सकता है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी देते हुए बताया क जल गुणवत्ता परीक्षण केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम जल जीवन मिशन के तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है और इस नवाचार चुनौती का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विभिन्न स्थानों पर और विभिन्न स्तरों पर जल स्रोतों का परीक्षण किया जाए। इसके अलावा दूषित जल के मुद्दों का स्थाई समाधान प्रदान करने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा तय करने के लिए नीति निर्धारणकर्ताओं की मदद करना भी इसमें शामिल है। मंत्रालय ने बताया क ज़्यादातर घरों में पाइप के ज़रिये से पानी की आपूर्ति प्राप्त करने वाले लोगों के पास अपने नलों से मिलने वाले जल की गुणवत्ता की जांच करने का कोई साधन मौजूद नहीं होता है। इससे एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है, जिसमें अक्सर लोग नल के पानी का सीधे सेवन करने से घबराते हैं। वहीं शहरी क्षेत्रों में लोग अतिरिक्त खर्च करके घरेलू जल उपचार इकाइयों की स्थापना भी करते हैं। नवाचार चुनौती का मुख्य उद्देश्य इन मुद्दों के समाधान के लिए अभिनव, मॉड्यूलर तथा कम लागत वाला प्रभावी समाधान ढूंढ कर सामने लाना है। ---देश में 2.90 करोड़ को मिले जल कनेक्शन: मंत्रालय के अनुसार जल जीवन मिशन की घोषणा के बाद से लेकर गत 23 दिसंबर तक 2.90 करोड़ परिवारों को नल से जल का कनेक्शन प्रदान किया गया है। इसी प्रकार से देश के ग्रामीण परिवार के लिए नल द्वारा जल की आपूर्ति अगस्त 2019 में 3.23 करोड़ से बढ़ कर 6.13 करोड़ हो गई है। इसके अतिरिक्त देश के 20 जिलों, 425 ब्लॉकों, 34 हजार ग्राम पंचायतों तथा 64 हजार गांवों के हर घर में नल से जल का कनेक्शन उपलब्ध है। ---भूजल से 80 फीसद जलापूर्ति: मंत्रालय के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति भूजल से 80 फीसदी और सतही जल के 20 फीसदी स्रोतों से होती है। हालांकि घटते भूजल स्तर के कारण विशेष रूप से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में सतही जल का उपयोग काफी बढ़ रहा है। भूजल और सतही जल पर आधारित ग्रामीण पेयजल आपूर्ति की दोनों प्रणालियों में पीने योग्य पानी तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रासंगिक क्षेत्र-विशिष्ट संदूषण को मापना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यूनिफॉर्म ड्रिंकिंग वॉटर क्वालिटी प्रोटोकॉल 2019 ने बीआईएस आईएस 10500:2012 और अनुवर्ती संशोधनों के अनुसार पीने के पानी की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण मापदंडों को निर्दिष्ट किया है। ----2024 तक मिशन का लक्ष्य: जल जीव मिशन वर्ष 2024 तक हर ग्रामीण घर को नल द्वारा जल कनेक्शन प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए राज्यों की साझेदारी के साथ काम कर रहा है। इस मिशन का उद्देश्य नियमित तौर पर और लंबे समय तक प्रत्येक ग्रामीण को पीने योग्य नल का पानी पर्याप्त मात्रा में तथा निर्धारित गुणवत्ता में उपलब्ध कराना है। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन आवेदकों को जल परीक्षण के पोर्टेबल उपकरणों को विकसित करने की नवाचार चुनौती में शामिल होने तथा जीवन को बदल कर रख देने वाले इस जन आंदोलन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता है। 26Dec-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें