शनिवार, 19 दिसंबर 2020

नदियों के संरक्षण में मानवीय पर्यावास का टिकाऊ निदान जरुरी: अमिताभ कांत

नदी केंद्रित शहरी विकास की परियोजनाओं और प्रस्तावों पर विशेषज्ञों ने की चर्चा हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में जल संकट से निपटने के लिए जल सरंक्षण एवं जल प्रबंधन को तकनीकी रुप से बेहतर बनाने की दिशा में नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि मानवीय पर्यावास की समस्याओं के टिकाऊ निदान से ही नदियों का संरक्षण हो सकेगा। देश में जल संरक्षण और प्रबंधन समेत जल सुरक्षा और प्राकृतिक जल निकायों के कायाकल्प को प्रोत्साहित करने के लिए यहां चल रहे वर्चुअल 5वें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन यानि शुक्रवार को ‘रिवर कंजर्वेशन सिंक्रोनाइज्ड ह्यूमन सेटलमेंट’ विषय पर हुई चर्चा के दौरान नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को एक मंच पर कहा कि भारत में नदियाँ विशेष रूप से आस्था, आशा, संस्कृति और पवित्रता के साथ-साथ लाखों लोगों की आजीविका का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि नमामी गंगे अपने बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण के साथ सकारात्मक प्रभाव बनाने में सफल रहा हैं। नदियों के संरक्षण के लिए कांत ने इस बात पर बल दिया कि इसके लिए जरुरी है पहले मानवीय पर्यावास की समस्याओं के टिकाऊ निदान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में नदी क्षेत्रों में शहरों का विकास और विस्तार के कारण आज नदियों पर जल निकासी के अतिरिक्त भार के अलावा उनके प्रदूषित होने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए शहरी क्षेत्रों में इन मुद्दों को सुलझाए बिना नदियों का संरक्षण कार्य बेहद मुश्किल हो जाता है। भारतीय जल क्षेत्र में निवेश करे ब्रिटेन--- इस सम्मेलन में वैश्विक जल सुरक्षा के वित्तपोषण पर आधारित सत्र में सीओपी-26 की चर्चा करते हुए ब्रिटेन में भारत की उच्चायुक्त गायत्री आई. कुमार ने कहा कि हम लगातार ब्रिटेन के निवेशकों को विशेष रूप से भारत के जल क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्होंने जानकारी दी कि जल और पर्यावरण क्षेत्र में 21वीं सदी के बुनियादी ढांचे के निर्माण एवं ब्रिटेन तथा भारतीय समकक्षों को एक साथ लाने के लिए हाल ही में सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज ने ब्रिटिश वॉटर के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत को हरित विकास के एजेंडे में मदद पहुँचाने वालों में ब्रिटेन भी एक प्रमुख भागीदार बन रहा है। नीदरलैंड का एकीकृत दृष्टिकोण पर बल-- नीदरलैंड के कीस बोन्स ने अपने अनुभव साझा करते हुए प्रमुख से रूप से तीन बिन्दुओं पर प्रकाश डाला। पहले बिन्दु पर बोलते हुए उन्होने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी नया विकास या ग्रोथ टिकाऊ हो और वह किसी भी अन्य समस्या का कारण न बने। वहीं हमें एक ऐसे एकीकृत दृष्टिकोण और प्रकृति-आधारित समाधानों का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि यह तकनीकी ट्रीटमेंट से सस्ता होता है। दिल्ली में संवेदनशील बनेगा मास्टर प्लान--- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने कहा कि एनएमसीजी का विजन न केवल वर्तमान में नदी वाले शहरों में लोगों को नदियों के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए काम करना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि इन समस्याओं को दोहराया न जाए। उन्होने बताया कि हमने शहर के मास्टर प्लान में 'शहरी नदी योजना' और 'शहरी जल प्रबंधन योजना' को एकीकृत करने की दिशा में काम कर रहे हैं, और तैयारी के साथ दिल्ली के इस नए मास्टर प्लान को संवेदनशील बनाया जाएगा। 12Dec-2020

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