गुरुवार, 17 दिसंबर 2020

आखिर जीएसटी क्षतिपूर्ति को लेकर केंद्र व राज्यों के बीच खत्म हुआ गतिरोध

सभी 28 राज्यों ने चुना पहला विकल्प, केंद्र ने दी 1.07 लाख करोड़ अतिरिक्त उधारी की अनुमति केंद्र की विशेष योजना के तहत राज्यों को जीडीपी के 0.5 फीसदी रकम का आवंटन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी की क्षतिपूर्ति के लिए सभी 28 राज्यों और विधानसभा वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों ने जीएसटी के कारण राजस्व में हुई कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिये गए दो विकल्पों में से पहला विकल्प को चुना है। इसके तहत केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिए जीडीपी के 0.5 फीसदी रकम की उधारी के रूप में अनुमति दी है। इसके साथ ही राज्यों का राजस्व नुकसान की भरपाई को लेकर केंद्र के साथ जारी गतिरोध पर भी विराम लग गया है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को सभी जीएसटी के कारण राज्यों को हो रहे राजस्व के नुकसान को लेकर पिछले कई माह से केंद्र के साथ चल रहे गतिरोध चला आ रहा था, जिसके समाधान के लिए जीएसटी परिषद की बैठकों में चर्चा के बाद केंद्र सरकार ने राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई के लिए अलग-अगल शर्तों के साथ दो विकल्प दिए थे। इनमें पहला विकल्प 97 हजार करोड़ रुपये का और दूसरा 2.35 लाख करोड़ रुपये का था। हालांकि बाद में पहले विकल्प के अंतर्गत उधार लेने की सीमा को बढ़ाकर 1.10 लाख करोड़ रुपये कर दिया गया, जिसके तहत केंद्र ने यह राशि उधार लेने और राज्यों को स्थानांतरित करने पर सहमति बनी तो दूसरे विकल्प का औचित्य ही समाप्त कर दिया गया। वित्त मंत्रालय ने बताया कि इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजस्व की क्षतिपूर्ति की भरपाई को लेकर तकरार की स्थिति बनी हुई थी। इसका मुख्य कारण यह भी था कि झारखंड, छत्तीसगढ़, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल ने कोई भी विकल्प नहीं लेने का ऐलान कर दिया था, लेकिन अन्य राज्यों की तरह ही अब इन राज्यों ने पहले विकल्प पर सहमति जताते हुए इस विकल्पक को चुनने की स्वीकृति दी। इस विकल्प के चुने जाने के बाद केंद्र सरकार ने सभी 28 राज्यों और विधानसभा वाले तीन केंद्र शासित प्रदेशों को इस विकल्प के तहत 1.10 लाख करोड़ रुपये की विशेष योजना में 1,06,830 करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी की अनुमति दे दी है। इस राशि के आवंटन को राज्यों की जीडीपी के 0.5 फीसदी के बराबर सभी राज्यों को उधारी के लिए अलग अलग धनराशि का आंवटन भी कर दिया है। अब तक राज्यों को 30 हजार करोड़ जारी केंद्र सरकार ने उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक विशेष उधारी योजना शुरू की है, जिन्होंने जीएसटी कार्यान्वयन के कारण राजस्व में होने वाली कमी को पूरा करने के लिए विकल्प-1 के तहत उधारी लेने का विकल्प चुना है। केंद्र सरकार ने पहले विकल्प का चुनाव करने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए लिए स्पेशल उधार विंडो खोली है। यह विंडों 23 अक्टूबर, 2020 से संचालित हो रही है और भारत सरकार पहले ही राज्यों की तरफ से पांच किस्तों में 30,000 करोड़ रुपये उधार ले चुका है। यह राशि पहला विकल्प चुनने वाले राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को दी जा चुकी है। इसी प्रकार सबसे अंत में इस विकल्प को चुनने क बाद अब झारखंड राज्य को भी अगले दौर से इस योजना के तहत जुटाई गई रकम में से उधारी मिलना शुरू हो जाएगी। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 6,000 करोड़ रुपये की अगली किस्त 7 दिसंबर 2020 को जारी की जाएगी। क्या हैं इस विकल्प की शर्ते विकल्प-1 की शर्तों के अनुसार जीएसटी कार्यान्वयन के कारण पैदा होने वाली राजस्व में कमी को पूरा करने के लिए एक विशेष उधारी योजना की सुविधा के अलावा 17 मई 2020 को राज्यों को भारत सरकार के आत्मननिर्भर अभियान के तहत अतिरिक्त 2 प्रतिशत उधारी लेने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा राज्य अंतिम किस्त के तौर पर अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.50 प्रतिशत रकम बिना शर्त उधार लेने के भी हकदार हैं। यह 1.1 लाख करोड़ रुपये की विशेष योजना के अतिरिक्त है। 06Dec-2020

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