शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

कोविड की तर्ज पर जल संकट पर पूरे विश्व को एकजुट होने की जरुरत

5वें भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन संपन्न, विश्वभर से हजारों विशेषज्ञों ने किया मंथन हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में जल सुरक्षा और प्राकृतिक जल निकायों के कायाकल्प पर पांच दिन तक चले मैराथन मंथन के दौरान भारत ने विश्व से आव्हान किया है कि जिस तरह से कोरोना महामारी के खिलाफ पूरा विश्व एकजुट होकर मुकाबला कर रहा है, उसी तरह वैश्विक जल संकट को लेकर भी विश्व को एकजुट होने की जरुरत है। जल शक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और सी-गंगा द्वारा आयोजित आयोजित पांचवे भारत जल प्रभाव शिखर सम्मेलन के आखिरी दिन बुधवार को ‘नदी संरक्षण समन्वित नौपरिवहन और बाढ़ प्रबंधन’ विषय पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने समापन सत्र में इस शिखर सम्मेलन की तुलना ‘वैचारिक कुंभ’ से करते हुए कहा कि यह सम्मेलन जल क्षेत्र में निवेशकों और हितधारकों के बीच एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ है। इस मंच से देश और विदेश के विशेषज्ञों के बीच हुई चर्चा और साझा किये गये अनुभवों से आने वाले दिनों में भारत और अन्य देशों के बीच नदी प्रबंधन तथा जल क्षेत्र से संबंधी समस्याओं के समाधान एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अटल भूजल प्रबंधन के लिए संस्थागत संरचना को सुदृढ़ करने तथा 7 राज्यों में टिकाऊ भूजल संसाधन प्रबंधन के लिए समुदाय स्तर पर व्यवहारगत बदलाव लाने के मुख्य उद्देश्य के साथ बनाई गई है। उन्होंने कहा कि विश्व को जल क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए उसी तरह एक साथ आने की जरूरत है, जिस तरह कोविड-19 महामारी से लड़ाई में विश्व एकजुट हुआ। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जल क्षेत्र में हम अपनी कार्यक्षमता को बढ़ाकर से तेजी से लक्ष्य हासिल करने की दिशा में बढ़ेंगे। जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यू.पी. सिंह, राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने इस शिखर सम्मेलन से जल संकट से निपटने के लिए एक दूसरे देशों के विशेषज्ञों के अनुभवों को साझा करने से निश्चित रुप से विश्व में जल संकट से निपटने की चुनौतियों से निपटा जा सकेगा। सम्मेलन में बिहार के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, जल शक्ति मंत्रालय के सचिव यू.पी. सिंह के अलावा विभिन्न संस्थानों से जुड़े विशेषज्ञओं ने नदी संरक्षण को लेकर शहरी और ग्रामीण विकास को एक साथ जोड़ने की रूपरेखा तैयार करने पर ज़ोर दिया और इस बात पर बल दिया गया कि विकास नीतियों और कार्यक्रमों में 'अर्थ गंगा' को शामिल करके नदी संरक्षण को एक नई दिशा दी जा सकती है। इस शिखर सम्मेलन में दुनिया भर से तीन हजार से अधिक बुद्धिजीवी, शोधकर्ता, जल एवं पर्यावरण विशेषज्ञ और नीति निर्माता शामिल हुए। वहीं बुधवार को अंतिम सत्र में सी-गंगा द्वारा विजन कान्हा सस्टेनेबल रेस्टोरेशन पाथवे, जोरारी-रिवाइवल एंड प्रोटेक्शन, हील्सा-बायोलॉजी एंड फिसरी ऑफ हिल्सा शैड इन गंगा रिवर बेसिन नाम से 3 रिपोर्टों को पेश किया गया। इसके अलावा हाल ही में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 'गंगा उत्सव 2020' पर भी एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की गई। --शहरी नदी क्षेत्रों के प्रबंधन रणनीतिक ढांचा-- सम्मेलन में केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एनएमसीजी और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स ने गंगा नदी के बेसिन में शहरी नदी क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए अपनी तरह का पहला रणनीतिक ढांचा विकसित किया है, जिसे अर्बन रीवर मैनेजमेंट प्लान' में नदी केंद्रित योजना की रूपरेखा है जिसे शहरों को प्रणालीगत दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए नदियों को अपने हिस्सों के भीतर प्रबंधित करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है। --बदलाव के मिल रहे हैं सकरात्मक नतीजे-- सम्मेलन में अंतिम दिन बुधवार को नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार ने कहा कि भारत स्वच्छता अभियान में हमें ‘अभी गंदगी फैलाओं और बाद में उसे साफ कर लेंगे’ वाले रवैये को ब बदलना होगा। उन्होंने कहा कि भारत में हालांकि अब हमने उस धारणा को बदला है, जिसमें जल क्षेत्र में संरक्षण और विकास एकसाथ नहीं हो सकते। इसलिए आज हम दोनों ही विषयों पर एक जगह-एक साथ कार्य कर रहे हैं, जिसके सकारात्म्क परिणाम मिल रहे हैं। 17Dec-2020

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