रविवार, 12 जुलाई 2020

मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों से होकर गुजरेगा चंबल एक्सप्रेस-वे



केंद्र सरकार की परियोजना पर खर्च होंगे 8,200 करोड़ रुपये
गडकरी ने मुख्यमंत्री शिवराज संग की परियोजना की समीक्षा
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
मध्य प्रदेश की प्रस्तावित चंबल एक्सप्रेस-वे परियोजना को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है, जिसके लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से प्रस्तावित चंबल एक्सप्रेस परियोजना की समीक्षा की।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस बैठक की जानकारी देते हुए बताया कि इस दौरान केंद्रीय मंत्री गडकरी ने 8200 करोड़ की इस महत्वपूर्ण परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए पर्यावरण संबंधी मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, रॉयल्टी और स्थानीय करों में छूट पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सुगम यातायात और व्यापारिक वस्तुओं की आवाजाही प्रदान करने के अलावा इस परियोजना से एक्सप्रेसवे के साथ लगे हुए पिछड़े क्षेत्रों के इलाकों और लोगों को बहुत लाभ होगा। गडकरी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण से औद्योगिक और वाणिज्यिक समूहों के साथ दोनों ओर स्मार्ट शहरों, मंडियों, हाटों आदि की संभावनाओं के अलावा एक्सप्रेसवे के किनारे सुविधाओं के विकास को पूरा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस प्रकार से यह परियोजना इन जिलों और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार की अपार संभावनाएं प्रदान करती है। इस ऑनलाइन समीक्षा बैठक में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने और खर्च में कटौती करने के संदर्भ में श्री गडकरी की बातों से सहमति व्यक्त की।
स्वर्णिम चतुर्भुज का हिस्सा बनेगी परियोजना
मंत्रालय के अनुसार गडकरी ने बताया कि मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान से गुजरते हुए भिंड को कोटा से जोड़ने की 8200 करोड़ रुपए की यह परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज के दिल्ली-कोलकाता गलियारे, उत्तर-दक्षिण गलियारे, पूर्व-पश्चिम गलियारे और दिल्ली-मुंबई-एक्सप्रेसवे के साथ क्रॉस कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगापरियोजना की लागत में कमी लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए गडकरी ने कहा कि परियोजना सामग्री पर रॉयल्टी और कर छूटों से एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की बचत होगी।
राज्यों को समितियां गठित करने का सुझाव
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बैठक के दौरान सुझाव दिया कि जिन राज्यों से होकर यह एक्सप्रेसवे गुजरेगा, उन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक की अध्यक्षता करनी चाहिए, जिससे राज्य संबंधी सभी विशिष्ट मुद्दों को सुलझाया जा सके और इष्टतम लागत पर तेजी से कार्यान्वयन की सुविधा प्रदान करेगा। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश इस परियोजना के लिए पहले ही खनिजों की रॉयल्टी पर छूट प्रदान कर चुका है। गडकरी ने बताया कि उन्होंने एनएचएआई के चेयरमैन को जल्द से जल्द डीपीआर तैयार करने का निर्देश दिया है। उम्मीद की जा रही है कि भूमि अधिग्रहण के बाद लगभग 2 वर्षों में यह प्रोजेक्ट पूरा हो जाएगा।
चंबल विकास प्राधिकरण का गठन
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में बेहतर समन्वय और प्रगति के लिए चंबल विकास प्राधिकरण का गठन किया जा सकता है और उन्होंने राज्यों से वन, पर्यावरण और भूमि अधिग्रहण के मुद्दों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुलझाने का आह्वान किया। इसके अलावा गडकरी ने राज्यों को आमंत्रित किया कि वे इस क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों के लिए बस बंदरगाहों और चालक प्रशिक्षण स्कूलों के प्रस्तावों को भेजें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस परियोजना में भी लॉजिस्टिक पार्क हो सकते हैं जिस तर्ज पर इंदौर, जबलपुर और जयपुर के लॉजिस्टिक्स पार्कों (एमएमएलपी) को बनाया जा रहा है। इसमें लगभग 404 किलोमीटर की परियोजना जोड़ी जा सकती है, जो कि मध्य प्रदेश के रास्ते कानपुर से कोटा तक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगी और फिर यह दिल्ली-मुंबई कॉरिडोर- द लाइफलाइन ऑफ द कंट्री- में जुड़ जाएगी।
इस ऑनलाइन समीक्षा बैठक में, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश सरकार, केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और एनएचएआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने परियोजना कार्यान्वयन में तेजी लाने और खर्च में कटौती करने के संदर्भ में श्री गडकरी की बातों से सहमति व्यक्त की।
सियोरिटी बॉन्ड देगा देश की सड़कों को मजबूती!
सड़क मंत्रालय के आग्रह पर इरडा ने गठित किया कार्यसमूह
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश की सड़कों को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार के आग्रह के बाद भारतीय बीमा नियामक व विकास प्राधिकरण (इरडा) ने देश में सड़क निर्माण के ठेकों के लिए इंश्‍योरेंस कंपनियों की ओर से सियोरिटी बॉन्‍ड्स पेश करने का निर्णय लिया है, जिसकी व्‍यवाहरिकता की पड़ताल करने करने के बाद सरकार इसे जारी करेगी। है
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार कोरोना महामारी के कारण देश की प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था के मद्देनजर मंत्रालय ने बीमा नियामक से जनरल इंश्‍योरेंस कंपनियों की ओर से सियोरिटी बॉन्‍ड पेश करने की संभावनाएं तलाशने का आग्रह किया था। मंत्रालय के अनुरोध के बाद इरडा ने देश में सड़क निर्माण के ठेकों के लिए सियोरिटी बॉन्‍ड लाने की कानूनी रूपरेखा) और बीमा कंपनियों या किसी दूसरे सेक्‍टर के लिए इनकी उपयुक्‍तता) का अध्‍ययन करने को 9 सदस्‍यों वाले कार्यसमूह का गठन कर दिया है। इसके लिए बीमा नियामक ने एक परिपत्र जारी किया है, जिसका प्रारुप मंत्रालय को भी भेजा गया है। मंत्रालय के अनुसार इरडा ने नेशनल इंश्‍योरेंस अकादमी के निदेशक जी. श्रीनिवासन की अध्‍यक्षता में एक कार्यसमूह का गठन किया है, जिसमें सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों और इरडा से सदस्‍य को भी शामिल किया गया है।
तीन माह में आएगी रिपोर्ट
मंत्रालय के अनुसार सियोरिटी बॉन्‍ड एक ठेकेदार के किसी परियोजना को संतोषजनक तरीके से पूरा करने और विभिन्‍न सरकारी एजेंसियों को प्रदर्शन सुरक्षा की गारंटी मुहैया कराएगा, जिससे देश की सड़कों को मजबूती मिलेगी। इरडा ने गठित कार्यसमूह कार्यसमूह इरडा को तीन माह के भीतर उन कानूनी पहलुओं का अध्ययन करके रिपोर्ट देगा, जिसमें सड़क निर्माण के ठेकों के लिए सियोरिटी बॉन्‍ड लाने की कानूनी रूपरेखा और बीमा कंपनियों या किसी दूसरे सेक्‍टर के लिए इनकी उपयुक्‍तता कैसे संभव हो सकेगी।  



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