रविवार, 12 जुलाई 2020

राग दरबार:वोटबैंक की सियासत



गरीबों पर सियासत
देश में कोरोना संकट में भी राजनीतिक दलों की वोटबैंक की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। प्रधानमंत्री के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम संदेश  में भले ही उससे पहले लगाई जा रही अटकलों के अनुरुप कोई घोषणा न हो पाई हो, लेकिन उन्होंने गरीबों और मजदूरों को मुफ्त अनाज बांटने की अन्न योजना को पांच महीने बढ़ाने का ऐलान करके अनलॉक-2 के दौरान करके देश के लोगों से कोरोना वायरस से बचने के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की। इसके बाद जिस प्रकार सोशलमीडिया और टीवी चैनलों पर इस संदेश पर विपक्षी दलों ने इस योजना के विस्तार को भाजपा की सियासी रणनीति का हिस्सा बताने का सिलसिला शुरू किया। मसलन गरीबों की सियासत की दुहाई देने वाले सभी दल खासकर कांग्रेस यह भी भूल गई कि कोरोना वायरस के कारण तीन माह 80 हजार गरीबों को मुफ्त राशन की योजना को तीन माह का विस्तार देने की मांग करने वालों में छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, पुडुचेरी जैसे कांग्रेसशासित राज्य की सरकारें भी शामिल रही। सोशलमीडिया पर गरीबों की सियासत को लेकर आ रही टिप्पणियों पर गौर की जाए तो विपक्षी दलों का ये हाल हैं कि सरकार उनकी मांग के मुताबिक ऐलान करे तो भी उन्हें पीएम मोदी की हर घोषणा में सियासत की चमक नजर आती है। राजनीतिकारों की माने तो यदि मोदी सरकार मुफ्त अनाज की योजना का विस्तार न करती तो भी सरकार को विपक्षी दलों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ता। बहरहाल पीएम मोदी के इस योजना के विस्तार के ऐलान में यदि चुनावी राजनीति का मिश्रण भी है तो विपक्षी दल भी तो उसी नीयत से इस योजना के विस्तार की मांग करते आ रहे थे। यही तो भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की सियासत है, कि वोटबैंक के लिए राजनीतिक दलों की रणनीति कौन से मोड़ पर थम जाए, फिलहाल तो फोकस गरीबों की सियासत!
माया की राह में रोडा
देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी की नेता के रूप में प्रियंका गांधी वाड्रा की खासकर उतर प्रदेश की राजनीति में सक्रियता से बसपा प्रमुख मायावती की उलझने बढ़ती नजर आ रही है। हालांकि लोकसभा में कांग्रेस की सक्रीय राजनीति में लाने के लिए पार्टी हाईकमान ने उन्हें पिछले लोकसभा में उत्तर प्रदेश की राजनीति में उतारा था, भले ही प्रियंका की राजनीतिक शुरूआत खराब रही हो, लेकिन अब प्रियंका के सहारे कांग्रेस की नजर यूपी में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर है। इसलिए आजकल प्रियंका गांधी केंद्र और यूपी सरकार के कामकाज में नुक्ताचीनी करके सोशल मीडिया पर भी सक्रिय है। प्रियंका की सक्रीय राजनीति को देख बसपा प्रमुख मायावती को शायद अपने सियासी जीवन में मुश्किलें दिखने लगी है, जिसके लिए बसपा प्रमुख भी हर दिन सोशल मीडिया पर सक्रीय नजर आ रही है, जिसमें माया का हमला केंद्र की मोदी और यूपी की योगी सरकार पर कम, कांग्रेस पर ज्यादा हो रहा है। मायावती की यूपी सियासत की राह में बड़ा रोडा इसलिए बढ़ता नजर आने लगा है कि अब प्रियंका का ठिकाना भी दिल्ली के बजाए लखनऊ होने जा रह है। माया का यूपी की सियासत पर संकट इसलिए भी जाहिर हो रहा है कि वह राज्य सरकार और भारतीय जनता पार्टी से ज्यादा परेशानी प्रियंका से हो रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा भी साफ है कि प्रियंका और कांग्रेस के विरोध में माया अब इतना आगे बढ़ गईं, कि बसपा ने खुल कर भले ही चीन पर टकराव के बहाने भाजपा का समर्थन करना शुरू कर दिया है, जिसके बयायनों में यही कहा जा रह है कि वह और उनकी पार्टी देशहित में इस समय में भाजपा सरकार के साथ खड़ी हैं।
05July-2020

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