उपराष्ट्रपति ने किया जवाब तलब तो हरकत में आया मंत्रालय
सभापति नायडू ने ने अधिकारियों को दिये आवश्यक कदम उठाने के निर्देश
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय राजधानी
में वर्ष 2003 में राज्यसभा सचिवालय को आवंटित 8700 वर्ग मीटर भूमि पर 17 साल बाद
भी कब्जा न मिलने पर चिंता जाहिर की। इसके लिए उन्होंने संबन्धित अधिकारियों को
भूमि के कब्जे में आ रही कानूनी अड़चनों का दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के
निर्देश दिये हैं।
नई दिल्ली में गुरुवार को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्य सभा सचिवालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, भूमि और विकास कार्यालय और कानूनी परामर्शदाता के वरिष्ठ
अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को लेकर वर्तमान
वस्तुस्थिति की समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक में नायडू ने संबंधित अधिकारियों को उचित पहल करने का निर्देश दिया
और भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिये। समीक्षा बैठक के दौरान
अधिकारियों ने जानकारी दी कि नई दिल्ली के आरके पुरम में राज्यसभा सचिवालय को 8700
वर्ग मीटर भूमि का आवंटन वर्ष 2003 में किया गया था, लेकिन इस भूमि के करीब 4384.25 वर्ग मीटर में तीन स्वयंसेवी संस्थाओं समेत विभिन्न संगठनों द्वारा कब्जा
कर लिया गया था। वहीं इस भूमि के 1193.54 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में अनधिकृत
झुग्गियां
बस चुकी हैं। इन अनाधिकृत
कब्जे को लेकर यह मामला अदालत तक भी पहुंचा, जहां अभी तक यह मामला लंबित अवस्था
में विचाराधीन है। नायडू ने इस मुद्दे पर हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया
कि ज़मीन खाली कराने के लिए हाई कोर्ट में लंबित केस समेत अन्य सभी मुद्दों का प्रभावी
समाधान जल्द से जल्द किया जाए और उसमें आ रही कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। दरअसल उपराष्ट्रपति ने
इस मामले के संज्ञान लेकर मंत्रालय और संबन्धित विभागों से विवरण मांगते हुए जवाब
तलब किया था, जिसके बाद यह समीक्षा बैठक बुलाई गई।
राज्यसभा को हर साल करोड़ों का नुकसान
समीक्षा बैठक के दौरान मिली जानकारी के आधार पर नायडू ने कहा कि ज़मीन की कीमत और झुग्गियों
को विस्थापित करने के लिए राज्य सभा 2003 में ही 1.28 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। उन्होंने यह भी स्मरण
कराया कि पहले राज्यसभा
टेलीविजन 30 करोड़ रुपये सालाना किराया चुकाता था, जिसे बाद में नई दिल्ली नगर पालिका परिषद
के साथ बातचीत
करके इस राशि को घटाकर 15 करोड़ कराया गया, लेकिन यह 15 करोड़ रुपये की धनराशि भी बड़ी है जिसमें कटौती करने
की जरुरत है। नायडू ने इच्छा व्यक्त की है कि इस ज़मीन का अधिकार मिल जाने के बाद तत्काल ही राज्य सभा टेलीविजन
तथा राज्य सभा सचिवालय के अधिकारियों के लिए बहु प्रतीक्षित आवास का निर्माण प्रारंभ
किया जा सकेगा, ताकि खर्च की जा रहे सरकारी धन की बड़ी बचत की जा सके। बैठक में नायडू ने सचिव, आवास और
शहरी मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे शीघ्रातिशीघ्र सभी संबन्धित अधिकारियों की बैठक बुलाकर इस कार्रवाई
में तेजी लाने का प्रयास करें।
31July-2020
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