शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

राग दरबार:गले की हड्डी /दलाई लामा का चेहरा


गले में मरा सांप
देश के कोराना संकट काल में लगातार मोदी सरकार पर हमलावर कांग्रेस को एक नहीं कई बार मुहं की खानी पड़ी है, जिसने पीएम कोविड केयर फंड पर लगातार सवाल उठाए और फिर चीन के साथ सीमा विवाद पर सवाल पर सवाल उठाने वाले खासकर कांग्रेस युवराज के बयान कांग्रेस के गले की हड्डी बनते नजर आए। शायद ऐसे ही बयानों का खामियाजा अब कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा, जिसमें कांग्रेस के तीन ट्रस्टों में चीन से भी चंदा लिया गया और प्रधानमंत्री राहत कोष से भी इन ट्रस्टों को धन गया है। राजनीतिकारों के अनुसार इन तीनों ट्रस्टों में गांधी परिवार के सदस्य ही प्रमुख रूप से शामिल है। कांग्रेस के इन तीन ट्रस्टों में ऐसे ही वित्तीय लेन देन की जांच के लिए केंद्र सरकार ने जांच समिति गठित कर दी है, तो भी कांग्रेस के तेवरों के बल कम नहीं हुए और इसके राजनीतिक विद्वेष करार देकर आरएसएस को मिलने वाले चंदे की जांच कराने की भी मांग उठाते हुए बेतुके तर्को पर उतारु हो गई। जाहिर सी बात है कि इन ट्रस्टों में सक्रिय सदस्यों के रूप में अहम पदों पर नामित सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की मुश्किलें बढ़ना तय है। जानकारों की माने तो जब इन ट्रस्टों या फाउंडेशनों की जांच होगी तो ऐसी जानकारी उजागर होंगी, जिससे कानूनी मुश्किल भले न हो पर कांग्रेस पार्टी को शर्मिंदगी का सामना करना पडेगा। ऐसा इसलिए भी होगा इन ट्रस्टों को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से चंदा मिला है, प्रधानमंत्री राहत कोष से चंदा मिला है, राज्य सरकारों, सरकारी एजेंसियों और यहां तक की कई राज्यों के जिला प्रशासन से भी चंदा मिला हुआ है। इस मामले को लेकर सियासी गलियारों में अब यही चर्चाए जोर पकड़ रही हैं कि कांग्रेस ने मरा हुआ सांप खुद अपने गले में डाल लिया..!
दलाई लामा का चेहरा
भारत व चीन के बीच सीमा विवाद में भले ही मोदी सरकार की कूटनीतिक के सामने कमी आई हो, लेकिन चीन को समझ लेना चाहिए कि भारत के पास उसे चिढ़ाने के लिए दलाई लामा का चेहरा ही काफी है? हालांकि भारत अभी ऐसे विकल्प का इस्तेमाल करने का कोई इरादा नहीं है। अपने आपको अध्यात्मिक गतिविधियों तक समित करने वाले दलाई लामा को लेकर चीन अरसों से बेचैन है और चीन इसलिए भी दलाई लामा को लेकर आशंकित रहता है, क्योंकि  तिब्बती अध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को भारत इस कदर तरजीह दे रहा है, कि हिमाचल प्रदेश में कई बौद्ध मठ हैं और तिब्बत की निर्वासित सरकार का वह एक बड़ा केंद्र है। जैसी मांग उठ रही है और उसके मुताबिक यदि भारत दलाई लामा को भारत रत्न देता है, तो पऱोक्ष रूप से भी स्वतंत्र तिब्बत का समर्थन होगा, तो भी यह कदम चीन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा। चीन को दूसरा झटका देने के लिए भारत सरकार यदि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसआई कुरैशी के उस सुझाव पर गौर करे कि भारत में चीन के दूतावास के सामने वाली सड़क का नामकरण दलाई लामा के नाम से कर देना चाहिए, तो ऐसा कदम चीन को चिढ़ने में आग में घी का काम करेगा। 
12July-2020

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