शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

सरकार का जल मार्ग के उपयोग शुल्क माफ करने का फैसला


जल परिवहन को बढ़ावा देने को तीन साल तक के लिए दी छूट
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने देश में सड़क और रेल परिवहन के विकल्प के रूप में पर्यावरण अनुकूल और किफायती अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने की दिशा में तत्काल प्रभाव से तीन साल तक की अवधि के लिए जलमार्ग उपयोग शुल्क को माफ करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय ने शुक्रवार का यह जानकारी देते हुए बातया कि केंद्रीय जहाजरानी मंत्री मनसुख मंडाविया ने परिवहन के एक पूरक, पर्यावरण अनुकूल तथा किफायती माध्यम के रूप में अंतर्देशीय जल परिवहन को बढ़ावा देने के सरकार के विजन पर विचार करने के बाद इस फैसले का ऐलान किया है, जिसे तत्काल प्रभाव से जलमार्ग उपयोग शुल्क में तीन साल तक के लिए छूट दी गई है। इस निर्णय को लेकर केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने कहा कि वर्तमान में कुल कार्गो आवाजाही का केवल दो प्रतिशत जलमार्ग के माध्यम से होता है। जलमार्ग उपयोग शुल्क माफ करने का फैसला उद्योगों को उनकी संभार तंत्र आवश्यकताओं के लिए राष्ट्रीय जलमार्गों का उपयोग करने को आकर्षित करेगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण अनुकूल एवं परिवहन के एक किफायती माध्यम के रूप में यह न केवल अन्य परिवहन माध्यमों से बोझ को कम करेगा बल्कि व्यवसाय करने की सरलता को भी बढ़ावा देगा। जल उपयोग प्रभार पोतों द्वारा सभी राष्ट्रीय जलमार्गों का उपयोग करने पर लागू था। यह यातायात आवाजाही के प्रशासन एवं यातायात डाटा के संग्रहण में एक बाधा महसूस की जा रही थी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण राष्ट्रीय जलमार्गों पर अंतर्देशीय कार्गो पोतों के चलाने पर प्रति किलोमीटर 0.02 रुपये की दर से सकल पंजीकृत टन भार यानि जीआरटी एवं क्रूज पोतों के चलाने पर प्रति किलोमीटर 0.05 रुपये की दर से सकल पंजीकृत टन भार (जीआरटी) का प्रभार वसूलता है। अब इस निर्णय के बाद अंतर्देशीय जलमार्ग याताया आवाजाही के 2019-20 के 72 एमएमटी से बढ़कर 2022-23 में 110 एमएमटी तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया गया है। इससे क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों तथा विकास को लाभ पहुंचेगा।
25July-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें