एक साल में कानून ने घटनाओं पर लगाया अंकुश: नकवी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं के पन्नों से भरपूर अगस्त माह में ‘तीन
तलाक’ भी मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में दर्ज हो चुका है, जिस प्रकार ‘भारत छोडो आंदोलन’, भारतीय स्वतंत्रता दिवस, ‘विश्व मानवीय
दिवस’, ‘सद्भावना दिवस’, 370 खत्म होना जैसे इतिहास के सुनहरे लफ्जों में
लिखे जाने वाले दिन हैं। उसी प्रकार मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्त करने का दिन यानि ‘मुस्लिम महिला अधिकार दिवस’ के रूप में दर्ज हो चुका है।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यह बात अगस्त
माह में भारतीय इतिहास की घटनाओं में पिछले साल एक अगस्त को मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा को समाप्त करने के संबन्ध में
कही है। उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने तीन तलाक प्रथा को एक अगस्त को
समाप्त करके जिस प्रकार से कानूनी शिकंजा कसा गया है, उसी का नतीजा है कि एक साल
के दौरान ‘तीन तलाक’ या ‘तिलाके बिद्दत’ की घटनांओं में 82 प्रतिशत से ज्यादा की कमीं आई है, जहाँ ऐसी
घटना हुई भी है] वहां कानून
ने अपना काम किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी 18 मई 2017 को तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया था। मोदी सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक-आर्थिक-मौलिक-लोकतान्त्रिक
अधिकारों की रक्षा के लिए फैसला करके अगस्त की महत्वपूर्ण घटनाओं में तीन तलाक भी इतिहास के पन्नों में दर्ज
हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
की सरकार हर वर्ग के सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार को समर्पित है। कुछ लोगों का कुतर्क
होता है कि मोदी सरकार को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं के तलाक की ही चिंता क्यों है? उनके आर्थिक, सामाजिक, शैक्षिक सशक्तिकरण के लिए
कुछ क्यों नहीं करते ? तो इन पिछले 6 वर्षों में मोदी सरकार के समावेशी विकास-सर्वस्पर्शी सशक्तिकरण के प्रयासों का
लाभ समाज के सभी वर्गों के साथ मुस्लिम महिलाओं को भी भरपूर हुआ है। देश की आधी आबादी
और मुस्लिम महिलाओं के लिए यह दिन संवैधानिक-मौलिक-लोकतांत्रिक एवं समानता के अधिकारों
का दिन बन गया। यह दिन भारतीय लोकतंत्र और संसदीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों का हिस्सा
रहेगा।
मुस्लिम देशों में भी लागू कानून
उन्होंने कहा कि दुनिया के कई प्रमुख इस्लामी देशों ने बहुत पहले ही ‘तीन तलाक’ को गैर-क़ानूनी और गैर-इस्लामी घोषित
कर ख़त्म कर दिया था। मिस्र दुनिया का पहला इस्लामी देश है जिसने 1929 में ‘तीन तलाक’ को ख़त्म किया, गैर क़ानूनी एवं दंडनीय अपराध बनाया। 1929 में सूडान ने तीन तलाक पर प्रतिबन्ध लगाया।‘1956 में पाकिस्तान ने, 1972 बांग्लादेश, 1959 में इराक, सीरिया ने 1953 में, मलेशिया ने 1969 में इस पर रोक लगाई। इसके अलावा साइप्रस, जॉर्डन, अल्जीरिया, ईरान, ब्रूनेई, मोरक्को, क़तर, यूएई जैसे इस्लामी देशों ने तीन तलाक ख़त्म किया और कड़े
क़ानूनी प्रावधान बनाये। लेकिन भारत को मुस्लिम महिलाओं को इस कुप्रथा के अमानवीय जुल्म
से आजादी दिलाने में लगभग 70 साल लग गए।
23July-2020
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