भारतीय रेलवे को 2030 तक हरित रेलवे के रूप में तब्दील करने का लक्ष्य
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे को विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ वर्ष 2030 तक शून्य कार्बन
उत्सर्जन यानि ‘हरित रेलवे’ जन परिवहन नेटवर्क के रूप में तब्दील करने के लक्ष्य
को मिशन मोड पर तेज कर दिया गया है। इसके लिए भारतीय रेलवे ने 2023 तक सभी ब्रॉडगेज
मार्गो का विद्युतीकरण करके सौर और पवन ऊर्जा के जरिए रेलवे के बिजली ग्रिड़ो को
ऊर्जा की आपूर्ति करने का लक्ष्य तय किया है। ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन
की चुनौती से निपटने की दिशा में रेलवे ने खाली पड़ी रेलवे की 51 हजार हैक्टेयर
भूमि पर 20 गीगावॉट क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। रेल
मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में समूची रेलवे को
सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा आधारित बनाने की दिशा में देशभर में रेलवे की खाली पड़ी
भूमि पर सौर संयत्र स्थापित करने के काम को मिशन मोड पर चलाया जाएगा। इसके लिए
भारतीय रेलवे के संयुक्त उपक्रम रेलवे एनर्जी मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड को इन सौर ऊर्जा संयंत्र
स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस कंपनी में लवे की 49 फीसदी और राइट्स लिमिटेड की 51 फीसदी हिस्सेदारी है। इन संयंत्रों
से उत्पादित
होने वाली
बिजली की केंद्र और राज्यों
के ग्रिडों या सीधे 25 केवी एसी
कर्षण प्रणाली को आपूर्ति की जाएगी। रेल मंत्रालय के ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन
की चुनौती से निपटने की दिशा में वर्ष 2030 तक भारतीय रेलवे को पूरी तरह ‘हरित रेल’ यानि शून्य कार्बन
उत्सर्जन के जन परिवहन के रूप में तब्दील करने लक्ष्य को हासिल करने के लिए सौर और
पवन ऊर्जा के उत्पादन पर काम को मिशन मोड़ पर तेज करना शुरू कर दिया है। रेल
मंत्रालय के अनुसार सौर ऊर्जा के क्षेत्र में डेढ सौ मेगावाट क्षमता से ज्यादा वाले बिजली संयंत्र पहले ही
चालू हो चुके हैं। इनमें मध्य प्रदेश के बीना 107 मेगावाट, छत्तीसगढ के भिलाई में 50 मेगावाट
और हरियाणा दीवाना में दो मेगवाट के संयंत्र शामिल है। इसी प्रकार रेलवे का अगले 2 वर्षों में तमिलनाडु, गुजरात, राजस्थान और कर्नाटक में 200 मेगावाट क्षमता वाले पवन ऊर्जा
संयंत्र स्थापित करने की योजना है। भारतीय रेलवे के विद्युतीकरण, लोकोमोटिव और ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता
में सुधार के अलावा स्थाई उपकरणों
और प्रतिष्ठानों के साथ रेलवे स्टेशनों के लिए हरित प्रमाणन हासिल करने, डिब्बों में जैव शौचालय बनाए जाने
तथा अपनी ऊर्जा जरुरतों के लिए नवीकरणीय स्रोतों पर निर्भरता तथा शून्य कार्बन उत्सर्जन
को प्राप्त करना इस रणनीति का हिस्सा है।
2023 तक विद्युतीकृत होगा समूचा रेलवे ट्रैक
रेलवे बोर्ड के मुताबिक भारतीय रेलवे ने रेलवे ट्रैक के विद्युतीकरण परियोजना में अब तक 40 हजार से अधिक व्यस्त मार्गों में
से 63
फीसदी मार्ग का विद्युतीकरण
पूरा कर लिया है, जिसमें
2014-20
के दौरान
18,605
किलोमीटर
मार्ग का विद्युतीकरण कार्य हुआ है। जबकि 2009-14 के दौरान केवल 3,835 किमी मार्ग का विद्युतीकरण
हो
पाया था। भारतीय
रेलवे का
मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21
के दौरान 7000 किलोमीटर रेल मार्ग के
विद्युतीकरण करने का लक्ष्य
हे।
रेलवे ने व्यस्त
नेटवर्क के सभी मार्गों के दिसंबर 2023 तक विद्युतीकरण करने की योजना बनाई गई है। विद्युतीकरण के तेजी से जारी
कार्य को कोरोना संकट में भी ब्रेक नहीं दिया गया है और इस दौरान 365 किमी प्रमुख मार्गो का काम
पूरा किया गया है।
रेलवे स्टेशनों पर 100 मेगावॉट ऊर्जा संयंत्र तैयार
भारतीय रेलवे ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए की जा रहीइस पहल के तहत रूफ टॉप सोलर पैनल (डेवलपर
मॉडल) के जरिए 500
मेगावाट
ऊर्जा क्षमता का दोहन करने के मकसद से अब तक देश
में 900 स्टेशनों
और विभिन्न इमारतों की छतों पर
100 मेगा वाट क्षमता वाले सौर
संयंत्र लगाए हैं। जबकि 400 मेगावाट की संयुक्त क्षमता वाले सौर संयंत्र स्थापना का काम विभिन्न चरणों में हैं। इनमें
से 245 मेगावाट क्षमता वाले सौर संयंत्रों
के लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं और दिसंबर 2022 तक इन संयंत्रों
को पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है।
69 हजार कोचों में जैव-शौचालय
रेलवे के अनुसार भारतीय रेलवे को हरित रेलवे का रूप देने की दिशा में की जा
रही पहल के तहत अपनी रेलगाडि़यों के कुल 69,000 डिब्बों
में 2,44,000
से अधिक
जैव-शौचालय लगाए हैं। वहीं अबतक505 जोड़ी ट्रेनों में ‘हेड ऑन जेनरेशन’ तकनीक का इस्तेमाल किया चुका है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 70 मिलियन लीटर डीजल के साथ 450 करोड़ रुपये की बचत की संभावना
है। रेलवे
ने यह कार्य अपनी सभी
8 उत्पादन इकाइयों और 12 कार्यशालाओं में ऊर्जा दक्षता हासिल
करने के लिए सीआईआई के साथ करार के तहत पूरा किया है।
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मध्य प्रदेश में 107 मेगावाट की परियोजना
रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे की बीएचईएल के सहयोग से मध्य प्रदेश के बीना में
ट्रैक्शन सब स्टेशन (टीएसएस) के पास 107
मेगावाट की परीक्षण के तहत एक परियोजना पहले ही स्थापित हो चुकी है, जिसके 15 दिनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है। यह दुनिया में अपनी तरह की ऐसी पहली
परियोजना है, जिसमें
रेलवे के ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे फीड करने के लिए डायरेक्ट करंट (डीसी) को
सिंगल फेज अल्टरनेटिंग करंट (एसी) में बदलने के लिए अभिनव तकनीक को अपनाया गया है।
इससे सालाना करीब 25 लाख यूनिट ऊर्जा के उत्पादन
से रेलवे के लिए हर साल करीब 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।
छत्तीसगढ़ में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र
भारतीय रेलवे की विद्युत कर्षण ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूमि
आधारित सौर संयंत्रों की योजना के लिए एक पायलट परियोजना कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनमें एक छत्तीसगढ़ के भिलाई में
रेलवे की खाली पड़ी अनुपयोगी भूमि पर 50
मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र है, जो केंद्रीय पारेषण
उपयोगिता (सीटीयू) से जुड़ा होगा और इसके 31 मार्च 2021 से पहले चालू करने का
लक्ष्य है।
हरियाणा में दो मेगावाट
मंत्रालय के अनुसार इसी प्रकार पायलट परियोजना के रूप में हरियाणा के दीवाना
में 2 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित
किया जा रहा है, जो
राज्य ट्रांसमिशन उपयोगिता (एसटीयू) से जुड़ा होगा। इस परियोजना के अगले महीने अगस्त
में चालू होने की उम्मीद है। रेलवे के अनुसार इन मेगा योजनाओं के साथ भारतीय रेलवे
जलवायु परिवर्तन की चुनौती के खिलाफ भारत की लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है और एक
शून्य कार्बन उत्सर्जन परिवहन प्रणाली बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा
करने और भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को पूरा करने की
दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
14July-2020
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