भारत की आर्थिक चोट से बौखलाया चीन
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारत द्वारा कायराना हरकतों के बाद जिस प्रकार चीन को लगातार आर्थिक चोट देने
का सिलसिला जारी है उसमें सबसे पहले लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसा बाद
भारतीय रेलवे ने ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के सिग्नल और दूरसंचार कार्य के
लिए एक चीनी कंपनी को दिया गया ठेका रद्द किया था। भारत के ऐसे
सख्त एक्शन से बौखालए चीन की कंपनी ने भारतीय रेलवे के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में
मुकदमा दायर किया है।
यह जानकारी देते हुए शनिवार का रेलवे की परियोजनाओं को क्रियान्वयन करने वाली भारतीय रेलवे
की एजेंसी
डेडीकेटेड फ्रेंट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान
ने बताया कि भारत-चीन में जारी तनाव के बीच गत 18 जून को भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी
के साथ 471 करोड़ रुपये का करार रद्द करने का निर्णय लिया था,
जिसके बाद बीजिंग
नेशनल रेलवे रिसर्च एडं डिजाइन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को 14 दिन का नोटिस देने के बाद 471 करोड़ रुपये के ठेके का निरस्तीकरण पत्र जारी किया गया है। इस चीनी कंपनी ने इस
निरस्त किये गये ठेके को लेकर भारतीय रेलवे पर दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमा दायर
किया है।
चार साल में 20 फीसदी काम
डीएफसीसीआईएल के एमडी सचान के मुताबिक भारतीय रेलवे ने इस चीनी
कंपनी को वर्ष 2016 में इस कंपनी को इसके अलावा कानपुर-दीन दयाल उपाध्याय सेक्शन पर
471 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजना के तहत 417 किलोमीटर की दूरी में सिग्नलिंग व
टेलीकम्युनिकेशंस का काम का दिया गया था। इसके अलावा सिग्नल लगाने काम को भी यह कंपनी पिछले चार साल में केवल 20 फीसदी
ही कर पाई है। रेलवे की इन परियोजनाओं के काम की धीमी चाल के कारण इस ठेके को रद्द करने का फैसला किया गया।
उन्होंने जानकारी दी कि इस ठेके को निरस्त करने का प्रमुख कारण यह भी है कि यह चीनी कंपनी
समझौते के मुताबिक तकनीकी दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए अनिच्छुक रही, इसलिए
यह चीनी कंपनी इंजिनीयर्स और अधिकृत अधिकारी साइट पर देने में सक्षम नहीं है, जोकि एक गंभीर अड़चन बनी हुई थी। भारतीय
कंपनी के अनुसार इसके लिए चीन की इस कंपनी से कई स्तर पर बैठकें हो चुकी हैं, लेकन चीनी कंपनी करार के तहत
कोई सुधार करने को तैयार नजर नहीं आई।
19July-2020
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