जहाजरानी मंत्रालय ने तैयार किया नौवहन सहायता विधेयक का मसौदा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने पीएम मोदी की ‘नया भारत’ की सोच के अनुरुप अब नौवहन क्षेत्र
में अंग्रेजी हकूमत यानि नौ दशक पुराने पुराने लाइटहाउस अधिनियम-1927 को बदलने के लिए नए नौवहन
सहायता विधेयक-2020 का मसौदा तैयार किया है, जिसे आगामी संसद के सत्र में पेश करने
पर विचार किया जा रहा है।
केंद्रीय जहाजरानी मंत्रालय के अनुसार शासन में लोगों की भागीदारी और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सोच के अनुरुप जहाजरानी मंत्रालय ने नौ दशक पुराने
लाइटहाउस अधिनियम-1927 को बदलने
के लिए नये
कानून के रूप में नौवहन सहायता विधेयक-2020 का मसौदा तैयार किया है। मंत्रालय
ने इस विधेयक को अंतिम रूप देने के लिए हितधारकों और आम जनता से सुझाव आंमत्रित करने के इस विधेयक के मसौदे को
सार्वजनिक रूप से जारी किया है। मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक का यह मसौदा लगभग नौ दशक
पुराने लाइटहाउस अधिनियम-1927 को बदलने
के मकसद
से तैयार किया गया है, ताकि इस नए
विधेयक में सर्वोत्तम
वैश्विक प्रथाओं, तकनीकी
विकास और समुद्री नौवहन के क्षेत्र में भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को समाहित
किया जा सके। इस विधेयक
का मसौदा प्रकाश स्तंभ और प्रकाश पोत महानिदेशालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है, जहां आम नागरिक विधेयक के मसौदे
के बारे में 24 जुलाई तक अपने सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं।
क्या हैं विधेयक में प्रावधान
मंत्रालय के अनुसार इस नए विधेयक का मसौदा पोत परिवहन सेवाओं, रेक फ़्लैगिंग, प्रशिक्षण और प्रमाणनतथा उन अंतर्राष्ट्रीय
संधियों जिन पर भारत हस्ताक्षर कर चुका है, इसके तहत अन्य दायित्वों के निर्वहन
के लिए प्रकाशस्तंभ और प्रकाशपोत महानिदेशालय को अतिरिक्त अधिकार और शक्तियां प्रदान
करता है। इसमें प्राचीन धरोहरों के रूप में मौजूद प्रकाश स्तंभों की पहचान करने और
उनका विकास करने की भी व्यवस्था का प्रावधान है। मसौदा विधेयक में नौवहन में बाधा डालने और किसी तरह
का नुकसान पहुंचाने तथा केंद्र सरकार और अन्य निकायों द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन
नहीं किये जाने पर दंडात्मक व्यवस्थाओं और ऐसे कार्यों को अपराध की श्रेणी में रखने
के लिए एक नई सूची बनाई गई है। समुद्री नौवहन के लिए उन्नत आधुनिक तकनीकी से लैस सहायक
उपकरणों के आ जाने से समुद्री नौवहन को विनियमित करने और संचालित करने वाले अधिकारियों
की भूमिका भी काफी बदल गई है। इसलिए प्रस्तावित नए कानून में प्रकाश स्तंभ के स्थान
पर नौवहन के लिए आधुनिक सहायक सामग्रियों के इस्तेमाल पर बल दिया गया है। इस मसौदा विधेयक में नौवहन में
बाधा डालने और किसी तरह का नुकसान पहुंचाने तथा केंद्र सरकार और अन्य निकायों द्वारा
जारी निर्देशों का अनुपालन नहीं किये जाने पर दंडात्मक व्यवस्थाओं औरऐसे कार्यों
को अपराध की श्रेणी में रखने के लिए एक नई सूची बनाई गई है।
पुराने कानूनों के निरस्तीकरण का हिस्सा
केंद्रीय जहाजरानी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मनसुख मंडाविया ने कहा कि यह
पहल उनके मंत्रालय द्वारा पुरातन औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त करने और उसके स्थान
पर समुद्री परिवहन क्षेत्र की आधुनिक और समकालीन आवश्यकताओं के अनुरूप नई व्यवस्था
करने के सक्रिय दृष्टिकोण का हिस्सा है। मंडाविया ने कहा कि जनता और हितधारकों के सुझाव
कानून के प्रावधानों को मजबूत करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य समुद्री
नौवहन की अत्याधुनिक तकनीकों को विनियमित करना है जो पहले लाइटहाउस एक्ट-1927 के वैधानिक प्रावधानों में
उलझी हुई थी।
11July-2020
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