सोमवार, 13 जुलाई 2020

भारतीय रेलवे का ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन पर मेगा प्लान


2030 तक ज़ीरोकार्बन उत्सर्जनवाले जनपरिवहन नेटवर्क में बदलेगी रेल 
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ व हरियाणा में पहले चालू होंगी सौर ऊर्जा परियोजनाएं
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।  
भारतीय रेलवे ने खुद की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने की दिशा आत्मनिर्भर होने के लिए अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं को मिशन मोड पर शुरू करने की मेगा योजना बनाई है। इसके लिए रेलवे की खाली भूमि का इस्तेमाल करके 2 गीगावॉट की सौर परियोजनाओं की निविदांए भी जारी कर दी है। इस योजना में समूची भारतीय रेल को 2030 तक जीरो ‘कार्बन उत्सर्जन’ वाले जन परिवहन नेटवर्क में तब्दील करने का लक्ष्य तय किया गया है।
रेल मंत्रालय के अनुसार रेल मंत्री पीयूष गोयल के रेलवे को जीरो ‘कार्बन उत्सर्जन’ वाले जन परिवहन में बदलने के लिए शुरू किये गये अभियान को गति देने के लिए इस योजना को मिशन मोड पर तेज किया जाएगा। इससे निर्णय से जहां भारतीय रेलवे की ऊर्जा की जरुरतें सौर परियोजनाओं द्वारा पूरी की जाएंगी, वहीं भारतीय रेल ऐसा पहला पहला जन परिवहन का जरिया बनेगा, जिसमें रेलवे ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होगा। मंत्रालय ने ऊर्जा के इस्तेमाल के लिए भारतीय रेलवे देश में बडे पैमाने पर खाली पड़ी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगा। हरित ऊर्जा खरीद के मामले में अग्रणी भारतीय रेलवे ने एमसीएफ रायबरेली (यूपी) में स्थापित 3 मेगावाट के सौर संयंत्र जैसे विभिन्न सौर परियोजनाओं से ऊर्जा खरीद शुरू की है। भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों और भवनों पर लगभग 100 मेगावाट वाले सौर पैनल पहले से ही चालू हो चुके हैं। रेलवे ऊर्जा प्रबंधन कंपनी लिमिटेड (आईएमसीएल) मेगा पैमाने पर सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने के प्रयास शुरू कर दिये हैं। अप्रयुक्त रेलवे भूमि पर पहले ही भारतीय रेलवे 2 गीगावॉट की सौर परियोजनाओं के लिए निविदाएं जारी कर चुका है। जबकि रेलवे पटरियों पर 1गीगावाट के सौर संयंत्रों की स्थापना के लिए एक और निविदा भी आरईएमसीएल द्वारा जल्द ही जारी करने की योजना है।
मध्य प्रदेश में 107 मेगावाट की परियोजना
रेल मंत्रालय के अनुसार रेलवे की बीएचईएल के सहयोग से मध्य प्रदेश के बीना में ट्रैक्शन सब स्टेशन (टीएसएस) के पास 1.7 मेगावाट की परीक्षण के तहत एक परियोजना पहले ही स्थापित हो चुकी है, जिसके 15 दिनों के भीतर चालू होने की उम्मीद है। यह दुनिया में अपनी तरह की ऐसी पहली परियोजना है, जिसमें रेलवे के ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे फीड करने के लिए डायरेक्ट करंट (डीसी) को सिंगल फेज अल्टरनेटिंग करंट (एसी) में बदलने के लिए अभिनव तकनीक को अपनाया गया है। इससे सालाना करीब 25 लाख यूनिट ऊर्जा के उत्पादन से रेलवे के लिए हर साल करीब 1.37 करोड़ रुपये की बचत होगी।
छत्तीसगढ़ में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा संयंत्र
भारतीय रेलवे की विद्युत कर्षण ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूमि आधारित सौर संयंत्रों की योजना के लिए एक पायलट परियोजना कार्यान्वित की जा रही हैं, जिनमें एक छत्तीसगढ़ के भिलाई में रेलवे की खाली पड़ी अनुपयोगी भूमि पर 50 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र है, जो केंद्रीय पारेषण उपयोगिता (सीटीयू) से जुड़ा होगा और इसके 31 मार्च 2021 से पहले चालू करने का लक्ष्य है।
हरियाणा में दो मेगावाट
मंत्रालय के अनुसार इसी प्रकार पायलट परियोजना के रूप में हरियाणा के दीवाना में 2 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किया जा रहा है, जो राज्य ट्रांसमिशन उपयोगिता (एसटीयू) से जुड़ा होगा। इस परियोजना के अगले महीने अगस्त में चालू होने की उम्मीद है। रेलवे के अनुसार इन मेगा योजनाओं के साथ भारतीय रेलवे जलवायु परिवर्तन की चुनौती के खिलाफ भारत की लड़ाई का नेतृत्व कर रहा है और एक शून्य कार्बन उत्सर्जन परिवहन प्रणाली बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने और भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है।
07July-2020

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