अरुणाचल प्रदेश में सभी ग्रामीण परिवारों को 2023 तक मिलेगा पानी
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
देश के इस सीमांत राज्य यानि चीन से सटे अरुणाचल प्रदेश की हरियाली वादियों में दो हजार फीट की ऊंचाई
पर बसे एक छोटे से गांव सेरिन में पहली बार खुशियां मनाने का मौका मिला है। इसका
कारण इस बेहद दुर्गम इलाके के इस गांव में केंद्र सरकार के ‘जल जीवन मिशन’के
मुश्किल भरे कार्यान्वयन को पूरा करके सभी घरों को नल कनेक्शन के जरिए पीने का
शुद्ध पानी मुहैया कराया जा चुका है। यही नहीं पूरे सूबे में ‘जल जीवन मिशन’ के
तहत सभी ग्रामीण घरों में 2023 तक जल कनेक्शन के जरिए पीने का पानी उपलब्ध करा
दिया जाएगा।
केंद्र सरकार के देश में ग्रामीण घरों को नल कनेक्शन के जरिए पीने का पानी
उपलब्ध कराने के लिए चलाये जा रहे ‘जल जीवन मिशन’ के तहत पहाडी इलाकों और पूवोत्तर
राज्यों के दुर्गम इलाकों में इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन बेहद कठिन है। केंद्रीय
जल शक्ति मंत्रालय के मुताबिक इसके बावजूद अरुणाचल प्रदेश कामले जिले के तमेन–रागा प्रखंड में स्थित की हरी वादियों
में 2,000 फीट की ऊंचाई पर बसे अनोखे
गांव सेरिन में खुशियां मनाने के अब सभी कारण
हैं। ऐसे दूरदराज के इलाके में बसे
इस छोटे से गांव तक पहुंचना भी कोई आसान
काम नहीं है। मसलन चीन से सटे इस राज्य में इस सेरिन गांव में पहुंचने के लिए किसी को एक दिन दुर्गम पैदल चलकर जाना पड़ता
है। वास्तव
में यह इलाक़ा
इस कदर
दुर्गम
है और यहां के लोगों का जीवन भी काफी कठिन है। मंत्रालय के अनुसार सेरिन गांव और उसके निकटतम
पक्की सड़क के बीच की दूरी 22 किमी है।
इस गांव में न्यासी जनजातीय लोग रहते हैं, जिनकी कुल आबादी 130 है। लेकिन जल जीवन मिशन के
तहत सभी घरों को नल कनेक्शन देने के बाद उपलब्ध हुए पीने के पानी के बाद अब यहां
के ग्रामीणों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। क्योंकि इससे पानी लाना एक समय साध्य और विशेष रूप से सेरिन गांव के बुजुर्ग लोगों के लिए कठिन
काम था,
जिन्हें पास के
झरना स्रोतों से पानी लाना पड़ता था, लेकिन अब सेरिन जलापूर्ति योजना की कठिन डगर को आसान बनाने के बाद यहां हर घर में नल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं।
आसान नहीं था मिशन
अरुणाचल प्रदेश के गांव सेरिन में जलापूर्ति
परियोजना को लागू करना एक कठिन कार्य था। चूंकि पहाड़ की चोटी पर रेत, दाद, पत्थर इत्यादि जैसी सभी नदी सामग्री
को गांव के नीचे काफी दूर स्थित नदियों से जमा करना था। इसके अलावा स्टील, सीमेंट, पाइप आदि जैसे भारी सामानों को पास
की सड़क से सिर पर लादकर ले जाना पड़ता था। परियोजना की उच्च संचालन लागत स्थानीय स्तर
पर कुशल मजदूरों की अनुपलब्धता के कारण कई गुना बढ़ गई और इस तरह परियोजना के सामने
कई चुनौतियां पेश आईं। लेकिन पीएचई विभाग ने सावधानीपूर्वक इसकी योजना बनाई और फिर
इसे पूरा कर लिया गया। इसी मिशन में प्रदेश में ऊपरी सियांज जिले में
3,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक
अन्य 79
घरों में 380 की आबादी वाले गांव डलबिंग में इस प्रकार की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई गई। यही नहीं प्रदेश के सबसे पूर्वी ज़िले
लोंगडिंग में लगभग 3900 फीट की
ऊंचाई पर स्थित एक अन्य गांव पुमाओ में स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय बनाए गए थे, लेकिन पानी की आपूर्ति शुरू होने के बाद अब इनका
उपयोग कर गांव में खुशी की लहर है।
राज्य में तीन साल में मिशन होगा पूरा
जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत वर्ष 2023 तक राज्य के सभी घरों को 100 प्रतिशत नल जल कनेक्शन प्रदान
करने का निर्णय लिया है। खासतौर पर पहाड़ी इलाकों में घर की महिलाओं पर घर से काफी दूर जाकर पानी लाने का भारी बोझ
रहता है, जो उनके शरीर के लिए काफी
कष्टकारी होता है। उनकी तकलीफों को कम करने के लिए यह जल जीवन मिशन एक वरदान के रूप
में आया है। राज्यों को स्थानीय स्तर पर आपूर्ति किए गए पानी के परीक्षण के लिए फील्ड
टेस्ट किट का उपयोग करने के लिए हर गांव में पांच लोगों विशेष रूप से महिलाओं को प्रशिक्षित
करना आवश्यक है।
19July-2020
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