शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

राग दरबार:राहुल सियासी मुकाम


कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल
देश में प्रचलित कहावतजिसके घर शीशे को हों-वे दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंका करते..’ कांग्र्रेस जैसी बुजुर्ग राजनीतिक पार्टी पर सटीक बैठती है, खासकर कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी, जो कोरोना काल में भी मोदी सरकार के खिलाफ आलोचनात्मक जंग लड़ते नजर आ रहे हैं। शायद जिस प्रकार से राहुल सियासी मुकाम बनाने का प्रयास कर रहे हैं। शायद राहुल की इसी नकारात्मक नीति का नतीजा है कि कांग्रेस की सियासत तेजी के साथ हिचकोले ले रही है और उसकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा उसका सकारात्मक नीति के साथ सियासी फायदा लेने का लुफ्त ले रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के बाद देश के पहले गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल को कांग्रेस द्वारा नजरअंदाज होता देख जिस प्रकार से भाजपा ने पटेल को सम्मान देकर कांग्रेस की विरासत को छीना है, उससे कांग्रेस हलकान है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के खासमखास युवा जिस प्रकार पार्टी से छिटक रहे है उससे कांग्रेस चौतरफा सियासी मुश्किलों से घिरी है। इसी प्रकार कांग्रेस में नजरअंदाज पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव को भाजपा जिस प्रकार लगातार सम्मान दे रही है, तो शायद वहीं कांग्रेस पार्टी अब पार्टी के डैमेज कंट्रोल करने के प्रयास में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की जन्मशताब्दी के मौके पर कांग्रेस ने श्रद्धांजलि देती नजर आई जो इससे पहले राव पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए जाते रहे। राजनीतिकार मानते हैं कि भाजपा कांग्रेस काल के ऐसे महापुरुषों व नेताओं पर नजर लगाए हुए है, जिन्हें कांग्रेस लगातार नजरअंदाज करती आ रही है, जबकि भाजपा समेत अन्य राजनीतिक दल भी ऐसे नेताओं का सम्मान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सियासी गलियारों में यहां तक कहा जा रहा है कि नरसिम्हा राव को लेकर सोनिया और राहुल ने अब जिस प्रकार से नरसिम्हा राव के कसीदे पढ़ने शुरू किये हैं, उससे यही लगता है कि यह प्रयास ही कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल...!
निगेटिव का सम्मान
वैश्विक कोरोना महामारी ने सत्य और असत्य के सिद्धांत के आचरण में समानांतर चलने वाले सकारात्मक व नकारात्मक शब्दों की तुलनात्मक दिशा कैसे बदल दी, इसकी तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। मसलन सकारात्मक आचरण को सम्मान मिलता रहा है और नकारात्मकता को हमेशा नकारा गया है यानि सकारात्मक आचरण या कोई गतिविधि सबको पसंद रही है। इसके कोरोना काल में निगेटिव शब्द पूरी दुनिया को पसंद आ रहा है। कोरोना महामारी के फोबिया विश्वभर के हर इंसान को इस दौरान निगेटिव शब्द बेहद पसंद आ रहा है, क्योंकि जिस प्रकार से कोरोना संक्रमण ने पावं पसार रखे हैं उसमें कोई भी इंसान अपने परीक्षण में पॉजेटिव शब्द से नफरत करता नजर आ रहा है और यही चाहता है कि उसकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाए बस? हालांकि स्वास्थ्य के क्षेत्र में पॉजेटिव शब्द पहले से खतरे का संकेत माना गया है, लेकिन निगेटिव शब्द कोरोना काल में पॉजेटिव से आगे निकलकर इंसानों में सम्मान का शब्द बनने लगा है और इस दौर में हर इंसान को निगेटिव शब्द से प्रेम होने लगा है। एक व्यंगकार ने निगेटिव और पॉजेटिव शब्द की इस कोरोना काल में जिस प्रकार से सामाजिक रूप में व्याख्या की है उसमें वास्तव में निगेटिव शब्द को ही सम्मान मिल रहा है!
26July-2020

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