शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

आत्मनिर्भर भारत: केंद्रीय सुरक्षा बलों की सहेत का ख्याल रखेगा केवीआईसी



अब आईटीबीपी जवानों को मिलेगा शुद्ध सरसों के तेल से बना भोजन
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटिनों में स्वदेशी सामान की बिक्री के तहत सुरक्षा बलों की सहेत का ख्याल रखते हुए खादी और ग्रामोद्योग आयोग यानि केवीआईसी स्वदेशी सामान मुहैया कराएगा, जिसमें खासकर चीन सीमाओं पर तैनात आईटीबीपी के जवानों को शुद्ध सरसों के तेल में बना भोजन मुहैया कराया जाएगा। इसके लिए आईटीबीपी और केवीआईसी के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गये हैं।
केंद्रीय सूक्ष्म, मध्यम एवं लघु उद्यम मंत्रालय के अनुसार शुक्रवार को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानि आईटीबीपी के बीच केवीआईसी से स्वदेशी सामान खरीदने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते पर केवीआईसी के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना और आईटीबीपी मुख्यालय के प्रोविजनिंग ऑफिस की और से वरिष्ठ अधिकारियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत आईटीबीपी जवानों के भोजन के लिए 1200 कुंतल सरसों के शुद्ध तेल केवीआईसी से खरीदा जा रहा है ,जिसकी कीमती 1.72 करोड़ 80 हजार रुपये होगी। मसलन अब चीन या अन्य देश की सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवानों के भोजन में किसी कंपनी का नहीं, बल्कि स्वदेशी शुद्ध सरसों के तेल से बना भोजन मिलेगा। केंद्रीय सरुक्षा बलों में आईटीबीपी अग्रणी बल है, जो सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के लिए 17 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से कुल 2.5 लाख दरी की खरीदारी केवीआईसी के माध्यम से करने जा रहा है, जिसमें योगा किट भी शामिल होंगी चीन के साथ लगती 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की रक्षा के लिए पर्वतीय-युद्ध में प्रशिक्षित यह बल इस तरह का समझौता करने वाला अर्धसैनिक बल या सीएपीएफ में से पहला है। अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ और एसएसबी शामिल हैं।
अन्य स्वदेशी सामान की आपूर्ति
उधर आईटीबीपी के जनसंपर्क अधिकारी विवेक पांडेय ने इस समझौते की पुष्टि करते हुए बताया कि भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने शुक्रवार को केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लाखों कर्मियों के लिए विभिन्न प्रकार के 'स्वदेशी' और 'खादी' सामान की खरीद के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के साथ यह करार किया है। समझौते के शुरूआत सरसों का तेल की खदीद से की गई है, लेकिन अन्य दूसरे सामानों की आपूर्ति भी केंद्रीय सुरक्षा बलों को स्वदेशी सामानों के इस्तेमाल हेतु केवीआईसी आपूर्ति करेगा। इस करार के विस्तार की चर्चा के तहत केवीआईसी के जरिए से केंद्रीय सुरक्षा बलों द्वारा इस्तेमाल होने वाले दरी, कंबल और तौलिये, अस्पताल की चादर, खादी की वर्दी, अचार आदि अन्य स्वदेशी आवश्यक सामानों आपूर्ति का रास्ता प्रशस्त किया गया है, जिसके लिए केवीआईसी के साथ चर्चा चल रही है।
कैंटिनों में स्वदेशी सामान की बिक्री
गौरतलब है कि पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत मिशन के ऐलान के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश में केंद्रीय सुरक्षा बलों की केंटिनों में स्वदेशी सामानों की बिक्री को अनिवार्य करने के आदेश दिये थे, जिसका मकसद 'स्वदेशी' उत्पादों की खरीद को प्रोत्साहन देना है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस ऐलान के बाद सीएपीएफ कैंटीन केवल एक जून से केवल स्वदेशी या स्वदेश निर्मित उत्पाद की बिक्री कर रही है। आईटीबीपी सभी सीएपीएफ के लिए सामानों की खरीद के लिए नोडल एजेंसी है, जो स्वदेशी सामानों की खरीद को बढ़ावा दे रहा है।  
01Aug-2020

‘तीन तलाक’ कानून से बढ़ा मुस्लिम महिलाओं के आत्मविश्वास: नकवी


 मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में मनी ‘तीन तलाक’ कानून की वर्षगांठ
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राजनीतिक सशक्तिकरण की प्रतिबद्धता के तहत पिछले साल ‘तीन तलाक’ कानून लागू करने से देश में मुस्लिम महिलाओं में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास बढ़ा है। तीन तलाक को अपराध बनाने का ही नतीजा है कि एक साल में तीन तलाक के मामलों में 82 फीसदी कमी आई है।
यह बात शुक्रवार को मुस्लिम महिलाएं (शादी पर अधिकारों के संरक्षण) अधिनियम-2019 यानि ‘तीन तलाक’ कानून की पहली वर्षगांठ पर यहां नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कही है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अपने संबोधन में नकवी ने कहा कि तीन तालक या तालाक-ए-बिद्दत न तो इस्लामिक था और न ही कानूनी, लेकिन मोदी सरकार ने इसे कानूनी अमलीजामा पहनाकर मुस्लिम महिलाओं के आत्मविश्वास में इजाफा किया है। उन्होंने कहा कि एक अगस्त 2019 को संसद में पारित हुए इस कानून के बाद बाद एक साल में तीन तलाक के मामलों में 82 फीसदी से ज्यादा कमी दर्ज की गई है। नकवी ने तर्क दिया कि इसके बावजूद वोट बैंक के व्यापारियोंने इस सामाजिक बुराई को राजनीतिक संरक्षणदिया, जबकि तीन तलाक के खिलाफ इस कानून को तीन दशक पहले यानि 1980 में उस समय ही पारित किया जा सकता था, जब सुप्रीम कोर्ट ने शाह बानो मामलों में ऐतिहासिक फैसला दिया था। लेकिन वोट बैंक की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों ने मुस्लिम महिलाओं को उनके संवैधानिक और मौलिक अधिकारों को वंचित किया। नकवी ने कहा कि मोदी सरकार ने उच्चतम न्यायालय के फैसले को प्रभावी बनाने के लिए तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया। तीन तलाक की वर्षबगांठ को मुस्लिम महिला अधिकार दिवस के रूप में मनाए गये इस कार्यक्रम में नई दिल्ली, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, वाराणसी, जयपुर, मुंबई, भोपाल, हैदराबाद और तमिलनाडु के कृष्णागिरी समेत कई शहरों की मुस्लिम महिलाओं को संबोधित किया गया। इस कार्यक्रम में केंद्रीय विधि मंत्री रविशंकर प्रसाद और केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी हिस्सा लिया।                    
कांग्रेस को नही था मुस्लिम महिलाओं से सरोकार: स्मृति ईरानी
इस समारोह में देश में ‘तीन तलाक’ कानून लागू होने के एक साल पूरे होने पर आयोजित मुस्लिम महिला अधिकार दिवस पर बोलते हुए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि 1980 के दशक में कांग्रेस के पास मुस्लिम बहनों के हक में फैसला करने का मौका था, लेकिन उनके लिए वोट ज्यादा महत्वपूर्ण था मुस्लिम बहनों का जीवन नहीं। स्मृति ईरानी ने कहा कि सही जंग उन बहनों ने लड़ी, जिन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जिन्होंने इस नाइंसाफी से सभी के लिए जंग लड़ी। उन्होंने कहा कि आज का दिन सिर्फ मुसलमान बहनों का दिन नहीं है, बल्कि हर महिला का दिन है, जो चाहती है कि महिलाओं को हर दिन समाज में सम्मान मिले।
महिलाओं को मिला अधिकार: प्रसाद
केंदींय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मौके पर कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में आज देश की मुस्लिम महिलाओं को ‘तीन तलाक’ जैसी सामाजिक बुराई से छुटकारा मिल सका, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश में 2014 से बड़े बदलाव लाने के लिए उठाए जा रहे कदमों में से एक है। इस बुराई के लिए संसद और संसद के बाहर मुस्लिम महिलाओं के अधिकार के लिए जंग छेड़ी हुई थी, जिसमें वे अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए मोदी के शासनकाल में सफल हुई।  
01Aug-2020

राज्यसभा को आवंटित भूमि पर 17 साल बाद भी नहीं मिला कब्जा


उपराष्ट्रपति ने किया जवाब तलब तो हरकत में आया मंत्रालय

सभापति नायडू ने ने अधिकारियों को दिये आवश्यक कदम उठाने के निर्देश
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
राज्यसभा के सभापति एवं उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राष्ट्रीय राजधानी में वर्ष 2003 में राज्यसभा सचिवालय को आवंटित 8700 वर्ग मीटर भूमि पर 17 साल बाद भी कब्जा न मिलने पर चिंता जाहिर की। इसके लिए उन्होंने संबन्धित अधिकारियों को भूमि के कब्जे में आ रही कानूनी अड़चनों का दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये हैं।
नई दिल्ली में गुरुवार को राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने राज्य सभा सचिवालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड, भूमि और विकास कार्यालय और कानूनी परामर्शदाता के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को लेकर वर्तमान वस्तुस्थिति की समीक्षा की। इस समीक्षा बैठक में नायडू ने संबंधित अधिकारियों को उचित पहल करने का निर्देश दिया और भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिये समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि नई दिल्ली के आरके पुरम में राज्यसभा सचिवालय को 8700 वर्ग मीटर भूमि का आवंटन वर्ष 2003 में किया गया था, लेकिन इस भूमि के करीब 4384.25 वर्ग मीटर में तीन स्वयंसेवी संस्थाओं समेत विभिन्न संगठनों द्वारा कब्जा कर लिया गया था। वहीं इस भूमि के 1193.54 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में अनधिकृत झुग्गियां बस चुकी हैं। इन अनाधिकृत कब्जे को लेकर यह मामला अदालत तक भी पहुंचा, जहां अभी तक यह मामला लंबित अवस्था में विचाराधीन है। नायडू ने इस मुद्दे पर हो रही देरी पर चिंता व्यक्त करते हुए संबन्धित अधिकारियों को निर्देश दिया कि ज़मीन खाली कराने के लिए हाई कोर्ट में लंबित केस समेत अन्य सभी मुद्दों का प्रभावी समाधान जल्द से जल्द किया जाए और उसमें आ रही कानूनी अड़चनों को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। दरअसल उपराष्ट्रपति ने इस मामले के संज्ञान लेकर मंत्रालय और संबन्धित विभागों से विवरण मांगते हुए जवाब तलब किया था, जिसके बाद यह समीक्षा बैठक बुलाई गई।
राज्यसभा को हर साल करोड़ों का नुकसान
समीक्षा बैठक के दौरान मिली जानकारी के आधार पर नायडू ने कहा कि ज़मीन की कीमत और झुग्गियों को विस्थापित करने के लिए राज्य सभा 2003 में ही 1.28 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। उन्होंने यह भी स्मरण कराया कि पहले राज्यसभा टेलीविजन 30 करोड़ रुपये सालाना किराया चुकाता था, जिसे बाद में नई दिल्ली नगर पालिका परिषद के साथ बातचीत करके इस राशि को घटाकर 15 करोड़ कराया गया, लेकिन यह 15 करोड़ रुपये की धनराशि भी बड़ी है जिसमें कटौती करने की जरुरत है। नायडू ने इच्छा व्यक्त की है कि इस ज़मीन का अधिकार मिल जाने के बाद तत्काल ही राज्य सभा टेलीविजन तथा राज्य सभा सचिवालय के अधिकारियों के लिए बहु प्रतीक्षित आवास का निर्माण प्रारंभ किया जा सकेगा, ताकि खर्च की जा रहे सरकारी धन की बड़ी बचत की जा सके। बैठक में नायडू ने सचिव, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को निर्देश दिया कि वे शीघ्रातिशीघ्र सभी संबन्धित अधिकारियों की बैठक बुलाकर इस कार्रवाई में तेजी लाने का प्रयास करें।
31July-2020