शनिवार, 30 जनवरी 2021

अगले पांच साल में सड़क हादसों में मौतों को आधा करने का लक्ष्य

ाष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह अभियान शुरू करते हुए बोले केंद्रीय नितिन गडकरी हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में दुनिया के मुकाबले सड़क हादसों में मरने वालों की सर्वाधिक संख्या पर अंकुश लगाने की दिशा में केंद्र सरकार का लक्ष्य अगले पांच साल के भीतर 50 फीसदी कम करने का लक्ष्य है। केंद्र सरकार ने नए मोटर वाहन व सड़क सुरक्षा कानून में इस प्रकार के विशेष प्रावधान किये हैं, जिसमें देश की परिवहन व्यवस्था को दुरस्त करना पूरी तरह से संभव है। यह बात सोमवार को यहां नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित पहले राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा महीने की शुरूआत के लिए आयोजित समारोह का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कही है। गडकरी ने कहा कि अगर हम 2030 तक इंतजार करते, तो सड़क दुर्घटना में छह-सात लाख लोग और मर जाएंगे। इसलिए मंत्रालय ने एक संकल्प लिया है कि 2025 से पहले सड़क दुर्घटनाओं और इसके कारण से होने वाली मौतों को 50 फीसदी से नीचे लाया जाए। इसके लिए सड़क सुरक्षा क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों और संस्थाओं के अलावा अन्य संस्थाओं की सहायता ली जा रही है, जिसमें तकनीकी सहायता भी शामिल है। उन्होंने कहा कि सड़क हादसों पर अंकुश लगाने की दिशा में मंत्रालय ने मोटर वाहन अधिनियमों में व्यापक बदलाव करने के साथ हर साल मनाए जाने वाले सड़क सुरक्षा सप्ताह को विस्तार देकर एक माह का जागरूता अभियान शुरू किया गया है। गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार सड़क की चोटों और मौतों को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। विभिन्न पहलों के साथ नीतिगत सुधारों और सुरक्षित प्रणालियों को अपना कर 2030 तक भारतीय सड़कों पर शून्य सड़क घातक दृष्टि प्राप्त करने की दिशा में कई कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा सरकार मानती है कि इस लक्ष्य को तभी हासिल किया जा सकता है, जब सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता में जनभागीदारी शामिल हो। गडकरी ने सुझाव दिया कि सभी सांसदों, विधायकों और अन्य जनप्रतिनिधियों को जिला स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति के माध्यम से एक मंच प्रदान करना चाहिए। वहीं पुलिस, डॉक्टरों, पैरामेडिक्स, पेशेवरों, गैर सरकारी संगठनों, छात्रों और सभी व्यक्तियों को एक मिशन मोड पर सड़क सुरक्षा लेने के लिए शामिल करना जरुरी है। ----दुर्घटना से 3 फीसदी जीडीपी प्रभावित: राजनाथ--- इस अवसर पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सड़क सुरक्षा में सड़क जागरूकता शामिल है। केवल ड्राइवरों को ही नहीं, बल्कि सवारों को भी उन्हें रोकने के लिए दुर्घटनाओं के कारणों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में होने वाली दुर्घटनाएं न केवल एक परिवार को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि राष्ट्रीय संसाधनों की भी गंभीर क्षति होती हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा जागरूकता फैलाकर जीडीपी के लगभग 3 प्रतिशत नुकसान को बचाया जा सकता है। वहीं डॉ. वीके सिंह ने कहा, सड़क सुरक्षा एक महीने का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह जीवन भर का मामला है। उन्होंने कहा कि किसी को भी वाहन चलाते समय और सड़क पर अन्य वाहनों के चालकों से सतर्क रहना होगा। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने सड़क सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस दिशा में बड़ी संख्या में पहल की गई हैं। उन्होंने देश के मानकों को वैश्विक स्तर पर उन्नत करने की आवश्यकता पर बल दिया। इसके लिए निगरानी प्रणालियों के साथ प्रौद्योगिकी को एकीकृत किया जाना आवश्यक है ----सेफ स्पीड चैलेंज को हरी झंडी---- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा माह के उद्घाटन समारोह में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री डा. वीके सिंह और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने गड़करी के साथ मिलकर अमृतसर से कन्याकुमारी तक एक राष्ट्रीय चैम्पियनशिप सेफ स्पीड चैलेंज को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस मौके पर सड़क सुरक्षा पर एक फिल्म शुरू की गई। राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों और बीमा कंपनियों ने भी सेमिनार, वॉकथॉन, पोस्टर-मेकिंग प्रतियोगिताओं आदि के साथ जागरूकता पैदा करने वाली गतिविधियों में भाग लिया। ----सड़क सुरक्षा में पुरस्कार वितरित---- इस समारोह में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने विभिन्न श्रेणियों के विजेताओं को बधाई दी, जिसमें सड़क सुरक्षा कार्यों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले राज्य, अच्छा सामरी पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ राज्य परिवहन निगम, सुरक्षित राजमार्ग विकास में सर्वश्रेष्ठ कार्य, बाहरी क्षेत्र के अधिकारियों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा सड़क सुरक्षा में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत में कुल 1.5 लाख लोगों की मृत्यु हुई, जबकि हर साल सड़क दुर्घटनाओं में 4.5 लाख से अधिक लोग घायल हुए, जिसके परिणामस्वरूप हर साल सकल घरेलू उत्पाद के 3.14 फीसदी के बराबर दुर्घटना से होने वाली सामाजिक-आर्थिक हानि हुई। उन्होंने कहा कि 70 फीसदी मौतें 18 से 45 साल के लोगों की होती हैं, जो भारत में प्रति दिन लगभग 415 लोग मर रहे हैं। 19Jan-2021

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