गुरुवार, 7 जनवरी 2021

देश में हृदय रोग से मौतों पर अंकुश लगाने की कवायद

एफएसएसएआई ने खाद्य तेल में ट्रांस वसा को सीमित करने के लिए लागू किया नया नियम हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली। देश में कोरोनरी हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने की दिशा में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण यानि फस्साई ने नया नियम लागू कर दिया है। मसलन फस्साई का देश में सभी खाद्य रिफाइंड तेल, वनस्पती, बेकरी शॉर्टनिंग, मार्जरीन में ट्रांस वसा हाल ही में 3 फीसदी तक कर दिया है, जिसे जनवरी 2022 तक 2 फीसदी करने का निर्णय लिया गया है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण की नए साल से इस नियम को लागू करने के लिए जारी की गई अधिसूचना के अनुसार देश में हर साल हजारों मौतों को रोकने की दिशा में खाद्य तेल और वसा में ट्रांस वसा को सीमित करने के लिए नियमों का प्रावधान किया है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। फस्साई ने यह कदम 2018 में ट्रांस वसा के सेवन से हृदय रोगों के बढ़ते जोखिम बढ़ने के मद्देनजर उठाया है। इस संबन्ध में एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोनरी हृदय रोग के कारण हर साल 1.5 मिलियन से अधिक मौतें होती हैं, जिनमें से पांच फीसदी मौतों के लिए ट्रांस वसा के सेवन को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। फस्साई की अधिसूचना के तहत लागू विनिययमन इसलिए भी महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है, क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2023 तक ट्रांस वसा के वैश्विक उन्मूलन का आह्वान किया था। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में करीब 40 देशों ने ट्रांस वसा को खत्म करने के लिए पहले ही सर्वोत्तम अभ्यास नीतियों को लागू किया हुआ है। भारत के उपभोक्ता संगठनों ने भी एफएसएसएआई द्वारा लागू नए नियमों को हृदय रोग के कारण होने वाली मौतों को रोकने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया है। कंज्यूमर वॉयस के सीओओ असीम सान्याल ने कहा कि भारत के एफएसएसएआई इस ऐतिहासिक निर्णय के जरिए यदि तेल और वसा में 3 फीसदी 2021 और 2022 तक 2 फीसदी तक नियंत्रित करता है, तो यह मधुमेह के साथ ही हृदय संबंधी बीमारियां के कारण बढ़ती कोरोना संक्रमितों की संख्या को भी नियंत्रित करने में कारगर साबित होगा। सान्याल ने कहा कि इस विनियमन से सभी खाद्य पदार्थों के वसा में 2 फीसदी ट्रांस वसा लागू होगा तो निश्चित रूप से भारतीय थाली ट्रांस वसामुक्त हो सकेगी। गौरतलब है कि खाद्य तेलों और वसा में ट्रांस वसा की मात्रा को सीमित करने के लिए एफएसएसएआई ने वर्ष 2019 में एक मसौदा अधिसूचना भी जारी किया था, जिसमें सभी खाद्य पदार्थों में ट्रांस वसा के स्तर को कम करने पर बल दिया गया था। उम्मीद है कि इस नियम के लागू होने से भारत भी डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार खरा उतरेगा और सर्वोत्तम ट्रांस वसा नीतियों वाले देशों के क्लब में शमिल हो जाएगा। -----क्या है विशेषज्ञों की राय---- एफएसएसएआई के इस कदम को लेकर न्यूट्रिशनए टाटा ट्रस्ट्स के निदेशक डा. राजन शंकर ने कहा कि एफएसएसएआई द्वारा लागू विनियमन भारत और दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। खाद्य तेल उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि बेकिंग और फ्राइंग के लिए ट्रांस वसा मुक्त उत्पाद बनाने के लिए तकनीक उपलब्ध हैं। कृत्रिम रूप से उत्पादित ट्रांस वसा को वनस्पति तेलों के हाइड्रोजनीकरण प्रक्रियाओं के दौरान कृत्रिम रूप से बनाया जाता है और भारत में आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत वनस्पति तेलों ट्रांस वसा के प्रमुख स्रोत हैं और वनस्पति, मार्जरीन और शॉर्टनिंग में पाए जाते हैं। इन खाद्व पदार्थों को उच्च तापमान में तलने के दौरान कुछ ट्रांस फैट बनते हैं। गौरतलब है कि खाद्य तेलों और वसा में ट्रांस वसा की मात्रा को सीमित करने के लिए एफएसएसएआई ने वर्ष 2019 में एक मसौदा अधिसूचना भी जारी किया था, जिसमें सभी खाद्य पदार्थों में ट्रांस वसा के स्तर को कम करने पर बल दिया गया था। उम्मीद है कि इस नियम के लागू होने से भारत भी डब्ल्यूएचओ के मानकों के अनुसार खरा उतरेगा और सर्वोत्तम ट्रांस वसा नीतियों वाले देशों के क्लब में शमिल हो जाएगा। 06Jan-2021

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