शनिवार, 31 मार्च 2018

लोकसभा के साथ हो सकते हैं आधी विधानसभाओं के चुनाव!


दो चरणों में चुनाव कराने के समर्थन में बन रहा है माहौल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में चुनाव सुधार की दिशा में मोदी सरकार द्वारा एक देश-एक चुनाव की वकालत करते हुए देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव को एकसाथ कराने की कवायद की है। कुछ सियासी दलों को छोड़कर ज्यादातर दल भी निति आयोग और संसदीय समिति द्वारा दो चरणों में एक साथ चुनाव कराने के फार्मूले पर सत्तारूढ भाजपा की रिपोर्ट की सहमति के बाद बन रहे माहौल के मद्देनजर ऐसी संभावना है कि यदि सर्वसम्मिति बनी तो आगामी लोकसभा चुनाव के साथ देश के आधे राज्यों की विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं।
दरअसल भाजपा के उपाध्यक्ष और राज्यससभा सदस्य विनय सहस्त्रबुद्धे के नेतृत्व वाली समिति ने एक दे-एक चुनाव पर हुई जन-बहस की एक रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपी है, जिसमें देश के 16 विश्वविद्यालयों और संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा एक देश-एक चुनाव विषय पर प्रस्तुत शोधपत्र भी शामिल किये गये हैं। भाजपा की इस रिपोर्ट में पीएम मोदी के अलावा चुनाव आयोग, नीति आयोग के उस फार्मूले का समर्थन किया गया है, जिसमें कुछ राज्यों की विधानसभओं के कार्यकाल को छोटा करने और कुछ राज्यों के कार्यकाल में विस्तार करके दो चरणों में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। गौरतलब है कि भाजपा को छोड़ अन्य राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई ने एक साथ चुनाव कराए जाने पर आपत्ति जताई है। गौर करने वाली बात है कि अक्टूबर 2017 में इलेक्शन कमिश्नर ओपी रावत ने कहा था कि चुनाव आयोग सितंबर 2018 तक संसाधनों के स्तर एक साथ चुनाव कराने में सक्षम हो जाएगा, लेकिन ये सरकार पर है कि वो इस बारे में फैसला लें और अन्य कानूनी सुधारों को लागू करे।
क्या कहती है भाजपा की रिपोर्ट
प्रधानमंत्री को सौंपी गई रिपोर्ट में भाजपा ने मध्यावधि और उपचुनाव की प्रक्रिया को खारिज कर दिया है, रिपोर्ट के अनुसार देश में एक साथ चुनाव कराने से अविश्वास प्रस्ताव और सदन भंग करने जैसे मामलों में भी मदद मिलेगी। वहीं एक देश-एक चुनाव प्रणाली के तहत सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाते हुए विपक्षी पार्टियों को अगली सरकार के समर्थन में विश्वास प्रस्ताव भी लाना जरूरी होगा। ऐसे में समय से पहले सदन भंग होने की स्थिति को टाला जा सकता है। इस अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक उपचुनाव के मामले में दूसरे स्थान पर रहने वाले व्यक्ति को विजेता घोषित किया जा सकता है, अगर किसी कारणवश सीट खाली होती है। रिपोर्ट में हर साल होने वाले चुनावों के कारण जनजीवन पर पड़ने वाले असर को समाप्त करने की दिशा में देश में दो चरणों में एक साथ चुनाव कराए जाने की सिफारिश की गई है। इस रिपोर्ट में भाजपा ने निति आयोग 'एनालिसिस ऑफ साइमल्टेनीअस इलेक्शंस: द व्हाट, व्हाई एंड हाऊ' का हवाला देते हुए एक साथ चुनाव के पहले चरण में लोकसभा और कम से कम आधे राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ 2019 में कराए जाने और बाकी विधानसभाओं के फिर 2021 में बाकी राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने की सिफारिश की है।
क्या कहती है नीति आयोग की रिपोर्ट
लोकसभा व विधानसभा चुनाव के एक साथ कराने की प्रणाली पर नीति आयोग में बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई के तैयार विमर्श-पत्र 'एनालिसिस ऑफ साइमल्टेनीअस इलेक्‍शंस: द व्‍हाट, व्‍हाई एंड हाऊ'' में सभी चुनाव एक साथ कराने का समर्थन किया गया है। इसमें भी एक साथ चुनाव कराने के लिए आधे राज्यों की सरकारों का कार्यकाल तीन से 15 महीने तक छोटा करना करने की बात कही गई है। वहीं बाकी राज्‍यों की विधानसभाओं का कार्यकाल एक साल तक बढ़ाना होगा। नीति आयोग के अनुसार एक साथ चुनाव पर लगभग 4500 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है। गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनावों पर 3870 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।

ऐसे हो कटौती और विस्तार
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार पहले चरण में चुनाव कराने पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान की विधानसभा का कार्यकाल 5 महीने, मिजोरम 6 महीने और कर्नाटक का 12 महीने बढ़ाना होगा। तो वहीं हरियाणा व महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 5 महीने, झारखंड का 7 महीने और दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 8 महीने कम करना होगा। वहीं दूसरे चरण में एक साथ चुनाव कराने पर तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुदुचेरी, असम और केरल विधानसभा का कार्यकाल 6 महीने, जम्मू कश्मीर का 9 महीने और बिहार का 13 महीने कार्यकाल बढ़ाना होगा। जबकि गोवा, मणिपुर, पंजाब, उत्तराखंड का 3 महीने, उत्तर प्रदेश का 5 महीने, हिमाचल प्रदेश व गुजरात का 13 महीने और मेघालय, त्रिपुरा व नागालैंड का कार्यकाल 15 महीने का कार्यकाल कम करने की जरूरत होगी।
31Mar-2018


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