केंद्रीय
कैबिनेट ने दी भत्ते बढ़ाने की मंजूरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार ने सांसदों की वेतन एवं भत्ते बढ़ाने की चली आ रही मांग के तहत उन्हें आवास,
संसदीय क्षेत्र और अन्य सुविधाओं के लिए मिलने वाले भत्ते बढ़ाने का प्रस्ताव
मंजूर कर लिया है, जो आगामी एक अप्रैल से लागू हो जाएंगे।
प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार शाम को हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने संसदीय
मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव के तहत आवास और टेलीफोन सुविधाएं (संसद सदस्य) नियम-1956
के अलावा संसद सदस्य (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता) नियम-1986 और और संसद सदस्य (कार्यालय
व्यय भत्ता) नियम-1988 में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इन नियमों
के संशोधित होने से सांसदों को मिलने वाली सुविधाओं के भत्तों में बढ़ोतरी की
जाएगी। मसलन इस मंजूरी के बाद सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र भत्ते, फर्नीचर भत्ते एवं
संपर्क खर्चो में खासा इजाफा हो जाएगा। वहीं
मंत्रिमंडल ने संसद सदस्यों के लिए आवास और टेलीफोन सेवाएं नियम, निर्वाचन
क्षेत्र भत्ता नियम तथा कार्यालय व्यय भत्ता नियम में संशोधनों को मंजूरी दी है।
भत्तों में कितनी होगी बढ़ोतरी
संसदीय मामलों
के मंत्रालय के प्रस्तावों को मंजूरी मिलने के बाद आगामी एक अप्रैल से सांसदों को
मिलने वाले निर्वाचन क्षेत्र भत्ते को 45 हजार रुपये से बढ़ाकर 60 हजार रुपये, एकमुश्त
फर्नीचर भत्ते को वर्तमान के 75 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये का प्रस्ताव
किया गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के तहत निर्णय के अलावा वित्तीय निहितार्थ में लगभग
39,22,72,800 रुपए आवर्ती व्यय और लगभग 6,64,05,400 रुपए अनावर्ती व्यय का होगा।
इसका कारण है कि लोकसभा में अध्यक्ष को छोड़कर 536 सांसद हैं, जिनमें दो एंग्लो इंडियन
समुदाय के मनोनीत सदस्य भी शामिल हैं और आठ सीटें रिक्त हैं। जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा
में 239 सदस्य हैं। मंत्रिमंडल ने संसद सदस्यों के लिए आवास और टेलीफोन सेवाएं नियम,
निर्वाचन क्षेत्र भत्ता नियम तथा कार्यालय व्यय भत्ता नियम में संशोधनों को मंजूरी
दी है। गौरतलब है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गत एक फरवरी को अपने बजट भाषण में
घोषणा की थी, कि सांसदों के वेतन की प्रत्येक पांच वर्ष के बाद समीक्षा के लिए एक स्थायी
प्रणाली बनायी जायेगी। इस प्रकार अब आयकर अधिनियम-1961 की धारा 48 के स्पष्टीकरण
के खंड 5 के अंतर्गत उपबंधित लागत मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर सांसदों के
भत्तों में हर पांच साल बाद यानि अगली वृद्धि एक अप्रैल 2023 को होगी।
संसद की मंजूरी के बाद अधिसूचना
मंत्रिमंडल
के निर्णय की सूचना संसद सदस्यों के वेतन और भत्तों संबंधी संयुक्त समिति को संबंधित
नियमों में संशोधन करने के लिए दी जाएगी, जिसे राज्य सभा के सभापति और लोक सभा के अध्यक्ष
से अनुमोदित कराया जाएगा और सरकारी राजपत्र में प्रकाशित किया जाएगा। सूत्रों के
अनुसार संविधान के अनुच्छेद 106 में प्रावधान है कि संसद के प्रत्येक सदन के सदस्य
ऐसे वेतन और भत्ते प्राप्त करने के हकदार होंगे जिन्हें संसद समय-समय पर विधि द्वारा
निर्धारित करेगी। परिणामस्वरूप वर्ष 1954 में संसद सदस्य वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम
(एमएसए अधिनियम) (1954 का अधिनियम 30) अधिनियमित किया गया था। इनमें से अधिनियम की
धारा 9 इस अधिनियम के अंतर्गत नियम बनाने के उद्देश्य से संसद के दोनों सदनों की एक
संयुक्त समिति के गठन का प्रावधान करती है। यह संयुक्त समिति को केन्द्र सरकार के
परामर्श से उस धारा में दिए गए विषयों में से सभी अथवा किसी विषय पर नियम बनाने की
शक्तियां प्राप्त हैं।
01Mar-2018
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