गुरुवार, 22 मार्च 2018

हंगामे में सिरे नहीं चढ़ सकी संसद की कार्यवाही

लोकसभा में फिर धरा रह गया अविश्वास प्रस्ताव
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही लगातार 13वें दिन की भी सिरे नहीं चढ़ सकी और विपक्षी दलों के विभिन्न मुद्दो पर भारी हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। इसी हंगामे के कारण लोकसभा में तेदपा व वाईएसआर कांग्रेस द्वारा मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी तीसरी बार धरा रह गया।
लोकसभा में बुधवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान भी पिछले दिनों की तरह ही अलग अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों ने आसन के करीब आकर हंगामा शुरू कर दिया। हालांकि लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शोर-शराबे के बीच ही आवश्यक दस्तावेजों को सदन के पटल पर रखवाया और सदन की कार्यवाही को 12 बजे तक स्थगित कर दिया। एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही फिर शुरू हुई तो टीआरएस के सदस्य 'एक राष्ट्र एक नीति की अपनी मांग को लेकर नारेबाजी करते हुए आसन के पास आ गये, वहीं अन्नाद्रमुक के सदस्य आगे आकर कावेरी प्रबंधन बोर्ड के गठन की मांग करने लगे। वहीं लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन में व्यवस्था नहीं होने का हवाला देते हुए तीसरी बार फिर तेदपा के टी. नरसिंहन और वाईएसआर कांग्रेस के वाईबी सुब्बारेड्डी द्वारा सरकार के खिलाफ लाये गये अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में असमर्थता व्यक्त कर दी। महाजन ने तर्क दिया कि जब तक सदन में व्यवस्था नहीं होगी, तब तक वह अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए 50 सदस्यों की गिनती नहीं कर सकती। इसके बाद कांग्रेस, माकपा और कुछ दूसरे विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर हाथ ऊपर कर दिये। इससे पहले सदन में इसी हंगामे के बीच राजद से निष्कासित राजेश रंजन बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के निकट पहुंच गए। उन्होंने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा हुआ था, 'बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दो, अपना वादा पूरा करो।
राज्यसभा में कामकाज ठप
उच्च सदन में भी बुधवार को कार्यवाही शुरू होने पर पीएनबी, आंध्र प्रदेश व कावेरी मुद्दे पर विभिन्न दलों के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसी बीच सभापति एम. वेंकैया नायडू ने आवश्यक कागजातों को सदन के पटल पर रखवाया और शून्यकाल का ऐलान करते हुए मनोनीत सदस्य केटीएस तुलसी का नाम भी पुकरा, लेकिन अन्नाद्रमुक, द्रमुक, तेदेपा आदि के सदस्यों ने आसन के समक्ष आकर नारेबाजी शुरू कर दी। नायडू ने हंगामा कर रहे सदस्यों को नसीहत देते हुए वापस अपनी सीटों पर जाने की अपील की, लेकिन उनकी इस अपील को नजरअंदाज करते हुए हंगामा जारी रहा। हंगामा थमता न देख सभापति ने सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।
एससी/एसटी अधिकारों की पैरवी
इससे पहले हंगामे के बीच ही सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कुछ कहने की अनुमति मांगी, जिसके बाद आजाद ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों को अब तक अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम के तहत सुरक्षा मिलती रही है, जो इस वर्ग के लोगों के लिए बहुत ही जरूरी है, वहीं उन्होंने सुषमा के इराक में मारे गये भारतीयों के मुद्दे पर भी चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर कोई पैरवी ही नहीं की। आजाद ने कहा कि इस मुद्दे पर सदन में अविलंब चर्चा होना जरूरी है। सभापति ने नोटिस मिलने पर चर्चा का समय तय करने का भरोसा भी दिया। इस पर सदन में संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल ने कहा कि चर्चा कराने के लिए सदन में व्यवस्था होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है बेशर्ते विपक्ष सदन की कार्यवाही को चलने का माहौल बनाए।
22Mar-2018

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