रविवार, 25 मार्च 2018

राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनी भाजपा



बहुमत के आंकड़े से दूर है अभी राजग सरकार
.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश के 17 राज्यों की 59 सीटों पर हुए चुनाव के बाद 16 राज्यों में 58 सीटों पर हुए राज्यसभा की तस्वीर तेजी के साथ बदलती नजर आने लगी, जहां अगले महीने उच्च सदन में राजग सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी और कांग्रेस का वर्चस्व खत्म होगा। हालांकि राजग सरकार सदन में अभी बहुमत से कोसो दूर है, लेकिन विपक्षी यूपीए से कहीं आगे पहुंच गया है।
राज्यसभा में अप्रैल और मई में खाली होने जा रही 16 राज्यों में 58 रिक्त सीटों के द्विवार्षिक चुनावों के साथ ही एक राज्य की खाली सीट पर हाल ही में संपन्न हुए चुनाव के नतीजों ने सदन में आजादी के बाद शायद पहली बार कांग्रेस के वर्चस्व खत्म करते हुए भाजपा ने अपनी ताकत का अहसास करा दिया है कि नवनिर्वाचित सदस्यों के शपथ ग्रहण करते ही सदन में उसका बोलबाला होगा। भाजपा ने इन 59 सीटों के चुनावी नतीजों के अनुसार 28 सीटों पर कब्जा करके उच्च सदन में 11 सदस्यों का इजाफा करके 69 सदस्यों की संख्या तक पहुंच गई है। जबकि कांग्रेस को चार सीटों के नुकसान के बाद 50 सदस्यों की संख्या पर आने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इन चुनाव में सबसे बड़ा नुकसान समाजवादी पार्टी को उठाना पड़ा है, जिसे रिक्त होने वाली छह में से पांच सीटें गंवानी पड़ी है और बसपा का तो खाता ही नहीं खुल सका है। उच्च सदन में अपने इतिहास में भले ही भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई हो, लेकिन सत्तारूढ राजग को अभी बहुमत का आंकड़े के नजदीक तक नहीं पहुंचा सकी और 245 सदस्यीय उच्च सदन में बहुमत के आंकड़े 126 से अभी राजग कोसो दूर है, क्योंकि सदन में भाजपा एवं सहयोगी दलों के सदस्यों की संख्या 81 का आंकड़ा छू पाया है। हालांकि यह आंकड़ा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेसनीत यूपीए के संख्याबल से बहुत आगे है।
किस दल को हुआ फायदा-नुकसान
राज्यसभा के लिए इन 59 सीटों के चुनाव के नतीजों ने स्पष्ट कर दिया है कि किस दल को कितना लाभ और कितना नुकसान हुआ है। नतीजों के अनुसार भाजपा को खाली होने वाली 17 सीटों के मुकाबले 28 सीटें मिलने के बाद 11 सीटों का लाभ हुआ है, जिनमें भाजपा ने राजस्थान की तीनों सीटें जीतकर कांग्रेस की एक सीट पर भी कब्जा कर लिया। इसी प्रकार हरियाणा, उत्तराखंड में कांग्रेस की सीटें कब्जा ली हैं। ओडिशा में बीजद को दो सीटों के बजाए एक सीट ज्यादा तीन सीट मिली। राजद को बिहार में दो सीटों, तेलंगाना में टीआरएस को तीनों सीटों का फायदा मिला है। एलडीएफ ने एक सीट जीतकर उच्च सदन में अपना खाता खोल लिया है। इसी प्रकार वाईआरएस कांग्रेस को एक सीट का फायदा हुआ। जबकि तेदेपा ने दो, शिवसेना ने एक, तृणमूल कांग्रेस ने चार सीटे लेकर अपनी स्थिति को बरकरार रखा है। राज्यसभा में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस को खाली होने वाली 14 सीटों में 10 सीटें मिली और चार सीटों को गंवाना पड़ा। हालांकि बिहार में जद-यू को दो और भाजपा को एक सीट का नुकसान सहना पड़ा है। सबसे ज्यादा नुकसान छह में से पांच सीटें गंवाकर समाजवादी पार्टी को झेलना पड़ा है। जबकि राकांपा को भी दो में एक सीट गंवानी पड़ी। गुजरात में भाजपा ने चार में से दो सीटें गंवाने के लिए मजबूर हुई है। 
बदलेगी भाजपा की रणनीति
भाजपा के सूत्रों का दावा है कि इन चुनावों में बढ़त हासिल करके भाजपा की रणनीतिक बदलाव के तहत राजग सरकार उच्च सदन में कामकाज को आगे बढ़ाने का प्रयास करेगी। सूत्रों के अनुसार उच्च सदन में सरकार की ताकत बढ़ने से खासकर विधायी एजेंडे पर अनाद्रमुक, टीआरएस, वाईएसआर कांग्रेस और बीजद जैसे राजग के बाहर वाले क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल करने में आसानी होगी। भाजपा सूत्रों के अनुसार सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी करती रही कांग्रेस पार्टी की ताकत में तेजी से रही कमी के कारण अन्य दल उसके नेतृत्व को स्वीकार करने के बजाए अपने विवेक पर आगे बढेंगे, ऐसी रणनीति के लिए राजग सरकार का नेतृत्व कर रही भाजपा तैयार करेगी।
25Mar-2018


 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें