शनिवार, 10 मार्च 2018

चुनावों में नोटा मतों का तेजी हुआ विस्तार

पिछले पांच सालों में बटोरे 1.34 करोड़ वोट
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाताओं के लिए लोकसभा से लेकर नगर पंचायत तक के चुनाव में किसी प्रत्याशी को वोट न देने के ईवीएम एवं मतपत्रों में विकल्प के रूप में की गई ‘नोटा’ के नाम आने वाले मतों में लगातार विस्तार हो रहा है। अपने पांच साल की व्यवस्था में अब तक नोटा के नाम 1.34 करोड़ मत हो चुके हैं।
देश में लोकसभा चुनाव में वर्ष 2014 में पहली बार ईवीएम पर ‘नोटा’ को वैकल्पिक स्थान दिया गया, हालांकि भारत में ‘नोटा’ के बटन की व्यवस्था करने की शुरूआत सुप्रीम कोर्ट के 27 सितंबर 2013 के निर्णय के आधार पर चुनाव आयोग ने की। ईवीएम में उम्मीदवारों के अलावा ‘नोटा’ बटन देने की व्यवस्था छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और मिजोरम के विधानसभा चुनाव में लागू कर दी गई थी। लोकतांत्रिक व्यवस्था में ‘नोटा’ की शुरूआत यानि 2013 से 2017 तक के हुए लोकसभा, विधानसभाओं, स्थानीय नगर निकाय जैसे चुनाव में ‘नोटा’ के पक्ष में पड़े मतों का विश्लेषण करने वाली गैर सरकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स द्वारा किया गया। इस विश्लेषण के अनुसार इन पिछले पांच साल में फा कुल एक करोड, 33 लाख, नौ हजार 577 वोट ‘नोटा’ के खाते में गये हैं। इनमें से दो लाख 70 हजार 616 वोट राज्यों के विधानसभाओं में डाले गये गये हैं। लोकसभा चुनाव-2014 में देशभर में ‘नोटा’ को 60,02,942 यानि 1.08 फीसदी वोट मिले, जिनमें सर्वाधिक 46,559 वोट तमिलनाडु के नीलगिरी संसदीय क्षेत्र तथा न्यूनतम 123 वोट लक्षद्वीप संसदीय क्षेत्र में नोटा को मिले।
छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक वोट
पिछले 5 सालों में इस व्यवस्था के लागू होने के बाद नोटा का सर्वाधिक वोट शेयर यानी 3.06 प्रतिशत, 2013 छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में हुआ था। जबकि 2013 में सबसे कम 3,810 वोट मिजोरम विधान सभा चुनाव में नोटा को मिले। छत्तीसगढ़ चुनव में मिले इन वोटों में से राज्य के 10 संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक 39,896 यानि 2.68 प्रतिशत वोट हासिल किए थे। इसके बाद वर्ष 2014 में नोटा के पक्ष में सबसे कम वोटों का प्रतिशत 2014 में रहा, जब 8 राज्यों के विधानसभा चुनावों में 14,10,644 यानि 0.91 प्रतिशत वोट मिले थे, जिसमें आंध्र प्रदेश में 3,08,286, अरूणाचल प्रदेश में 5,322, हरियाणा में 53,613, जम्मू और कश्मीर में 49,129, झारखंड में 2,35,039, महाराष्ट्र में 4,83,459, ओडिशा में 2,71,336 तथा  सिक्किम में 4,460 वोट नोटा को मिले थे। जबकि वर्ष 2015 में विधान सभा चुनावों में नोटा का सर्वाधिक वोटों का प्रतिशत रहा, जिसमें 2 राज्यों के विधान सभा चुनाव में 9,83,176 यानि 2.08 प्रतिशत  मिले थे, इनमें बिहार में 9,47,279 और दिल्ली में 35,897 वोट नोटा को मिले थे। हालांकि इस साल हुए चुनाव में नोटा का न्यूनतम वोट शेयर यानी 0.40 प्रतिशत 2015 दिल्ली विधान सभा चुनाव में था।
दिल्ली में निकाय चुनाव में असर
निकाय चुनाव में दिल्ली एंव महाराष्ट्र के नगर निगम चुनावों में नोटा को सर्वाधिक वोट 4.58 फीसदी महाराष्ट्र के उल्लासनगर नगर निगम चुनाव में और सबसे कम वोट 0.58 प्रतिशत पूर्व दिल्ली नगर निगम चुनाव में मिले। दिल्ली नगर निगम चुनाव 2017 में नोटा को 49,235 वोट मिले, जिसमें उत्तरी क्षेत्र में नोटा को सर्वाधिक 19762 वोट मिले। जबकि महाराष्ट्र के प्रत्येक नगर निगम में नोटा ने 1.5 प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त किए।
10Mar-2018

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