मंगलवार, 13 मार्च 2018

सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किये मानेसर, नौरंगपुर व लखनौला में बिल्डरों के लाइसेंस



मानेसर मामला: सुप्रीम कोर्ट की भूपेन्द्र हुड्डा को फटकार लगाई
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा अपने शासनकाल के दौरान गुरुग्राम के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में बिल्डरों को दिए गए लाइसेंस निरस्त कर दिया। कोर्ट ने हुड‍्डा को फटकार लगाते हुए माना है कि तत्कालीन राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण के लिए जारी सूचना की यह कार्रवाही बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की नीयत से की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर समेत कई स्थानों पर भूमि घोटाले की जांच कर रही सीबीआई द्वारा आरोप पत्र के बाद सोमवार को सुनवाई के दौरान इस मामले में प्रमुख रूप से आरोपी के रूप में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र हुड्डा और इसमें शामिल अन्य सभी को फटकार लगाई है और माना है कि तत्कालीन हरियाणा की सत्तासीन सरकार की कार्रवाई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की नीयत से की गई। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने गुरूग्राम के मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में बिल्डरों को दिए गए जमीन के लाइसेंस को रद्द कर दिया है और इन जमीनों को एचयूडीए व एचएसआईडीसी के कब्जे में देने के आदेश दिये हैं। गौरतलब है कि यह मामला इन गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन के गडबड़झाले से जुडा हुआ है। सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र के अनुसार हरियाणा की तत्कालीन भूपिंदर सिंह हुड्डा सरकार ने दो बार भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी की थी और दोनों बार अधिग्रहण के डर से किसानों को बिल्डरों को औने-पौने भाव मे ज़मीने के लिए मजबूर किया गया था। बिल्डरों को लाभ देने की नीयत से ही तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2007 और 2010 में दोनों बार आखिरी मौके पर अधिग्रहण की प्रक्रिया रोकी गई।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य सरकार की कार्रवाई बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की नीयत से तत्कालीन हुड्डा सरकार ने पहले अधिग्रहण रद्द किया और फिर अधिग्रहण से डरे किसानों से सस्ती कीमत पर ज़मीन खरीदने वाले बिल्डरों को तुरंत लाइसेंस भी दे दिए। इस मामले में सीबीआई पहले ही तत्कालीन सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा और कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जाचं कर रही सीबीआई को इस पूरे मामले में लाभ कमाने वाले बिचौलियों का पता लगाने को भी कहा है।
बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि किसानों को बिल्डरों से मिले पैसे लौटाने की कोई ज़रूरत नहीं है। बिल्डर और उनके फाइनेंसर एचयूडीए या एचएसआईडीसी के पास जाएं, जो कि उनके दावे की जांच के बाद उचित भुगतान करेंगे। गुड़गांव में हुए कई ज़मीन सौदों की जांच के लिए गठित जस्टिस एस एन ढींगरा कमीशन की रिपोर्ट पर भी सुप्रीम कोर्ट ने आज आदेश दिया। इससे पहले ढींगरा आयोग ने पिछले साल राज्य की मौजूदा खट्टर सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. लेकिन अब तक उसे सार्वजनिक नहीं किया गया है। आयोग ने जिन सौदों की जांच की थी, उनमें सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा का ज़मीन सौदा भी शामिल है।
13Mar-2018

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें