अंतर्राष्ट्रीय
कार्यशाला में बोले नितिन गडकरी
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
जल संकट से निपटने के लिए वृहद जल परिवहन प्रणाली के लिए वैकल्पिक प्रोद्यौगिक के
इस्तेमाल की जरूरत पर बल दिया गया। सरकार का प्रयास है कि इजरायल की तर्ज पर इस
परिवहन प्रणाली में तकनीकी के प्रयोग से जल प्रबंधन और उससे जुड़ी समस्याओं में
सुधार किया जाए।
केन्द्रीय
जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार मंत्रालय के साथ वाप्कोस और राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी
द्वारा शुक्रवार को यहां दिल्ली में आयोजित ‘अधिक मोटाई वाले पाइपों के इस्तेमाल’
को लेकर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला शुरू हुई, जिसका उद्घाटन करते हुए
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में वृहद जल परिवहन प्रणाली के
लिए वैकल्पिक प्रोद्योगिक का इस्तेमाल समय की मांग है। गडकरी ने पावर ग्रिड और सड़क
नेटवर्क की तर्ज पर देश में जल ग्रिडों के विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने
कहा कि हमारे देश में पानी की कमी नहीं है, लेकिन जल संसाधनों की उचित योजना और प्रबंधन
की कमी है। उन्होंने कहा कि देश में 25 से 30 प्रतिशत कृषि क्षेत्र से जुड़े कामगार
गांव से शहरी इलाकों की तरफ केवल इसलिए पलायन करते हैं, क्योंकि उन्हें सिंचाई और
कृषि के क्षेत्र से जुड़ी अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
ड्रिप सिंचाई में प्रभावी
देश में ड्रिप
सिंचाई के जरिए जल संसाधनों के प्रभावी इस्तेमाल को लेकर चर्चा करते हुए गडकरी ने
मध्य प्रदेश का उदाहरण दिया, जहां ड्रिप सिंचाई को बढ़ावा देकर कृषि के क्षेत्र में
23 प्रतिशत विकास दर हासिल कर ली है,जबकि राष्ट्रीय औसत केवल 4 प्रतिशत है। गडकरी
ने 8 लाख करोड़ रुपये के व्यय से देश में नदियों को जोड़ने की 30 प्रस्तावित परियोजनाओं
का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे सामने चुनौती है कि हम उपयुक्त सस्ती, पर्यावरण
अनुकूल प्रौद्योगिकी का पता लगाएं,ताकि गुणवत्ता से समझौता किए बिना तेजी से जल का
हस्तांतरण हो सके।
‘हर खेत को पानी’
केन्द्रीय
जल संसाधन राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह ने इस मौके पर कहा कि हमारी सरकार की सर्वोच्च
प्राथमिकता ‘हर खेत को पानी’ और ‘पर ड्रॉप मोर क्रॉप’ है, क्योंकि 2022 तक किसानों
की आमदनी दोगुना करना प्रधानमंत्री का सपना है। उन्होंने कहा कि नहरों के जरिए सिंचाई
और जल परिवहन काफी महंगा है और पर्यावरण तथा वनों की निकासी तथा भूमि अधिग्रहण जैसी
समस्याओं के कारण इसमें काफी समय लग जाता है। डॉ. सिंह ने विशेषज्ञों से आग्रह किया
वे ‘हर खेत को पानी’ के उद्देश्य पूरा करने के लिए सस्ते और पर्यावरण अनुकूल विकल्पों
का पता लगाने को भी कहा।
वैकल्पिक तकनीक का लाभ
जल संसाधन
मंत्रालय में सचिव श्री यू.पी. सिंह ने जल परिवहन के लिए अधिक मोटाई वाले पाइपों के
फायदों की जानकारी देते हुए कहा कि देश में कई वर्षों से अनेक नहरों का निर्माण किया
जा रहा है, लेकिन वह अभी भी पूरा नहीं हुआ है। नहर प्रणाली के विपरीत पाइपों के जरिए
जल परिवहन के लिए भूमि अधिग्रहण और वन की निकासी की जरूरत नहीं पड़ती। जल के दूषित
होने और वाष्पीकरण के कारण नुकसान की समस्याएं काफी कम हो जाती है। उन्होंनें
उम्मीद की है कि कार्यशाला में विशेषज्ञ ऐसा कोई समाधान निकालेंगे और आश्वासन दिया
कि उनका मंत्रालय इस बारे में तेजी से कार्रवाई करेगा।
10Mar-2018
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