गुरुवार, 15 मार्च 2018

साइबर अपराध व आतंकवाद बनी वैश्विक चुनौती



सुरक्षा एजेंसियां एकजुटता से करें मुकाबला: राजनाथ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
समूचे विश्व में आतंकवाद के बाद साइबर अपराधों ने नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के खतरों की आशंका बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इस खतरे से निपटने के लिए साइबर स्पेस का इस्तेमाल करते हुए दुनिया की सुरक्षा की एजेंसियों को एकजुटता के साथ मिलकर काम करने की जरूरत है।
यह बात बुधवार को यहां विज्ञान भवन में ‘2020 में पुलिस के समक्ष चुनौति‍यां’ विषय पर आयोजित पुलिस प्रमुखों के अंतरराष्‍ट्रीय संघ (आईएसीपी) के दो-दिवसीय एशिया-प्रशांत क्षेत्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कही है। उन्होंने सम्मेलन में शामिल हुए विभिन्न देशों के पुलिस बलों और सुरक्षा एजेंसियों से साइबर अपराधों से उत्पन्न खतरों से नि‍बटने में सहयोग का आव्हान किया और कहा कि पूरी दुनिया में आज साइबर निर्भरता का चलन काफी बढ़ चुका है, जो नागरिक और सैन्य प्रतिष्‍ठानों पर हमलों के खतरे बढ़ने आशंकाओं को देखते हुए बेहद चिंता का विषय है। उन्‍होंने कहा कि सरकार रक्षा बल, निगम, वित्‍तीय संस्थान, जन सेवाएं, अस्पताल और अन्य व्यवसाय अपनी कंप्‍यूटर प्रणाली पर बड़ी तादाद में संवेदनशील सूचनाओं को संग्रहित करने और नेटवर्क पर इन्‍हें प्रसारित करने का काम करते हैं, लेकिन साइबर हमलों की बढ़ती तादाद और इनकी नित नई विकसित होती तकनीक की वजह से सबके लिए अपनी संवेदनशील सूचनाओं तथा राष्‍ट्रीय सुरक्षा को बचाना जरुरी हो गया है। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने साइबर अपराधों और आतंकवाद से निबटने में साइबर स्‍पेस का इस्‍तेमाल करने के तौर तरीकों और इसके फायदों तथा पुलिस बलों के समक्ष आ रही नई चुनौतियों के नजरिए से दुनियाभर की सुरक्षा एजेंसियों को एकजुटता से काम करने की जरूरत पर बल दिया।उन्होंने कहा कि‍ इंटरनेट से जुडे खतरों, साइबर सुरक्षा, साइबर अपराध जैसे कुछ ऐसे प्रमुख कारकों में आज वित्तीय लेनदेन और सामाजिक गतिविधियों के नाम पर धोखाधड़ी भी साइबर अपराध का जरिया बन रही है।
दुरुपयोग से बढ़े खतरे
उन्‍होंने कहा कि तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी के इस दौर में दुनियाभर में कंप्यूटर आधारित तकनीकों का इस्‍तेमाल गृह सुरक्षा प्रणाली से लेकर जटिल परमाणु ऊर्जा संयंत्रों या अंतरिक्ष कार्यक्रमों तक की गतिविधियों में हो रहा है और साइबर निर्भरता बहुत ज्‍यादा बढ़ चुकी है, लेकिन नेटवर्क आउटेज, हैकरों द्वारा डेटा की सेंधमारी, कंप्यूटरों में गड़बड़ी करने वाले मैलवेयर डालने और ऐसी ही कई अन्‍य साइबर घटनाओं और अपराधों ने लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। कंप्यूटरों और मोबाइलों का इस्‍तेमाल करने वालों की संख्‍या बढ़ने तथा डिजिटल एप्लिकेशन और डेटा-नेटवर्क के दिन-प्रतिदिन हो रहे विस्‍तार से इनके गलत इस्‍तेमाल के खतरे भी बढ़ रहे हैं। यही कारण है कि इससे भी ज्‍यादा जोखि‍म भरे साइबर खतरों में वायरस, क्‍ंप्‍यूटर प्रणाली में सेंधमारी,डेटा चेारी तथा क्रडिट कार्ड से संबधित गोपनीय जानकारी चुराने जैसी घटनाओं ने चुनौती पेश की है।
उद्योग बन गया साइबर अपराध
गृहमंत्री ने कहा कि साइबर अपराध में प्रयुक्त होने वाले कई उपकरण और प्रौद्योगिकी को सेवाओं के रूप में पेशकश किया जा रहा है। इस फैलते साइबर अपराध की दुनिया में सेंधमारी जैसे अपराध एक एक उद्योग बनता जा रहा है। इसी कारण इंटरनेट प्रसार और स्वप्रेरित-कट्टरता से कानूनी एजेंसियों की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक हैं। इससे भी ज्यादा इंटरनेट पर कट्टरता को प्रेरित करने वाली सामग्रियों की उपलब्धता बने रहने से समाज और मानवता में भारी परिवर्तन होने की संभावना बनी हुई है। इसके अलावा अपराध की नई तकनीक और उपकरण बाजार में चोरी छिपे बि‍कने से सबसे ज्‍यादा खतरा वित्‍तीय आनलाइन सेवाओं को है क्‍योंकि‍ इनके लिए पुख्‍ता सुरक्षा प्रणाली अभी तक विकसित नहीं हो पाई, जिसके कारण साइबर अपराध का जंजाब अंतरराष्‍ट्रीय स्तर पर पैर पसार  रहा है।
15Mar-2018

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