बीस साल
पुराने कॉमर्शियल वाहनों पर कसेगा शिकंजा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
वाहन प्रदूषण को रोकने की दिशा में केंद्र सरकार की वाहन स्क्रैप नीति को लागू
करने के लिए भले ही एक पड़ाव पार हो गया है, लेकिन अभी इसमें कई बाधाओं को पार
करने की चुनौती होगी। शायद इसी कारण एक अप्रैल 2020 से बीस साल पुराने कामर्शियल
वाहनों के सड़को पर दौड़ाने पर पाबंदी लगाने का लक्ष्य तय किया गया है।
केंद्रीय
सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय मंत्री नितिन
गडकरी द्वारा वाहन प्रदूषण को रोकने की दिशा में पुराने वाहनों खासकर कॉमर्शियल
वाहनों पर शिकंजा कसने हेतु वाहन स्क्रैप नीति तैयार की गई थी, जिसे पिछले सप्ताह
केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालय समूह की उच्च स्तरीय बैठक में मंजूरी मिल चुकी है,
लेकिन अभी इस नीति को स्क्रैप सेंटर के बारे में स्टील मंत्रालय और पर्यावरण
नियमों के निर्धारण के लिए पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिलना बाकी है, जो इस
नीति में तय करने के लिए अपनी सिफारिश जारी करेगा। हालांकि उम्मीद है कि इसके लिए
इन दोनों मंत्रालयों की सिफारिशें जल्द ही मंत्रालय को मिल जाएगी, जिसके बाद इस
नीति के मसौदे को जीएसटी परिषद को भेजा जाएगा। मंत्रालय के अधिकारी का कहना है कि
इस नीति की सैद्धांतिक मंजूरी चूंकि केंद्र सरकार की पीएमओं में सचिव की अध्यक्षता
वाली उच्च स्तरीय समिति ने दी है, जिसमें नीति आयोग के अलावा संबन्धित सभी
मंत्रालयों में सचिवों की सहमति शामिल है। फिर भी जरूरत पड़ी तो इस नीति को लागू
करने के लिए कैबिनेट की अनुमति ली जा सकती है।
क्या हैं स्क्रैप नीति के प्रावधान
मंत्रालय
के अनुसार प्रदूषण बढ़ाने का कारण बन रहे पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने की
दिशा में तैयार की गई इस वाहन स्क्रैप नीति को मिली मंजूरी में एक अप्रैल 2020 से
लागू करने का निर्णय लिया गया है, जिसके तहत 20 साल पुराने कॉमशियल वाहन सड़कों पर
नहीं दौड़ सकेंगे। जीएसटी परिषद से स्क्रैप किए गए वाहन के बदले नया वाहन खरीदने पर
जीएसटी रेट 28 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत करने का आग्रह किया गया है। पुराने वाहन को
स्क्रैप के लिए देकर नया वाहन खरीदा तो दाम में 15-20 प्रतिशत तक का फायदा देने पर
बल दिया जा रहा है। वहीं इसके लिए स्क्रैप में बदले जाने वाले वाहनों को वाहन
मालिक को प्रमाण पत्र देने का प्रावधान भी किया गया है। मसलन गैर-पंजीकृत यानी पंजीकरण
रद्द होने पर वाहनों के मालिकों को कबाड़ के हिसाब से मूल्य, जीएसटी छूट और नए वाहन
की खरीदारी पर वाहन निर्माताओं से छूट देने का प्रावधान भी है।
कई शहरों में लागू हो प्रतिबंध
मंत्रालय
के अनुसार हालांकि नई दिल्ली समेत कई शहरों में इतने पुराने वाहनों को शहर की सीमा
के अंदर परिचालन करने की अनुमति नहीं है। मसलन एक अंतर-मंत्रालयी समूह द्वारा लिए गए
निर्णय के तहत वर्ष 2000 से पहले पंजीकृत सभी वाणिज्यिक वाहनों का पंजीकरण 2020
में नई नीति के प्रभावी होने के बाद रद्द हो जाएगा। फिर भी वाहनों से होने वाले
प्रदूषण से निपटने के लिए वाहन स्क्रैप नीति लागू करना जरूरी समझा गया है। एक
अनुमान के अनुसार देशभर में पंजीकृत वाहनों में 2.8 करोड़ कॉमर्शियल वाहन ऐसे हैं
जो बीस साल या उससे ज्यादा पुराने हैं।
हितधारकों का तर्क
केंद्र
सरकार की सड़को से पुराने वाहनों को हटाने के लिए स्क्रैप नीति लागू करने की योजना
के बारे में ट्रासपोर्टरों और अन्य हितधारको का मानना है कि नीति के तहत जिन पुराने
वाहनों का पंजीकरण रद्द होगा, उनमें से ज्यादातर छोटे शहरों और देश के आंतरिक हिस्सों
में परिचालन कर रहे वाहन शामिल होंगे। इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग
के समन्वयक एसपी सिंह का कहना है कि 2020 से
पुराने वाहनों को प्रतिबंधित से वाहन बाजार मजबूत होगा, लेकिन यह मजबूती कबाड़ वाहनों
के मालिकों को दिए जाने वाले लाभ या रियासत पर निर्भर करेगी।
30Mar-2018
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