बुधवार, 21 मार्च 2018

आपदा जोखिम पर मिला जापान बना सहयोगी



पहली बार शुरू हुई भारत-जापान कार्यशाला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आपदा प्रबंधन की दिशा में भारत को जापान भी तकनीकी और प्रभावी प्रणालियों के सहयोग के लिए आगे आ रहा है। इसी के तहत भारत में पहली बार आपदा जोखिम न्यूनीकरण को लेकर भारत-जापान कार्यशाला में देानों देशों ने मंथन शुरू कर दिया है।
गृहमंत्रालय के अनुसार सोमवार को यहां विज्ञान भवन में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण (डीआरआर) विषय पर शुरू हुई दो दिवसीय भारत-जापान कार्यशाला का उद्घाटन नीति आयोग के उपाध्‍यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने किया। गृह मंत्रालय, राष्‍ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) तथा जापान सरकार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यशाला में बोलते हुए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने भारत और जापान की दो प्राचीन एशियाई सभ्‍यताओं के बीच समानता का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों ही देशों का लगातार काफी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित रहे हैं, जो आपस में मिलकर आपदा के जोखिम को कम कर विकास के लिए सक्रिय रूप से विनिवेश भी कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि गत सितंबर 2017 में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण पर दोनों देशों के बीच हुए समझौते के तहत यह कार्यशाला सहमत पहलों के औपचारिक कार्यान्वयन की शुरूआत है। उन्‍होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से आपदा का जोखिम और बढ़ा है। इसलिए सतत विकास की संपूर्ण रणनीति से आपदा जोखिम प्रबंधन को अलग नहीं किया जा सकता है। सेंडाई में आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण, पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर और न्‍यूयार्क में सतत विकास के लक्ष्‍यों को लेकर की गई प्रतिबद्धताओं का जिक्र करते हुए डॉ. राजीव कुमार ने खासकर आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण के क्षेत्र में प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन में ऐसे देशों की भूमिका पर बल दिया और कहा कि आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण को आर्थिक वृद्धि की लागत के रूप में नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसे देश की बहुमूल्य संपत्ति के तौर पर देखा जाना जरूरी है।
छह पक्षीय दृष्टिकोण
नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने इस दिशा में छह पक्षीय दृष्टिकोण के तहत जोखिम की पहचान, जोखिम कम करना, तैयारी, वित्‍तीय सुरक्षा, अस्‍थायी पुनर्निर्माण और सामाजिक जागरूकता के जरिए आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण को लेकर जापान के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की। उन्‍होंने विनाशकारी प्राकृ‍तिक आपदाओं से निपटने के लिए नागरिकों को तैयार करने में शिक्षा और स्‍कूल की भूमिका के बारे में बताया। जोखिम से जुड़े निवेश को बढ़ावा देने के लिए हितधारकों के साथ साझेदारी बढ़ाने की भूमिका पर बल दिया। इस बारे में उन्‍होंने कहा कि एकजुट प्रयास करने से जोखिम और आपदा से क्षति कम होती है और इसलिए यह कार्यशाला आपदा जोखिम से निपटने में हमारे लोगों और समुदायों की आपसी साझेदारी, शिक्षा और उनकी क्षमता बढ़ाने की दिशा में अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण कदम साबित हो सकती है।
कानूनी व योजना पर बल
कार्यशाला में जापान के मंत्रिमंडल में नीति समन्यव उपमंत्री मामोरू माइकावा ने दोनों देशों के बीच आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण (डीआरआर) के बारे में समझौते को आगे बढ़ाने की दिशा में कानूनी और योजना तैयार करने का खाका तैयार करने पर बल दिया। इसके लिए उन्हों जापान की डीआरआर नीतियों के अनुभव साझा करते हुए जानकारी दी कि जापान सरकार शिक्षण संस्‍थानों, निजी कंपनियों और नागरिकों के साथ सहयोग कर बड़े पैमाने पर आपदा से निपटने की तैयारी कर रही है। उन्‍होंने कहा कि जापान और भारत को सेंडाई खाके के कार्यान्यवन में सहयोग करना चाहिए, ताकि वैश्विक आपदा जोखिम कम करने में योगदान दिया जा सके। इस मौके पर प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने वैश्विक आपदा जोखिम कम करने में जापान के असाधारण योगदान के बारे में चर्चा की। उन्होंने प्रौद्योगिकी में जापान के नेतृत्व और डीआरआर में इसके संपूर्ण सामाजिक दृष्टिकोण को देखते हुए सभी विकास क्षेत्रों में आपदा जोखिम प्रबंधन के सिद्धांतों को अपनाने की आवश्‍यकता पर बल दिया। कार्यशाला में भारत में जापान के राजदूत श्री केंजी हिरामात्सू समेत 50 जापानी और 70 भारतीय तकनीकी संस्थानों, निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा गंभीर चर्चा की जा रही है।
20Mar-2018

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