गुरुवार, 1 मार्च 2018

नमामि गंगे: उत्तराखंड में शतप्रतिशत होगी सीवेज सुविधा




हरिद्वार व ऋषिकेश में 1024.5 करोड़ की 31 परियोजना लागू
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
उत्‍तराखंड में नमामि गंगे अभियान की सीवेज प्रबंधन परियोजनाओं के तहत हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे शहरों में 100 फीसदी अपशिष्ट जल शोधन की सुविधा उपलब्ध कराने का काम तकरीबन पूरा हो चुका है। राज्य में 1024.5 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली 155.45 एमएलडी क्षमता वाले जल शोधन संयंत्र (एसटीपी) से जुड़ी 31 अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं में 151.02 किलोमीटर लम्‍बी सीवर लाइन बिछाने या बदलने का काम भी शामिल है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के अनुसार इन 31 परियोजनाओं में से 13 का काम पूरा हो चुका है। 139.5 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुई इन परियोजनाओं के तहत बनाए गए जल शोधन संयंत्रों की कुल क्षमता 24 एमएलडी है। बाकी बची 18 परियोजनाएं क्रियान्वयन का काम भी विभिन्न प्रक्रिया चरणों में हैं और 16 परियोजनाओं का ठेका दे दिया है। इन परियोजनाओं में हरिद्वार के जगजीतपुर और सराय, ऋषिकेश के तपोवन तथा श्रीनगर, जोशीमठ, कर्णप्रयाग और रूद्रप्रयाग में भी जल शोधन संयंत्रों के नवीकरण और इंटरसेप्शन तथा डाइवर्जन का काम शामिल है। हरिद्वार में अनुमानित 114 एमएलडी अपशिष्ट जल की निकासी होती है, लेकिन जगजीतपुर और सराय में बने तीन जल शोधन संयंत्र केवल 63 एमएलडी जल शोधन ही कर पाते हैं और बाकी बचा दूषित जल गंगा नदी में सीधे प्रवाहित हो जाता है। इस कमी को पूरा करने के लिए ही जगजीतपुर में 18 एमएलडी क्षमता वाले मौजूदा जल शोधन संयंत्र के अतिरिक्त 64 एमएलडी क्षमता वाला एक और जल शोधन संयंत्र बनाने की मंजूरी दी गई है। इसके अलावा सराय में भी 14 एमएलडी क्षमता वाला नया जल शोधन संयंत्र लगाया जा रहा है। संयंत्रों के बनने से शहर में जल शोधन संयंत्रों की कुल क्षमता 145 एमएलडी हो जाएगी। हरिद्वार में इन सभी जल शोधन प्रबंधन परियोजनाओं के लिए कुल 413.87 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसके अलावा इनमें कीर्तिनगर में अलकनंदा नदी में प्रदूषण कम करने, ग्‍यासू  में जल शोधन संयंत्र का नवीकरण, ऋषिकेश में स्‍वर्गाश्रम में पहले से बने जल शोधन संयंत्र का उन्नयन और मुन्‍नी की रेती में नया जल शोधन संयंत्र बनाने का काम शामिल है।
घाटो व शवदाह गृह का निर्माण
उत्तराखंड में 22 घाटों के निर्माण तथा इतनी ही संख्‍या में शवदाह गृह बनाने के लिए 161.16 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं और विभिन्न चरणों में क्रियान्वित की जा रही परियोजनाओं में हरिद्वार व ऋषिकेश के अलावा देवप्रयाग से रूद्रप्रयाग के बीच टिहरी गढ़वाल, रूद्रप्रयाग, उत्‍तरकाशी और चमोली जिलों के विभिन्न शहरो व कस्बों में घाटों और शवदाहगृहों के निर्माण से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। हरिद्वार के चांडीघाट में घाट और शवदाह गृह के निर्माण का काम प्रगति पर है। इस परियोजना की अनुमानित लागत 50.36 करोड़ रुपये है। इसका 41 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है। ऋषिकेश में करीब 15 एमएलडी अपशिष्ट जल की निकासी होती है। शहर में इस समय स्‍वर्गाश्रम, लक्‍कड़ घाट और आईडीपीएल में करीब 23 एमएलडी क्षमता वाले तीन जल शोधन संयंत्र हैं। लेकिन शहर से निकलने वाला अपशिष्ट जल का काफी कुछ हिस्‍सा इन संयंत्रों में नहीं पहुंचता, बल्कि सीधे नदी में गिरता है।
ऋषिकेश में अगले साल पूरी होंगी परियोजनाएं
नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ऋषिकेश के लक्‍कडघाट में 26 एमएलडी क्षमता वाला एक नया जल शोधन संयंत्र मंजूर किया गया है। इसके लिए निविदा प्रक्रिया चल रही है। यह परियोजना 2019 तक पूरी हो जाएगी। स्‍वर्गाश्रम में जल शोधन संयंत्र के नवीकरण का काम प्रगति पर है, जो जून, 2018 तक पूरा हो जाएगा। ये दोनों संयंत्र मिलकर 29 एमएलडी अपशिष्ट जल का शोधन कर सकेंगे। इसके अलावा मुन्‍नी की रेतीमें 67 करोड़ रुपये की लागत से 12.5 एमएलडी क्षमता वाले शोधन संयंत्र का काम पहले से ही शुरू हो चुका है। ऋषिकेश में सीवर लाइनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए समूचे सीवेज प्रबंधन ढांचे को बेहतर बनाने के लिए 12 किलोमीटर सीवर लाइनें बिछाने तथा मौजूदा पम्‍प स्‍टेशनों के उन्‍नयन का काम भी इस परियोजना में शामिल है।
01Mar-2018

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