निजी
क्षेत्र में मिलेगा 20 लाख तक करमुक्त ग्रेच्युटी का लाभ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में
विपक्ष के लगातार जारी हंगामे के बीच सरकार ने लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा
में भी ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक को पारित करा लिया है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद अब निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की
20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी की रकम करमुक्त हो जाएगी।

इसलिए लाया गया संशोधन
केंद्रीय
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक में निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक
उपक्रम या स्वायत्त संगठनों के ऐसे कर्मचारियों के उपदान (ग्रेच्यूटी) की अधिकतम सीमा
में वृद्धि का प्रावधान है, जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अनुसार सीसीएस (पेंशन)
नियमावली के अधीन शामिल नहीं हैं। अभी तक दस अथवा अधिक लोगों को नियोजित करने वाले
निकायों के लिए उपदान भुगतान अधिनियम-1972 लागू है, जिसके तहत कारखानों, खानों, तेल
क्षेत्रों, बागानों, पत्तनों, रेल कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में लगे
कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने पांच वर्ष की नियमित सेवा प्रदान की है। अधिनियम की धारा
4 के अधीन ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा वर्ष 2010 में 10 लाख रूपये रखी गई थी। सातवें
वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिये
ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा को 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया गया। इसलिए
निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भी महंगाई और वेतन वृद्धि
पर विचार करते हुए सरकार का अब यह विचार है कि उपदान भुगतान अधिनियम-1972 के अधीन शामिल
कर्मचारियों के लिए उपदान (ग्रेच्यूटी) की पात्रता में संशोधन करने का निर्णय लिया
गया। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य मकसद सेवानिवृत्ति के बाद कामगारों की सामाजिक
सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति की नियमावली के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्ति
हुई हो अथवा शरीर के महत्वपूर्ण अंग के नाकाम होने से शारीरिक विकलांगता के कारण सेवानिवृत्ति
हुई हो।
23Mar-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें