निजी
क्षेत्र में मिलेगा 20 लाख तक करमुक्त ग्रेच्युटी का लाभ
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में
विपक्ष के लगातार जारी हंगामे के बीच सरकार ने लोकसभा के बाद गुरुवार को राज्यसभा
में भी ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक को पारित करा लिया है।
इस विधेयक के पारित होने के बाद अब निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों की
20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी की रकम करमुक्त हो जाएगी।
संसद के
बजट सत्र के दूसरे चरण में विभिन्न मुद्दों को लेकर जारी विपक्ष के हंगामे से
दोनों सदनों की कार्यवाही पटरी पर नहीं आ पा रही है ,लेकिन लोकसभा में हंगामे के
बीच पिछले सप्ताह पारित हुए ग्रेच्युटी से संबंधित उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक-2018
को गुरुवार को राज्यसभा में भी पारित करा लिया गया है। गुरुवार को राज्यसभा की
हंगामे के साथ चली बीस मिनट की कार्यवाही के दौरान ही केंद्रीय श्रम एवं रोजगार
मंत्री संतोष गंगवार के अनुरोध पर इस विधेयक को लिया गया और बिना चर्चा के ही इस
विधेयक को मंजूरी मिल गई। विधेयक में संशोधित कानूनों के तहत अब निजी क्षेत्र में
काम करने वाले कर्मचारियों को अब 20 लाख तक की ग्रेच्युटी कर मुक्त होगी। अभी तक संगठित
क्षेत्र में 5 साल या इससे ज्यादा अवधि तक नौकरी कर चुके कर्मचारी नौकरी छोड़ने या
रिटायर होने के बाद 10 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी करमुक्त योग्य मानी जाती है।
हालांकि इस विधेयक के लिए कांग्रेस के डॉ सुब्बीरामी रेड्डी द्वारा पेश दो संशोधन वापस
ले लिये गये, जिसके कारण अब इस विधेयक में धारा 2क का संशोधन के तहत केंद्र सरकार में
निरंतर सेवा में शामिल महिला कर्मचारियों को वर्तमान 12 सप्ताह के स्थान पर ‘प्रसूति
छुट्टी की अवधि’ को अधिसूचित करने का प्रावधान भी पारित हो गया। ऐसा ऐसा प्रावधान इसलिये
किया गया, क्योंकि प्रसूति सुविधा संशोधन अधिनियम 2017 के माध्यम से प्रसूति छुट्टी
की अवधि को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह की गई थी।
इसलिए लाया गया संशोधन
केंद्रीय
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अनुसार इस विधेयक में निजी क्षेत्र और सरकार के अधीन सार्वजनिक
उपक्रम या स्वायत्त संगठनों के ऐसे कर्मचारियों के उपदान (ग्रेच्यूटी) की अधिकतम सीमा
में वृद्धि का प्रावधान है, जो केंद्र सरकार के कर्मचारियों के अनुसार सीसीएस (पेंशन)
नियमावली के अधीन शामिल नहीं हैं। अभी तक दस अथवा अधिक लोगों को नियोजित करने वाले
निकायों के लिए उपदान भुगतान अधिनियम-1972 लागू है, जिसके तहत कारखानों, खानों, तेल
क्षेत्रों, बागानों, पत्तनों, रेल कंपनियों, दुकानों या अन्य प्रतिष्ठानों में लगे
कर्मचारी शामिल हैं जिन्होंने पांच वर्ष की नियमित सेवा प्रदान की है। अधिनियम की धारा
4 के अधीन ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा वर्ष 2010 में 10 लाख रूपये रखी गई थी। सातवें
वेतन आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के बाद केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिये
ग्रेच्यूटी की अधिकतम सीमा को 10 लाख रूपये से बढ़ाकर 20 लाख रूपये कर दिया गया। इसलिए
निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों के मामले में भी महंगाई और वेतन वृद्धि
पर विचार करते हुए सरकार का अब यह विचार है कि उपदान भुगतान अधिनियम-1972 के अधीन शामिल
कर्मचारियों के लिए उपदान (ग्रेच्यूटी) की पात्रता में संशोधन करने का निर्णय लिया
गया। इस अधिनियम को लागू करने का मुख्य मकसद सेवानिवृत्ति के बाद कामगारों की सामाजिक
सुरक्षा प्रदान करना है, चाहे सेवानिवृत्ति की नियमावली के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्ति
हुई हो अथवा शरीर के महत्वपूर्ण अंग के नाकाम होने से शारीरिक विकलांगता के कारण सेवानिवृत्ति
हुई हो।
23Mar-2018
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें