सोमवार, 12 मार्च 2018

संसद में गिरी वाद-विवाद की गुणवत्ता





राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सम्मेलन में बोले उप राष्ट्रपति
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
विकास के लिए हमविषय पर आयोजित राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन में उप राष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने विधानमंडल को लोकतांत्रिक शासन का मुख्य आधार करार देते हुए कहा कि सभी जनप्रतिनिधि विकास के दूत होते हैं। मसलन जनता द्वारा चुने हुए लोगों का दायित्व है कि वे शासित करने वाले कानूनों के माध्यम से उनकी आशाओं, आकांक्षाओं और उनके सपनों को साकार करें। 
यंहा संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में भारतीय संसदीय ग्रुप द्वारावी फॉर डेवलपमेंटकी थीम पर आधारित दो दिवसीय राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य वक्ता के रुप में बोलते हुए उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस प्रकार विधानमंडलों को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन को बढ़ावा देकर राष्ट्र निर्माण का अग्रदूत बनने का कार्य सौंपा गया है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों का ध्यान विधानमंडलों के बारे में लोगों की बढ़ती हुई अपेक्षाओं की ओर दिलायाजो कानून बनाने वालीइन महत्वपूर्ण संस्थाओं की विश्वसनीयता और कार्यकरण के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को सचेत करते हुए कहा कि विधानमंडलों की बैठक बहुत कम दिनों के लिए हाने के कारण विचार-विमर्श के लिए समय और कानूनों में कमी आ रही है यानि वाद विवाद की गुणवत्ता गिरने के साथ विचार-विमर्श के मानदंडों का स्थान कार्यवाही में व्यवधान ने ले लिया है, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों का आदर्श आचरण उनकी विचारधारा से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है विधानमंडलों,निर्वाचन क्षेत्रों और शासी निकायों में जनप्रतिनिधियों का आचरण। उन्होंने जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने कार्य के बारे में रोज आत्ममंथन किये जाने पर बल देते हुए कहा कि विधानमंडलों में चर्चा के लिए लिए जाने वाले विषयों के बारे में पढ़ने की आदत जनप्रतिनिधियों के लिए अपनी जानकारी अद्यतन रखने के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है और इससे उन्हें देश में विकास संबंधी लक्ष्यों पर विचार विमर्श में योगदान करने में भी मदद मिलेगी। इसके अलावा लोगों से मिलने-जुलने और अपने निर्वाचन क्षेत्र में नियमित रूप से दौरा करने से जनप्रतिनिधियों को लोगों की समस्याओं को समझने और उनका समुचित रुप से निदान करने में मदद मिलेगी। उन्होंने यह सुझाव भी दिया कि जनप्रतिनिधियों को विधानमंडलों में नियमित रूप से और पाबंदी से आना चाहिए। नायडू ने स्वतंत्रता प्राप्ति के उपलक्ष्य में 26 अगस्त से 1 सितंबर 1997 को मनाई गई स्वर्ण जयंती के अवसर पर स्वीकार किए गए संकल्प की जानकारी देते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि लोगों की सोच बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, इसलिए उन्हें विकास पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि लोग इसकी मांग कर रहे हैं और इस पर नजर भी रख रहे हैं। इसलिए विकास संबंधी नीतियों का केंद्र बिंदु लोग होने चाहिए और उन्हें विकास में भागीदार बनाए जाने की आवश्यकता है।
विकास व राजनीति हों अलग-अलगः महाजन
समापन भाषण देते हुए लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने कहा कि विकास निरंतर होना चाहिए और हमें निचले स्तर सहित सभी भागीदारों के साथ निरंतर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विकास और चुनावी राजनीति को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। उन्होंने यह सुझाव दिया कि जनप्रतिनिधियों को केवल आकांक्षी जिलों तक ही अपने प्रयास सीमित नहीं रखने चाहिए, बल्कि सभी जिलों का विकास करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि हम सब को सजग रहकर लोगों को सरकारी योजनाओं और नीतियों के बारे में जानकारी प्रदान करनी होगी ताकि विकास के लाभ सभी को प्राप्त हो सकें। उन्होंने जनप्रतिनिधियों को चर्चा में गहरी रुचि लेने, छोटी-छोटी बातों की ओर ध्यान देने, सुझाव देने और केंद्रीय मंत्रियों और वरिष्ठ सांसदों के साथ सार्थक बातचीत करने के लिए धन्यवाद दिया।
विश्वसनीयता में आचरण जरुरीः जेटली
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विदाई सत्र में जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधि की विश्वसनीयता उसके आचरण पर निर्भर करती है और उसकी विश्वसनीयता के आकलन का मापदंड सभा के भीतर और बाहर उनके सहयोगियों द्वारा इसे स्वीकार किया जाना है। इसलिए यह आवश्यक है कि लोकतंत्र के सफल कार्यक्रम के लिए संसदीय गरिमा और शालीनता कायम रखी जाए।वर्तमान समय में हमारे पास ज्ञान का भंडार है और आज जरूरत इस बात की है कि इस जानकारी को एकत्र करके, इसका संकलन और विश्लेषण करके सभा में अपनी बात रखी जाए। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से देश की वित्तीय स्थिति के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करने का अनुरोध किया। केंद्र-राज्य समन्वय के उदाहरण के रूप में जीएसटी का उल्लेख करते हुए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि, सामाजिक न्याय आदि जैसे अन्य क्षेत्रों में केंद्र और राज्य के बीच प्रभावी सामंजस्य की व्यवहारिकता का पता लगाए जाने की जरूरत है।
विकास में हो तकनीक का इस्तेमाल
इस मौके पर केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग, पोत परिवहन तथा जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन जयराम गडकरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी या ज्ञान की कमी नहीं है, बल्कि आने वाले समय में जनप्रतिनिधि जिस प्रकार के विकास की आकांक्षा रखते हैं, उसे प्राप्त करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति और दूरदर्शिता की आवश्यकता है। अपने निर्वाचन क्षेत्र के विकास के प्रति वचनबद्धता के साथ उनकी रणनीति चार प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित होनी चाहिए। नई-नई पहले करना, प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और शोध। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से समस्याओं के समाधान ढूंढने के नए तौर-तरीके सीखने और एक आदर्श योजना विकसित करने का अनुरोध किया। इससे पहले प्रतिवेदकों ने कार्य सत्रों के प्रतिवेदन तैयार किए।

संकल्प पारित
सम्मेलन में पारित एक संकल्प में कहा गया था रू हम, नई दिल्ली में 10 और 11 मार्च 2018 को विकास के लिए हमविषय पर आयोजित राष्ट्रीय जनप्रतिनिधि सम्मेलन में समवेत जन प्रतिनिधि एतद्द्वारा संकल्प लेते हैं कि हम राष्ट्र निर्माण के कार्य और सबके सतत विकास के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे, हम देश के नागरिकों को विकास योजनाओं एवं इन योजनाओं के क्रियान्वयन, संसाधनों के उपयोग तथा योजनाओं के परिणामों के बारे में अधिक से अधिक अवगत करायेंगे, हम लोगों की भागीदारी, विकास की नीतियों, योजनाओं और सुशासन तंत्र में सुनिश्चित करेंगे, और हम सब एक ऐसे भारत के निर्माण करने का अथक प्रयास करेंगे जिसमें कोई क्षेत्र और वर्ग पीछे न छूटे।
12Mar-2018
 


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