प्रभावित राज्यों में विकास परियोजनाओं का असर: केंद्र
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार द्वारा नक्सलवादी और आतंकी घटनाओं पर अंकुश लगाने की दिशा में नक्सल
प्रभावित आठ राज्यों के साथ जम्मू-कश्मीर में समग्र विकास की चलाई जा रही
परियोजनाओं में तेजी लाने का फैसला किया गया है। सरकार का दावा है कि पिछले चार
साल में नक्सली और आतंकी घटनाओं पर विकास की परियोजनाएं भारी पड़ रही है, जिसके
नतीजों के बीच ऐसी हिंसक घटनाओं में लगातार कमी आई है।
केंद्रीय
गृह मंत्रालय के अनुसार छत्तीसगढ़ जैसे आठ राज्यों के वामपंथी उग्रवाद प्रभावित
जिलों में बुनियादी सुविधाओं के साथ आधारीभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए केंद्र
सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों द्वारा सम्रग विकास की परियोजनाएं पटरी पर
उतारी है, जिसके सकरात्मक नतीजे सामने आ रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज
गंगाराम अहीर ने ऐसी परियोजनाओं और स्कीमों की जानकारी देते हुए बताया कि आठ
राज्यों और 34 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों में सड़क कनेक्टिविटी में सुधार के
लिए सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा वर्ष 2009 से रोड रिक्वायरमेंट प्लान-1 के तहत
स्वीकृत 5422 किमी सड़क में से अब तक 4537 किमी सड़कों का निर्माण पूरा किया जा
चुका है। इसी प्रकार ऐसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों हेतु सड़क कनेक्टिविटी परियोजना
के तहत हाल ही में 11725 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 44 वामपंथी उग्रवाद प्रभावित
जिलों में 5412 किमी सड़कों तथा 126 पुलों व पुलियाओं के निर्माण को ग्रामीण विकास
मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया है। मंत्रालय के अनुसार नक्सलवाद प्रभावित
क्षेत्रों में संचार प्रणाली को दुरस्त करने की दिशा में पहले चरण में 2329 मोबाइल
टावर स्थापित किये गये हैं। वहीं ऐसे 47 जिलों में सामाजिक सुधार और उन्हें
सामाजिक विचारधारा से जोड़ने की दिशा में हरेक जिले में एक-एक आईआईटी तथा 34 जिलों
में दो-दो कौशल विकास केंद्रों की स्थापना की योजना के तहत पिछले पांच साल में 15
आईआईटी और 43 कौशल विकास केंद्र स्थापित कर दिये गये हैं। नक्सलवाद प्रभावित जिलों
में शैक्षिक पहलों में स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए आठ नए
केंद्रीय विद्यालय तथा पांच नए जवाहर नवोदय विद्यालयों की स्वीकृति दी गई है। वहीं
आरएमएस के तहत 35 सर्वाधिक वामपंथी उग्रवाद जिलों में 1590 नए विद्यालयों के अलावा
350 बालिका छात्रावास बनाने की योजना शुरू की जा रही है।
केंद्रीय सहायता में बढ़ोतरी
मंत्रालय
के अनुसार नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित 35 जिलों में लोक अवसंरचना तथा सेवाओं को
आमजन तक मुहैया कराने की दिशा में एक नई स्कीम के तहत तीन सालों के लिए तीन हजार
करोड़ रुपये की रकम का अनुमोदन किया जा चुका है। इसके अलावा विभिन्न मंत्रालयों ने
संबन्धित स्कीमों से ऐसे क्षेत्रों के समग्र विकास की योजनाओं को पटरी पर उतारा
है। वहीं केंद्र के साथ राज्य सरकारे भी अपने अधिकार वाले विषयों के पुलिस और लोक व्यवस्था
कायम करते हुए वामपंथी कॉडरों को मुख्य धारा में लाने के लिए आत्मसमर्पण और
पुनर्वास को प्रोत्साहित कर रही है। इस दिशा में केंद्र की सुरक्षा संबन्धी
मंत्रिमंडल समिति द्वारा आत्मसमर्पण करने वाले एलडब्ल्यू कॉडरों के पुनर्वास हेतु
उच्च, मध्य और निम्न रैंक वाले कॉडरों के लिए क्रमश: पांच लाख रुपये और ढाई लाख
रुपये तक खर्च की प्रतिपूर्ति करने का प्रावधान किया गया है। वहीं उनके पुनर्वास
और रोजगार के लिए प्रशिक्षण देने के लिए तीन वर्षो के लिए छह हजार प्रतिमाह की
छात्रवृत्ति का भुगतान करने की योजना भी शुरू की गई है।
सरकार की योजनाओं का असर
गृहमंत्रालय
ने यह भी दावा किया है कि सरकार द्वारा शुरू की गई परियोजनाओं और स्कीमों के
सकारात्मक नतीजे सामने आए हैं, जिसमें लगातार नक्सलवाद की घटनाओं में कमी आई है।
पिछले चार सालों की घटनाओं पर नजर डाली जाए तो वामपंथी उग्रवाद क्षेत्रों में जहां
वर्ष 2015 में 1089 घटनाएं हुई, तो वहीं 2018 में फरवरी तक केवल 122 घटनाएं ही
सामने आई। वर्ष 2016 में 1048, और वर्ष 2017 में केवल 908 नक्सलवादी घटनाएं घटी।
इसी प्रकार पूर्वोत्तर में वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में भी कमी आई है, जिसमें
वर्ष 2015 में जहां 574 घटनाएं हुई, वहीं 2016 में आई कमी के तहत 484 और 2017 में
308 घटनाएं हुई। जबकि वर्ष 2018 के शुरूआती दो माह में केवल 50 घटनाएं हुई हैं।
जहां तक आतंकवादी घटनाओं का सवाल है उससे प्रभावित जम्मू-कश्मीर में वर्ष 2015 में
208 घटना के मुकाबले वर्ष 2016 में 322 और वर्ष 2017 में 342 घटनाओं के बढ़ते
ग्राफ के बावजूद सरकार द्वारा विशेष विकास पैकज की परियोजनाओं शुरू करने के बाद
वर्ष 2018 में अभी तक 49 आतंकी घटनाएं हुई हैं।
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छत्तीसगढ़ पर विशेष फोकस
मंत्रालय
के अनुसार प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद पर फोकसद करते हुए बाकी सभी
प्रभावित राज्यों में वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए सरकारी ने बहु-आयामी
रणनीति तैयार की है, जिसमें सुरक्षा संबन्धी उपायों के अलावा सुरक्षा बलों को
अत्याधुनिक सुविधाएं देने, उनकी संख्या बढ़ाने, हैलीकाप्टर और यूएवी, प्रशिक्षण
सहायता देने, के अलावा स्थानीय समुदाय के अधिकारों को सुनिश्चित करना शामिल है।
नीति आयोग की छत्तीसगढ़ राज्य के दस जिलों समेत अपेक्षाकृत 115 जिलों के तीव्र
परिवर्तन के लिए शुरू की गई पहल के तहत प्रत्येक जिलें में एक अधिकारी को प्रभारी
के रुप में पद नामित किया गया है। वहीं हर राज्य में सचिव स्तर के नोडल अधिकारी भी
नियुक्त किये गये हैं, जो विभिन्न केंद्रीय और राज्य सरकार के कार्यक्रमों
कार्यान्वन की निगरानी के साथ राज्य में नियमित रूप से कार्य कर रहे हैं। मसलन इस
पहल का मकसद सरकार की योजनाओं के कार्यान्वन की समयबद्धता और समुदायों के बीच
समन्वय कायम करके उनके लिए शुरू की गई सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।
07Mar-2018
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