अंतर्राष्ट्रीय
कार्यशाला में कल होगा मंथन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश में
बढ़ते जल संकट की चुनौती से निपटने के लिए भारत इजरायल की तर्ज पर ‘वृहद जल परिवहन
प्रणाली’ को लागू करने की योजना बना रहा है। इस प्रणाली को लेकर नौ मार्च को यहां
आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में मंथन किया जाएगा।
केंद्रीय जल
संसाधन मंत्रालय ने यह जानकारी देते हुए बताया कि यहां नई दिल्ली में शुक्रवार 09 मार्च
को ‘वृहद जल परिवहन प्रणाली के लिए अधिक मोटाई वाले पाइपों के इस्तेमाल’ विषय पर आयोजित
होने वाली एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय जल संसाधन
मंत्री नितिन गडकरी करेंगे। जल संसाधन मंत्रालय के तत्वावधान में वाप्कोस और राष्ट्रीय
जल विकास एजेंसी द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में इजरायल की तर्ज पर जल प्रबंधन और
उसके इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा, जिसमें विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ ‘वृहद जल
परिवहन प्रणाली की दिशा में मोटाई वाले पाइपों के इस्तेमाल करने संबन्धी विचार
विमर्श किया जाएगा। कार्यशाला में पारंपरिक जल परिवहन प्रणाली, वृहद जल परिवहन प्रणाली
में गैर पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल और अधिक मोटाई वाले पाइपों की योजना बनाना,
डिजाइन तैयार करना और प्रबंधन विषय पर तीन तकनीकी सत्र होंगे।
जल परिवहन क्षमता बढ़ाने पर जोर
मंत्रालय
के अनुसार देश में अभी तक पारंपरिक रूप से जल परिवहन नहर प्रणाली के जरिए किया जाता
है। ऐसी प्रणालियों की आपूर्ति क्षमता 35 से 60 प्रतिशत की रहती है। इजरायल की
तकनीक के तहत पाइपों के जरिए जल परिवहन को अधिक पसंद किया जा रहा है, क्योंकि ऐसी
प्रणालियों से जल परिवहन की क्षमता बढ़कर 70 से 80 प्रतिशत तक हो जाती है। कम भूमि
में ही शहर या सिंचाई के लिए जल आपूर्ति हेतु पाइपों के जरिए जल परिवहन की व्यवस्था
की जा सकती है, इसलिए इससे लागत कम करने में
भी मदद मिलती है। इस कार्यशाला में जल परिवहन के लिए अधिक मोटाई वाली पाइपलाइनों के
इस्तेमाल की योजना बनाने, डिजाइन तैयार करने, इस्तेमाल में आने वाली सामग्री, निर्माण
पहलुओं, संचालन और प्रबंधन तथा इससे संबंधित अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया
जाएगा।
08Mar-2018
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