लोस:
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा पर संशय बरकरार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद में
सरकार की ओर से किये जा रहे प्रयासों के बावजूद विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष के
साथ जारी गतिरोध के खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। पिछले तीन सप्ताह की
कार्यवाही हंगामे की भेंट चढ़ने के बाद अब कल मंगलवार को मोदी सरकार के खिलाफ
अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कांग्रेस के बाद माकपा भी आगे आ गई है। हालांकि
सरकार इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने को तैयार है, बेशर्ते सदन की कार्यवाही सुचारू रूप
से चलाई जाए।
संसद के
बजट सत्र के दूसरे चरण की पिछले तीन सप्ताह में 15 दिन की कार्यवाही विपक्ष के
हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है, जिसके कारण एक भी दिन दोनों सदनों में प्रश्नकाल व
शून्यकाल तक नहीं हो सके हैं। पीएनबी घोटाले, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने और
कावेरी जल विवाद के अलावा अन्य मुद्दों को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल
मोदी सरकार पर आक्रमकता के साथ हमलावर हैं और दोनों सदनों में लगातार हंगामा करके
प्रदर्शन करते आ रहे हैं। यही नहीं सरकार और विपक्ष के बीच बढ़ते इस गतिरोध में
तेदेपा व वाईएसआर कांग्रेस के पांच बार मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश
न होने के बाद अब कांग्रेस और माकपा भी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दे चुकी
है। इस प्रस्ताव को कल मंगलवार को लोकसभा में पेश करने का प्रयास किया जाएगा। यदि
विपक्ष ने लोकसभा में हंगामा करने के बजाए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा मांगी तो
इसकी अनुमति मिलने पर चर्चा कराई जा सकती है, जिसके लिए सरकार भी चर्चा कराने को
तैयार है।
सरकार के प्रयास भी विफल
संसद में
जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए पिछले सप्ताह सरकार ने विपक्षी दलों से बातचीत
करने की पहल शुरू की, लेकिन सूत्रों की माने तो सरकार की यह बातचीत सिरे नहीं चढ़
पाई है। इस लिहाज से कल से शुरू हो रही संसद की कार्यवाही में इस गतिरोध के टूटने
आसार क्षीण ही नजर आ रहे है। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन की सर्वदलीय
बैठक में भी संसद को सुचारू रूप से चलाने की अपील बेनतीजा साबित हो चुकी है। यही
नहीं प्रतिदिन की कार्यवाही के दौरान लोकसभा और राज्यसभा की पीठ से विपक्ष को
दलीलों के साथ अपील की जा रही है, लेकिन हंगामा करने वाले दलों पर इसका कोई असर
नहीं हो सका है।
15 दिन में एक बिल ही पारित
संसद में गतिरोध
के कारण दोनों सदनों में लगातार जारी हंगामे के कारण संसद से केवल एक ही बिल बिना चर्चा के पारित हो सका है यानि ग्रेच्युटी
से संबन्धित इस विधेयक पर लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी हंगामे के बीच मंजूरी
हासिल की गई है। जबकि लोकसभा में इसी हंगामे के बीच चार बिल पास कराए गये हैं,
लेकिन जरूरी कामकाज व विभिन्न मुद्दों पर चर्चाएं नहीं हो पा रही हैं।
मंगलवार को संसद का एजेंडा
संसद में
चौथे सप्ताह की शुरू होने वाली कार्यवाही के दौरान सरकार की ओर से मंगलवार की
कार्यवली में जहां लोकसभा में व्यक्तियों का दुव्र्यापार(निवारण, संरक्षण और पुनर्वास)
विधेयक, अविनियमित निक्षेप स्कीम पाबंदी विधेयक, चिट फंड (संशोधन) विधयक, भगोड़ा आर्थिक
अपराधी विधेयक, भारतीय विमानपत्तन आर्थिक विनियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, वाणिज्यिक
न्यायालय, उच्च न्यायालय वाणिज्यिक प्रभाग और वाणिज्यिक अपील प्रभाग (संशोधन) विधेयक,
माध्यस्थम और सुलह (संशोधन) विधेयक तथा राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद(संशोधन) विधेयक
पेश करना शामिल है। वहीं दूसरी ओर राज्यसभा की कार्यवली में वित्त विधेयक के साथ आम बजट से संबन्धित विधेयक
के अलावा मोटरयान (संशोधन) विधेयक, स्टेट बैंक (निरसन और संशोधन) विधेयक तथा भ्रष्टाचार निवारण (संशोधन) विधेयक को शामिल
किया गया है। इसके अलावा दोनों सदनों में ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में कथित
घोटालों के संबन्ध में अल्पकालिक चर्चा शुरूआती सप्ताह से ही कार्यावली में शामिल
है।
27Mar-2018
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