मंगलवार, 13 मार्च 2018

महानदी जल विवाद न्‍यायाधिकरण गठित



न्यायमूर्ति ए.एम खनविलकर ट्रिब्यूनल के होंगे अध्यक्ष
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
आखिर केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ और ओडिशा के बीच महानदी जल विवाद के निपटारे के लिए ट्रिब्यूनल यानि न्यायाधिकरण का गठन कर दिया है। तीन सदस्य इस ट्रिब्यूनल में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम खानविलकर अध्यक्ष होंगे, जबकि पटना हाई कोर्ट के न्यायाधीश डा. रवि रंजन और दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश इंदरमीत कौर कोचर को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने महानदी जल विवाद न्‍यायाधिकरण गठित करने के संबंध में सोमवार को एक अधिसूचना जारी की। इस अधिसूचना के तहत सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुपालन में छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच चल रहे महानदी जल विवाद के निपटारे के लिए तीन सदस्य ट्रिब्यूनल का गठन किया गया है, जिसका मुख्‍यालय दिल्‍ली में होगा। इस तीन सदस्य ट्रिब्यूनल का गठन में मनोनीत न्यायमूर्तियों का मनोनयन भारत के मुख्य न्‍यायाधीश द्वारा किया गया है। 
गौरतलब है कि ओडिशा सरकार द्वारा दायर मुकदमे में 23 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद न्‍यायाधिकरण का गठन किया गया। ओडिशा सरकार ने मांग की थी, कि अंतर्राज्‍यीय नदी जल विवाद कानून-1956 के अंतर्गत अंतर राज्‍यीय नदी महानदी और उसकी नदी घाटी पर जल विवाद को फैसले के लिए न्‍यायाधिकरण को सौंप दिया जाए। इसी के तहत केंद्र सरकार की कैबिनेट में इस मुद्दे पर ट्रिब्यून गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।
13Mar-2018


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