मंगलवार, 13 मार्च 2018

संसद में नहीं टूटा गतिरोध, कार्यवाही ठप



पीएनबी समेत कई मुद्दों पर विपक्ष का हंगामा बरकार
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
सरकार के प्रयासों के बावजूद संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण की कार्यवाही पटरी पर चढ़ने को तैयार नहीं है। संसद में हंगामे की भेंट चढ़ चुकी पहले सप्ताह की कार्यवाही आज सोमवार को पीएनबी घोटाले समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के बरकरार हंगामे के कारण ठप रही। इस कारण दोनों सदनों में लगातार प्रश्नकाल व शून्यकाल नहीं चल पा रहे हैं।
सोमवार को भी पिछले सप्ताह की तरह ही लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के कारण सिरे नहीं चढ़ सकी, लेकिन लोकसभा में सोमवार को सरकार विपक्ष के हंगामे के दौरान ही दो महत्वपूर्ण विधेयक भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक-2018 तथा चिट फंड(संशोधन) विधेयक-2018 भी लोकसभा में पेश करने में कामयाब रही। इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही शुरू होते ही प्रश्नकाल का ऐलान किया तो कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), वाईएसआर कांग्रेस और अन्नाद्रमुक आदि विपक्षी दलों के सदस्यों ने आसन के करीब आकर पीएनबी घोटाले, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की मांग, कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड सहित अलग-अलग मुद्दों को उठाते हुए नारेबाजी करते हुए हंगामा शुरू कर दिया, जिसके कारण कुछ देर बाद ही कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्थगित कर दिया। इसके बाद शुरू हुई कार्यवाही के दौरान भी हंगामे की यही स्थिति रही, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के अलावा दो विधेयकों को भी पेश करा दिया और सदन की कार्यवाही को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया।
उच्च सदन की कार्यवाही ठप
राज्यसभा में भी सदन की कार्यवाही शुरू होते ही इन मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित कर दिया। दो बजे फिर शुरू हुई कार्यवाही भी विपक्ष के हंगामे के कारण चंद मिनटों में पूरे दिन के लिए स्थगित हो गई। इससे पहले पंजाब नेशनल बैंक मामले, आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे, और कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड जैसे कई मुद्दों को लेकर कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने अपनी पुरानी रणनीति के तहत आसन के करीब हंगामा बरकरार रखा। जिसके कारण सदन की कार्यवाही छठे दिन भी पटरी पर नहीं आ सकी। गौरतलब है कि बजट सत्र के दूसरे चरण में पहले पांच दिन की कार्यवाही इन्हीं मुद्दों पर हंगामे की भेंट चढ़ चुकी है। सप्ताहांत के बाद सोमवार को छठे दिन भी इन विषयों पर सदस्यों की नररेबाजी के कारण दोनों सदनों में प्रश्नकाल व शून्यकाल नहीं चल सके।
नायडू को मंत्रियों को निर्देश
सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही विपक्ष के हंगामे के बीच सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। सभापति नायडू ने मंत्रियों को निर्देश दिया कि अगर किसी मंत्री के स्थान पर कोई दूसरे मंत्री कोई दस्तावेज सदन के पटल पर रखते हैं तो उन्हें इसके लिए पहले आसन से अनुमति लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए आसन को पहले ही उचित नोटिस देना चाहिए। नायडू ने कहा कि दस्तावेज कोई अन्य मंत्री भी सदन के पटल पर रख सकते हैं लेकिन बयान संबंधित मंत्री को ही पेश करना चाहिए। सभापति नायडू ने यह टिप्पणी उस समय की जब उन्होंने दस्तावेज सदन के पटल पर पेश करने के लिए कपड़ा राज्य मंत्री अजय टमटा का नाम लिया। इस पर केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने टम्टा की ओर से दस्तावेज सदन के पटल पर पेश किया। उन्होंने पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय का एक बयान पेश करने के लिए संबंधित राज्य मंत्री एस एस अहलूवालिया का नाम लिया। लेकिन वह सदन में अहलूवालिया की अनुपस्थिति में उनके स्थान पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री विजय गोयल वह बयान सभा पटल पर रखने के लिए खड़े हुए। इसी कारण सभापति ने कहा कि बयान संबंधित मंत्री को ही पेश करना चाहिए। वहीं सभापति नायडू ने सदस्यों द्वारा व्यवस्था के सवाल पर कहा कि इसके तहत कोई भी मुद्दा तभी उठाया जा सकता है जब सदन में व्यवस्था हो। मसलन हंगामे में व्यवस्था का प्रश्न कैसे उठाया जा सकता है। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानो पर लौट जाने और शून्यकाल चलने देने की अपील की। 
13Mar-2018


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