सात
साल में सबसे कम 8.5 फीसदी मिलेगा ब्याज
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार के फैसले से देश में करीब 6.3 करोड़ कर्मचारियों को होली से ठीक पहले झटका
लगा है। मसलन ईपीएफओ के अंशधारक कर्मचिरयों को पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दरों
में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए 0.10 फीसदी कटौती करके उसे 8.65 के बजाए 8.50 फीसदी
कर दिया गया है।
नई दिल्ली के प्रवासी भवन भवन में गुरुवार को केंद्रीय श्रम
एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार और सचिव/ उपाध्यक्ष हीरालाल सामरिया
की अध्यक्षता में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के शीर्ष
निकाय केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) की बैठक में बैठक में देश के करीब
6.3 करोड़ नौकरीपेशा करने वालों को पीएफ पर मिल रहे 8.65 फीसदी ब्याज की दरों को
समीक्षा के बाद वित्तीय वर्ष 2019त्र20 के लिए 8.50 फीसदी करने का फैसला किया गया
है। पीएफ की ब्याज दरों में यह कटौती पिछले सात साल में सबसे न्यूनतम बताई गई है।
मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय न्यासी बोर्ड ही पीएफ पर ब्याज दर को लेकर
फैसला लेता है और इस फैसले को वित्त मंत्रालय की सहमति होना भी आवश्यक है। कर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन (मूल
वेतन+महंगाई भत्ता) का 12 प्रतिशत पीएफ में
जाता है और इतना योगदान कंपनी यानि नियोक्ता भी करता है। मंत्रालय के अनुसार पीएफ में कंपनी के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी ईपीएस यानि कर्मचारी पेंशन स्कीम में चला
जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार भी इसमें मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत का योगदान देती है। गौरतलब है कि ईपीएफओ ने पिछले सात साल के दौरान क्रमश:वित्त वर्ष
2016-17 में भविष्य निधि
पर 8.65 प्रतिशत और 2017-18 में 8.55 प्रतिशत का ब्याज दिया था। जबकि 2015-16 में यह 8.8 प्रतिशत वार्षिक था। इससे पहले 2013-14 और 2014-15 में भविष्य निधि पर 8.75 और 2012-13 में 8.5 प्रतिशत ब्याज दिया गया।
इसलिए
की गई कटौती
मंत्रालय
के अनुसार केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में सात महत्वपूर्ण निर्णय हुए, जिनमें
ईपीएफओ की सिफारिश पर पीएफ की ब्याजदरों में कटौती करना इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है
कि यह सीधे नौकरीपेशा करने वाले कर्मचारयों को प्रभिवत करता है। पीएफ पर ब्याज घटने के फैसले से ईपीएफओ अपने एनुअल ऐक्रुअल्स का 85 प्रतिशत हिस्सा
डेट मार्केट में और 15 प्रतिशत हिस्सा
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स के जरिए इक्विटीज में लगाता है। पिछले साल
मार्च के अंत में इक्विटीज में ईपीएफओ का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपये था और उसे
14.74 फीसदी का रिटर्न मिला था। हालांकि
सरकार मानती है कि पीएफ पर ब्याज दर घटने से कर्मचारियों को
कम मुनाफा मिलेगा, लेकिन ईपीएफओ को पिछले वित्तीयवर्ष के
दौरान बढ़ाई गई पीएफ की ब्याज दरों के कारण राजस्व पर विपरीत प्रभाव पड़ा है,
जिसके कारण इस बार पीएफ की ब्याज दरों को कम करने का प्रस्ताव सीबीटी की बैठक में
पेश किया गया, जिसे विचार विमर्श के बाद मंजूरी दे दी गई। सूत्रों के अनुसार ईपीएफओ ने 18 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें से
करीब 4500 करोड़ रुपये दीवान
हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन और इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज में लगाए
गए हैं। इन दोनों को ही भुगतान करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है। इसके लिए हालांकि आईएल और एफएस को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है।
इन फैसलों पर भी लगी मुहर
बैठक
में ईपीएफओ के भारतीय स्टेट बैंक के साथ विभिन्न सेवा शुल्कों की माफी के बाद किये
गये समझौते को भी मंजूरी दी गई। जिसके नतीजे के तहत ईपीएफओ को 15 करोड़ रुपये की
सालाना बचत हुई है। वहीं केंद्रीय बोर्ड ने जम्मू और कश्मीर बैंक के साम्राज्यीकरण के
प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जो जम्मू और कश्मीर
में ईपीएफ के बकाया लेने के लिए एकत्रित बैंकों में शामिल है। न्यासी बोर्ड ने न्यूनतम आश्वासन
लाभ के प्रावधान को बढ़ाने की सिफारिश पर मृत कर्मचारी के परिवार को न्यूनतम 2.5 से तीन लाख रुपये देने के प्रस्ताव पर भी
मुहर लगाई है, जिसमें अधिकतम आश्वासन राशि को 6 लाख रुपये तक करने का फैसला किया
गया है। इसी प्रकार बोर्ड ने ईडीएलआई योजना-1976 के पैरा 28 (4) में संशोधन को मंजूरी दे दी, ताकि अतिरिक्त केंद्रीय भविष्य
निधि आयुक्तों को शक्ति प्रदान की जा सके। इससे ऑनलाइन छूट प्रदान करने के लिए 25 हजार से अधिक प्रतिष्ठानों के लाखों कर्मचारियों को फायदा होगा।
06Mar-2020
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