मंगलवार, 31 मार्च 2020

कोरोना: आइसोलेशन वार्ड में तब्दील होने लगी ट्रेन की बोगियां

ट्रेनों में बनाए जा सकते हैं ऐसे तीन लाख बेड: रेलवे
चिकित्सा विशेषज्ञों ने किया ट्रेनों में आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण
हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।
भारतीय रेलवे ने देश में बढ़ते कोरोना वायरस के खतरे में मरीजों को इलाज के लिए आवाजाही के लिए ठप रेल सेवा के बीच इन ट्रेनों के कोचों को आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करना शुरु कर दिया है। इस पहल को शुरु करते हुए उत्तर रेलवे ने हरियाणा के जगाधरी स्थित रेलवे वर्कशॉप और एएमवी में खड़ी की गई ट्रेनों की 28 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदला है।
रेल मंत्रालय के अनुसार भारतीय रेलवे ने देश भर में लगातार पांव पसारते कोरोना वायरस के मद्देनजर पहले देशभर में यात्री रेलगाड़ियों का परिचालन बंद किया और देश में बढ़ते कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में आइसोलेशन वार्ड की मांग को पूरा करने की दिशा में ट्रेनों की बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का प्रस्ताव दिया। रेलवे के अनुसार भारतीय रेलवे बोर्ड की हरी झंडी मिलने के बाद सबसे पहले उत्तर रेलवे के जगाधरी में रेलवे वर्कशॉप में खड़ी ट्रेनों की 28 बोगियों को आइसोलेशन वार्ड में बदला गया। इन सभी 28 कोचों को 10 दिनों के भीतर यानी 6 अप्रैल तक सभी चिकित्सा संससाधनों की सुविधाओं के साथ तैयार कर दिया जाएगा। रेलवे ने शनिवार को दावा किया कि जरुरत पड़ने पर रेलवे देशभर में अस्थााई रुप में ट्रेनों की बोगियों में ऐसे तीन लाख आइसोलेशन बेड बना सकता है। रेलवे के अनुसार आइसोलेशन वार्ड में बदले गये 28 कोच नॉन एसी है। शौचालय से लेकर वेंटीलेटर तक कैसे काम होगा? इसलिए इन कोचों में बनाए गये आइसोलेशन वार्डों का शनिवार को ट्रायल एवं ​निरीक्षण भी किया है।
ऐसे बदली जा रही कोचों की सूरत
रेलवे के अनुसार आइसोलेशन वार्ड में बदले मा रहे हर कोच की मिडिल बर्थ्स हटाने के साथ कोच के आखिरी पार्टिशन से दरवाजे को हटाया गया है। इन नॉन एसी कोच में ऊपर की तीसरी सीट यानी अपर बर्थ पर चढ़ने के लिए लगाई गई सीढ़ियों को भी हटा गया है। हर केबिन में दो बॉटल होल्डर भी लगाये जा रहे हैं ताकि मेडिकल इक्विपमेंट को रखा जा सके। इस पहल में कोचों के चार्जिंग स्लॉट्स को भी सही करके हर केबिन में प्लास्टिक पर्दे भी लगाये जा रहे हैं। इसमें परामर्श कक्ष, मेडिकल स्टोर, गहन चिकित्सा कक्ष और रसोईयान (पैट्रीकार) की सुविधा मिल सकती है। इसके अलावा आइसोलेशन वार्डों के ट्रायल और चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर सभी व्यवस्थाओं को लागू करने की तैयारी भी कर ली गई है।
रेलवे इंजीनियरिंग विभाग को दी जिम्मेदारी
कोरोना संकट के इस दौर में आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए रेलों की बोगियों को आइसोलेशन वार्डों में बदलने के लिए डिजाइन का काम रेलवे इंजीनियरिंग विभाग को सौंपा गया है। रेलवे के अनुसार ट्रायल के बाद अन्य बोगियों को इसी तरह बदला जाएगा। इसमें सभी जरूरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाएगा। शौचालय से लेकर वेंटीलेटर तक कैसे काम करेगा। व्यवस्था लागू होने के बाद सभी एक्सप्रेस ट्रेनों की एसी बोगियों में इसकी समुचित व्यवस्था कराई जा सकती। कई एक्सप्रेस ट्रेनों में बॉयो टॉयलेट की व्यवस्था है। रेलवे की उत्पादन इकाइयों का उपयोग जीवन रक्षक प्रणाली (वेंटीलेटर), बिस्तर, ट्रॉली आदि के निर्माण में किया जा सकता है।
29Mar-2020


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