सोमवार, 30 मार्च 2020

जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास व बेरोजगारी पर जल्द बनेगी नीति


केन्द्रीय कानूनों के क्रियान्वयन में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं
गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य के प्रतिनिधियों से मुलाकात में दिया भरोसा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर के आर्थिक विकास और बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए जल्द ही औद्योगिक नीति की घोषणा की जाएगी। वहीं राज्य में आरक्षण के मुद्दों पर एक आयोग का गठन करने की भी तैयारी की जा रही है।
यह बात रविवार को यहां नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर की अपनी पार्टी के एक 24 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से हुई मुलाकात के दौरान कही। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल द्वारा उठाए गये मुद्दों पर कहा कि राज्य में केंद्रीय कानूनों के कार्यान्वयन में किसी प्रकार का काई भेदभाव नहीं होगा तथा गुज्जरों, खानाबदोशों और अन्य समुदायों के साथ कोई अन्याय नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे अल्ताफ बुखरी को बताया कि राज्य में आरक्षण के मुद्दे पर जहां शीघ्र ही एक आयोग का गठन होगा, वहीं गृह मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही त्वरित आर्थिक विकास के लिए एक औद्योगिक नीति घोषित की जाएगी और पहले ही एक लैंड बैंक का सृजन कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में जम्मू एवं कश्मीर ने 13 हजार करोड़ रुपये आकर्षित किए और उम्मीद जताई कि 2024 तक क्षेत्र में तीन गुना और अधिक निवेश आएगा, यह निवेश राज्य में बेरोजगारी की समस्या का भी समाधान कर देगी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन्हें भरोसा दिया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार जम्मू एवं कश्मीर के सर्वांगीण विकास के लिए सभी कदम उठाएगी। गृह मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू एवं कश्मीर की एक बेहतर अधिवास नीति होगी और कहा कि व्यापक सलाह-मशविरों के बाद शीघ्र ही एक विवेकसम्मत आर्थिक विकास नीति का प्रारुप तैयार किया जाएगा।
शाह के समक्ष उठाए 40 मुद्दे
गृहमंत्रालय के अनुसार अमित शाह के साथ हुई बैठक में अपनी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने करीब 40 मुद्दे उठाए, जिसके बाद शाह ने भरोसा देते हुए कहा कि सरकार का क्षेत्र में जनसांख्यिकीय परिवर्तन लाने का कोई इरादा नहीं है और ऐसी किसी भी बातचीत का बिल्कुल कोई आधार नहीं है। शाह ने धारा 370 हटाने के बाद प्रतिबंधों को लेकर प्रतिनिधिमंडल की आशंकाओं को दूर करते हुए कहा कि रियायतों पर सभी निर्णय जमीनी वास्तविकताओं पर आधारित हैं और किसी दबाव के कारण नहीं है। उन्होंने निवारक नजरबंदी से लोगों को रिहा किए जाने, इंटरनेट की बहाली करने, कर्फ्यू में ढील देने जैसे कदमों का उल्लेख किया और कहा कि यहां तक कि राजनीतिक कैदी भी आने वाले समय में रिहा कर दिए जाएंगे, क्योंकि सरकार का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं होनी चाहिए, चाहे वह आम कश्मीरी हो या सुरक्षा कर्मचारी। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रशासन में त्रुटियों के मुद्दे का समाधान फास्ट ट्रैक आधार पर किया जाएगा। शाह ने कहा कि वह लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी एक वरिष्ठ नोडल अधिकारी की नियुक्ति करने को कहेंगे, जो सप्ताह में दो बार पीड़ित व्यक्तियों से मिलेगा। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को निचले स्तर पर भी फीडबैक गृह मंत्रालय को उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
16Mar-2020

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