रविवार, 8 मार्च 2020

स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) का दूसरा चरण शुरू


ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुविधाओं पर फोकस
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के पहले चरण में मिली बड़ी सफलता के बाद इस अभियान के दूसरे चरण की भी शुरूआत कर दी गई है। इस दूसरे चरण में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती से प्रभावी रूप से निपटने में ग्रामीण भारत की मदद में देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुविधाओं पर फोकस रहेगा।
यहां नई दिल्ली में बुधवार को आयोजित एक राष्ट्रीय प्रसार और परामर्श कार्यशाला में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) यानि एसबीएम (जी) के दूसरे चरण का शुभारंभ किया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए शेखावत ने कहा कि पहले चरण की बड़ी सफलता की सराहना की और कहा कि कैबिनेट द्वारा मिशन के दूसरे चरण की मंजूरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में एसबीएम (जी) की उपलब्धियों को मान्यता है। यह 2 अक्टूबर 2014 को आरंभ होने के बाद से पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वभौमिक कवरेज और सुरक्षित स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करने का सफल मिशन है। इसका दूसरे चरण का फोकस शौचालय पहुंच और उपयोग के मामले में पिछले पांच वर्षों में कार्यक्रम के तहत प्राप्त लाभ को बनाए रखने पर होगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी पीछे न रहे। दूसरे चरण यह सुनिश्चित करेगा कि देश के प्रत्येक ग्राम पंचायत में प्रभावी ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) स्थापित किया जाए।
जनांदोलन बनेगा अभियान
इस मौके पर जल शक्ति राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के सदस्यों के बीच बड़े पैमाने पर व्यवहार परिवर्तन करने और स्वच्छ भारत मिशन को सार्थक जनान्दोलन बनाने में अथक प्रयास किए गयेइस दूसरे चरण में खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) प्लस के ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) घटक की निगरानी चार प्रमुख क्षेत्रों (प्लास्टिक कचरा प्रबंधन, जैव-क्षरण योग्य ठोस प्रबंधन प्रबंधन (पशु अपशिष्ट प्रबंधन सहित), ग्रेयवॉटर प्रबंधन और फेकल कीचड़ प्रबंधन) के लिए उत्पादन-परिणाम संकेतकों के आधार पर की जाएगी। एसबीएम-जी का दूसरा चरण रोजगार उत्पन्न करता रहेगा और घरेलू शौचालयों और सामुदायिक शौचालयों के निर्माण के साथ-साथ एसएलडब्ल्यूएम के लिए बुनियादी ढांचे जैसे खाद गड्ढों, सोख गड्ढों, अपशिष्ट स्थिर तालाबों, सामग्री वसूली सुविधाओं आदि के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
मिशन मोड पर 2025 का लक्ष्य
केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता सचिव परमेश्वरन अय्यर ने एसबीएम (जी) दूसरे चरण के जनादेश पर विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि इसे 2020-21 से 2024-25 तक मिशन मोड में 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ लागू किया जाएगा।  यह वित्तपोषण का आदर्श मॉडल होगा। इसमें से 52,497 करोड़ रुपये पेयजल और स्वच्छता विभाग के बजट से आवंटित किए जाएंगे, जबकि शेष राशि 15वें वित्त आयोग, एमजीएनआरईजीएस और राजस्व सृजन मॉडल के तहत विशेष रूप से ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए जारी की जा रही निधियों से प्राप्त की जाएगी।
पहले चरण में बने दस करोड़ से ज्यादा शौचालय
मंत्रालय के अनुसार 19 फरवरी 2020 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एसबीएम के दूसरे चरण को मंजूरी दी थी, जो ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की चुनौती से प्रभावी रूप से निपटने में ग्रामीण भारत की मदद करेगा और देश में ग्रामीणों के स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार में मदद करेगा। 2014 में एसबीएम-जी के शुभारंभ ग्रामीण क्षेत्रों में 10 करोड़ से अधिक शौचालय बनाए गए हैं; 5.9 लाख से अधिक गांवों, 699 जिलों और 35 राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों ने स्वयं को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया है।
05Mar-2020

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