अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने किया सड़क सुरक्षा पर मंथन
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश
में नया सड़क सुरक्षा कानून लागू होने के बावजूद सड़क हादसों और उनमें हो रही
असामयिक मौंतों में कमी न आने से चिंतित केंद्र सरकार देश-विदेश के सड़क सुरक्षा
और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ लगातार चर्चा कर रही है। ऐसी ही चर्चाओं के बाद सड़क
दुर्घटनाओं के सभी मामलों पर तीव्र गति से निपटान की दिशा में सड़क सुरक्षा
न्यायालय स्थापित किया गया है, जो ऐसा देश का पहला न्यायालय होगा।
केंद्रीय
गृह मंत्रालय की पहल पर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के देश में
सड़क सुरक्षा के लिए कार्य करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्था सड़क यातायात शिक्षा संस्थान
और ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट के सहयोग
से यहां दिल्ली से सटे फरीदाबाद स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन में 'सड़क उपयोग में खतरे' विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में
देश विदेश के विशेषज्ञों ने मंथन किया। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के प्रवक्ता
ने बताया कि देश में सड़क सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा कें केंद्रीय सड़क
परिवहन मंत्रालय के एक प्रस्ताव के तहत फरीदाबाद-गुरुग्राम मार्ग पर सड़क सुरक्षा
न्यायलय का गठन किया गया, जिसका उद्घाटन वीडियो कांफ्रेंस के जरिए पुडुचेरी की
राज्यपाल किरण बेदी ने किया। इसी न्यायालय को स्थापित करने का मकसद है कि
दिल्ली-एनसीआर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं से संबन्धित मुकदमें इसी न्यायालय
में चलेंगे। सड़क सुरक्षा के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक एजुकेशन नामक संस्था में यातयात पुलिसकर्मियों,
वकीलों
और न्यायाधीशों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था हेतु स्थापित किये गये प्रशिक्षण हॉल को ही सड़क सुरक्षा न्यायालय का नाम दिया गया है यानि इस
प्रशिक्षण हॉल के डिजाइन को अदालत की तर्ज पर तैयार किया गया है। मसलन में सड़क दुर्घटना से संबंधित मुकदमों की जांच और अदालती कार्रवाई के लिए उचित व्यवस्था
इसी कोर्ट में होगी। इस कार्यशाला में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड और फिनलैंड के विभिन्न हिस्सों से लगभग 200 पुलिस अधिकारी, कानूनी अधिकारी और अभियोजक आदि संबन्धित तकनीकी
विशेषज्ञों ने मंथन किया। कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय सड़क परिवहन राज्यमंत्री
जनरल वीके सिंह द्वारा किया गया।
ऐसा होगा प्रशिक्षण
मंत्रालय के अनुसार इस तरह सड़क दुर्घटनाओं में
कमी लाने की दिशा में यह एक अहम पहल साबित हो सकती है, जहां किसी
भी मामले में पुलिसकर्मी,
वकील
और न्यायाधीश को प्रशिक्षण देकर सड़क दुर्घटना के मामलों में कमी लाई
जा सकेगी। मंत्रालय के अनुसार इस संस्था में स्थापित कोर्ट में प्रशिक्षण
के दौरान सड़क दुर्घटना के किसी पुराने मामले पर बहस में प्रशिक्षुओं
को सड़क दुर्घटना के मामलों में एफआइआर दर्ज करने से लेकर फैसला होने तक होने वाली गलतियां
बताई जाएंगी। उन गलतियों को दूर करने के तरीके समझाए जाएंगे। इस पहल में जिलों की पुलिस,
बार
एसोसिएशन और अदालतों के सहयोग से प्रशिक्षण की व्यवस्था करने का निर्णय लिया
गया है। उम्मदी जताई गई है कि सड़क सुरक्षा में न्यायपालिका की प्रमुख
भूमिका के रूप में की गई इस पहल से ट्रैफ़िक पुलिस, न्यायाधीशों और प्रॉस्पेक्टर्स के प्रशिक्षण
व्यवस्था
के जरिए बेहतर यातायात प्रवर्तन, यातायात उल्लंघन पर अंकुश लगाने और घातक सड़क
दुर्घटनाओं को कम करने में मदद मिलेगी।
08Mar-2020
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