रविवार, 8 मार्च 2020

केंद्र सरकार आज दे सकती है कर्मचारियों व पेंशनधारियों को सौगात


ईपीएफओ के न्यासी बोर्ड की बैठक में पीएफ ब्याज दरों व पेंशन पर होगा फैसला
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
देश के श्रमिक संगठनों की मांग पर न्यूनतम पेंशन की राशि को बढ़ाने की चली आ रही मांग पर केंद्र सरकार के प्रस्ताव पर कल बुधवार को ईपीएफओ के न्यासी बोर्ड की बैठक में मुहर लग सकती है, वहीं पीएफ की ब्याज दरों में भी बदलाव होने की संभावना जताई जा रही है, जिस पर बोर्ड अपनी निर्णायक मुहर लगा सकता है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि कल बुधवार पांच मार्च को ईपीएफओ के केंद्रीय न्यास बोर्ड की बैठक में ईपीएफओ की पीएफ ब्याज दरों की सिफारिश और ब्याज दरों की समीक्षा की जाएगी। बैठक में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए पीएफ की ब्याज दरें तय करके उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा, हालांकि सूत्रों का कहना है कि पीएफ ब्याज दरों में ईपीएफओ ने कटौती करने का प्रस्ताव किया है, लेकिन ये ब्याज दरें कम होंगी या बढ़ेगी इसका अंतिम निर्णय न्यासी बोर्ड का होगा। वहीं श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये से बढ़ाकर 2000 रुपये करने का प्रस्ताव दिया उस पर भी बोर्ड अंतिम निर्णय लेगा। हालांकि देश में श्रमिक संगठन सरकार के समक्ष लगातार इस न्यूनतम पेंशन की राशि को बढ़ाकर तीन हजार रुपये करने की मांग करते आ रहे हैं।  सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने श्रम मंत्रालय को पेंशन में बढ़ोतरी के लिए अलग-अलग प्रस्तावों में से किसी एक प्रस्ताव पर सहमति बनाने को कहा हैकर्मचारी भविष्य निधि के दायरे में आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन पर 12 फीसदी पीएफ में जाता है और इतना ही योगदान संबन्धित कंपनी या नियोक्ता करता है, लेकिन कंपनी के 12 फीसदी योगदान में से 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन स्कीम में जाता है। जबकि केंद्र सरकार भी इसमें मूल वेतन का 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है। इसलिए पेंशनधारियों को अभी तक एक हजार रुपये की पेंशन का भुगतान किया जा रहा है। जबकि श्रमिक संगठन इसे तीन गुणा तक बढ़ाने की मांग करती आ रही है, जिसमें श्रम मंत्रालय ने दो हजार रुपये की पेंशन का प्रस्ताव रखा है और इस प्रस्ताव पर कल बुधवार को ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की बैठक में विचार विमर्श होगा, जिसके बाद लिए जाने वाले निर्णय का ऐलान किया जाएगा।
घटाई जा सकती है ब्याज दरें
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2018-19 की ब्याज दरों को न्यास की मंजूरी के बाद ईपीएफओ ने बढ़ाते हुए 8.65 फिसदी किया था, लेकिन इन ब्याज दरों के कारण ईपीएफओ के राजस्व पर क्या असर पड़ा है। सूत्रों की माने तो पिछले साल बढ़ाई गई पीएफ पर ब्याज दरों को देना ईपीएफओ के लिए मुश्किल बताया जा रहा है और सीबीटी ईपीएफओ को मिले रिटर्न की समीक्षा के बाद इस पर निर्णय लेगा। इसलिए ऐसी संभावना जताई गई है कि पीएफ ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में सरकारी कर्मचारियों के लिए जनरल प्रॉविडेंट फंड पर नई ब्‍याज दरों का ऐलान किया है, जिसमें एक जनवरी से 31 मार्च तक जीपीएफ और दूसरे फंड पर 7.9 फीसदी ब्याज दिया जाएगा। सीबीटी की बैठक में पीएफ ब्याज दरों को लेकर होने वाले निर्णय का देश में छह करोड़ से भी ज्यादा कर्मचारियों पर प्रभाव पड़ना तय है।
04Mar-2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें