राज्यसभा
में सांसदों ने उठाए कई महत्वपूर्ण लोकमहत्व के मुद्दे
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
संसद
के बजट सत्र के दूसरे चरण में शुक्रवार को आठवें दिन पहली बार राज्यसभा में
शून्यकाल और प्रश्नकाल हुआ। शून्यकाल के दौरान सांसदों ने कई महत्वपूर्ण और
लोकमहत्व के मुद्दे उठाए, जिनमें देश के संसाधनों पर भारी पड़ रही तेजी से बढ़ती
आबादी पर नियंत्रण करने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग का
सत्तापक्ष और विपक्ष के करीब सभी सदस्यों ने समर्थन किया।
उच्च
सदन की शुक्रवार को शुरू हुई कार्यवाही के दौरान सभापति एम. वेंकैया नायडू ने
आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाने के बाद शून्यकाल का ऐलान किया, जिसमें भाजपा
के हरनाथ सिंह यादव ने देश में घटते संसाधनों और रोजगार के लिए देश में बढ़ते
जनसंख्या विस्फोट का मुद्दा उठाया। यादव ने तर्क दिया कि वर्ष 1951 में देश की आबादी 10.38 करोड़ लाख थी, जो वर्ष
2011 में बढ़कर 121 करोड़ के पार पहुंच गयी और वर्ष 2025 तक इसके बढ़कर 150 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि देश की बढ़ती आबादी को रोकने की
दिशा में ऐसे प्रावधान के साथ जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए,
जिसका आधार 'हम दो हमारे दो' हो। इस मुद्दे पर कानून के इस आधार का पालन
करने के लिए यह भी प्रावधान करने की वकालत की है कि दो से ज्यादा संतान वाले को हर
प्रकार की सरकारी सुविधाओं से वंचित किया जाए और ऐसे लोगों के लिए चुनाव लड़ने पर
भी रोक लगाई जा सके। उन्होंने कहा कि यदि जनसंख्या नियंत्रण कानून जल्द न आया तो
भविष्य में कल्याणकारी योजनाओं के लिए संसाधान भी लुप्त हो जाएंगे और बेरोजगारी की
समस्या भी विस्फोटक हो जाएगी।
जातिवार
हो जनगणना
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान ही सपा सांसद बिशंभर प्रसाद निषाद ने केंद्र
सरकार से वर्ष 2021 की जनगणना को जातिवार
कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि देश में ओबीसी वर्ग
की आबादी 54 फीसदी से भी ज्यादा है,
जिसके लिए 27 फीसदी आरक्षण
होने के बावजूद विभिन्न क्षेत्रों खासकर न्यायपालिका और विश्वविद्यालयों
की सेवाओं में उन्हें पर्याप्त स्थान नहीं दिया जा रहा है, जिसे लागू करने
की मांग करते हुए सरकार से यह भी मांग की है कि सरकार ओबीसी आरक्षण में क्रीमी
लेयर की सीमा को समाप्त करने का प्रावधान करे।
कानून के दायरे में हो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान द्रमुक सांसद पी. विल्सन ने चुनाव आयोग की स्वायत्ता को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि आयोग की स्वायत्ता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की खातिर
संसद को कानून बनाना चाहिए। विल्सन का कहना था कि अभी तक
सरकार की अनुशंसा पर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति होती आ रही
है, जिससे संवैधानिक संस्था होने के बावजूद आयोग की स्वायत्ता प्रभावित
होती देखी गई है। इसलिए सरकार को चाहिए की इसके लिए भी संसद में कानून
बनाया जाए।
ट्रेनों की बहाली का मामला
सपा के रवि प्रकाश वर्मा ने पूर्वी रेलवे के लखनऊ मंडल के
तहत रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने का मामला उठाया, जिसके कारण
मैलानी-पिलया-नानपारा-बहराइंच खंड पर ट्रेनों के बंद होने से क्षेत्र के लोगों के
सामने खड़ी हुई बड़ी परेशानी का जिक्र करते हुए वर्मा ने कहा कि यह इलाका जंगलों
से घिरा है जिसके कारण सड़क मार्ग से आवागमन में खतरा बना हुआ है, इसलिए इस खंड पर
चलने वाली ट्रेनों को जल्द बहाल कराया जाए।
शिक्षा व शिक्षक नियोजन पर चिंता
राजद सांसद मनोज कुमार झा ने राज्यसभा में देश की
प्राथमिकता में शिक्षा और शिक्षक नियोजन पर चिंता जताते हुए वर्ष 2014 से 2019 तक
लागू की गई एनआईओएस के मामले को उठाया। इस मामले में सरकार द्वारा पलटे गये फैसले
से नियोजित शिक्षक के मसले को लेकर मचे हाहाकार से आई परेशानी से निपटने के लिए इन
चिंताओं का दूर करने तथा विश्वविद्यालयों में खाली पदों को भरने के लिए
पहल करने की मांग भी की।
ट्रक चालकों पर बने नियम
शून्यकाल में ही माकपा के इलामारम करीम ने राष्ट्रीय
परमिट वाले ट्रकों के चालकों से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि कई मामलों में
ऐसे ट्रकों में एक ही चालक होते हैं जबकि ट्रक एक ही दिन में लंबी दूरी तय करते हैं।
उन्होंने ऐसे परमिट वाले ट्रकों में दो चालक के लिए नियम बनाने की मांग की।
सदन में इन मामलों को भी उठाया
राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बीजद सांसद सस्मित
पात्रा ने अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते का जिक्र करते पडोसी पाकिस्तान
से आतंकवादी गतिविधियों के बढ़ने की आशंका जताई। राजस्थान के भाजपा सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने पिछले दिनों राजस्थान और अन्य राज्यों में ओलावृष्टि तथा
बारिश के कारण बड़े पैमाने पर बर्बाद हुई फसलों का
मामला उठाया। भाजपा के शिव प्रताप शुक्ल ने भाषा संबन्धी मामले का उठाया तो बीजद के प्रशांत नंदा ने 14वें वित्त आयोग
की सिफारिशों के कारण विभिन्न योजनाओं पर हुए असर का मुद्दा उठाया।
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संसद ने दी प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक को मंजूरी
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी चर्चा के बाद हुआ पारित
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
पिछले सप्ताह लोकसभा में पारित ‘प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास विधेयक, को राज्यसभा में भी चर्चा के बाद धन विधेयक
होने के नाते लौटा दिया गया। संसद से इस विधेयक पर लगी मुहर के बाद करदाताओं के
विवादों को हल करने में मदद मिलेगी, जिसमें ब्याज और जुर्माने में छूट देने के
प्रावधान शामिल हैं।
राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के बाद विपक्ष की सहमति
के बाद भोजनावकाश के बजाए ‘प्रत्यक्ष कर विवाद
से विश्वास विधेयक पर चर्चा शुरू की गई। हालांकि धन विधेयक होने के कारण इससे चर्चा के बाद लौटा
दिया गया, जो लोकसभा से पिछले सप्ताह ही पारित किया जा चुका है। इस विधेयक पर हुई
चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि संसद से मंजूर इस
विधेयक के तहत करदाताओं को अपने कर विवादों के हल के लिए केवल विवादित
कर राशि का भुगतान करना होगा और उन्हें ब्याज एवं जुर्माने पर पूरी छूट मिलेगी, लेकिन भुगतान 31 मार्च तक करना होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
ने कहा कि योजना की समाप्ति की तिथि सरकार द्वारा अधिसूचित की जाएगी और इस संबंध में
कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने कहा कि यह योजना विवादों के निपटारे के लिए करदाताओं को
एक विकल्प मुहैया कराने के लिए है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि यदि छापा अभियान
के दौरान जब्त रकम पांच करोड़ रुपये तक है तो वैसी स्थिति में संसद द्वारा
विधेयक पारित होने के बाद इस योजना का लाभ उठाया जा सकेगा। यानि प्रस्तावित योजना के तहत विवादों के निपटारे के इच्छुक करदाताओं को इस वर्ष 31 मार्च
तक विवादित कर राशि का भुगतान करने पर ब्याज और जुर्माने की पूरी छूट का लाभ पा सकेंगे।
14Mar-2020
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