राज्यसभा में कांग्रेस की कुमारी शैलजा ने सरकार
को चेताया
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
हरियाणा
की कांग्रेस सांसद कुमारी सैजला द्वारा हरियाणा के रेवाड़ी जिले में जल संकट के
आसार बढ़ने के मामले पर केंद्र सरकार ने माना कि अधिक जल दोहन होने के कारण रेवाडी
जिले के कुछ गांवों में जल संकट बना हुआ है। हालांकि सरकार देशभर में ऐसे इलाकों
के भू-जल संसाधनों का आकलन कराकर समस्या से निपटने का प्रयास कर रही है।
राज्यसभा
में सोमवार को प्रश्नकाल के दौरान यह मामला हरियाणा की कांग्रेस सदस्य कुमारी
सैलजा के सवाल के जवाब में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने माना
कि जिस प्रकार से जल दोहन हो रहा है उससे हरियाणा के रेवाडी जिले में बड़ा जलसंकट
पैदा होने से इंकार नहीं किया जा सकता। शेखावत ने सदन
में सैलजा द्वारा उठाए गये मुद्दे पर जानकारी दी कि केंद्रीय भू-जल बोर्ड
और राज्य भू-जल विभाग ने संयुक्त रूप से भारत के डायनामिक भू-जल संसाधनों का आकलन करवाया
है। इस आकलन के अनुसार हरियाणा के रेवाड़ी जिले में भू-जल दोहन
का स्तर 91.28 फीसदी है, इसलिए सरकार द्वारा
यहां के खोल,
नहर
और रेवाड़ी खंड को अत्यधिक जल दोहित श्रेणी में रखा गया है। जबकि दाहिना
और जटुसना खंड को अर्ध-गंभीर रूप से दोहित में रखा गया है और इस जिले में
केवल बावल खंड सुरक्षित श्रेणी में है। शेखावत ने जानकारी दी
कि रेवाडी जिले के कुल वार्षिक भू-जल पुनर्भरण 42,700 हेक्टेयर मीटर (एचएएम)
और वार्षिक दोहित भू-जल संसाधन 38,430 हेक्टेयर मीटर
है। जबकि रेवाड़ी में सिचाई उद्देश्य हेतु 84 फीसदी, घरेलू उपयोग हेतु
15 फीसदी की तुलना में औद्योगिक
उद्देश्य हेतु भू-जल दोहन मात्र 1
फीसदी ही है। सैलजा ने कहा कि रेवाडी में पीने का पानी के लिए कभी साहिबी नाम की
नदी हुआ करती थी, लेकिन अब वह सूखी अवस्था में है। सैलजा ने सवाल किया कि एनजीटी
ने सरकार से रेवाडी के एक गांव को पेयजल प्रदान करने को कहा है? इस पर केंद्रीय
मंत्री शेखावत ने माना कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने रघुनाथ सिंह और अन्य बनाम भारत
संघ के मामले मे गत 13 मई 2019 को अपने आदेश के जरिए रेवाडी जिले के एक गांव में
पेयजल आपूर्ति मुहैया कराने के निर्देश दिये, जिसके अनुसार तीन जून 2019 को
केंद्रीय भूजल प्राधिकरण द्वारा कांसई नेरोलैक पेंट लि. बावल के ट्यूबवैल को सील
कर दिया था। वहीं हरियाणा के जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दी गई सूचना
के अनुसार रेवाडी जिले के चिरहरा गांव में ट्यबवेल के जरिए से जलापूर्ति उपलब्ध
कराई गई, जो जलालपुर जल संवितरक ईकाई के पास स्थापित है और 55 लीटर प्रति
व्यक्ति/प्रतिदिन जलापूर्ति उपलब्ध कराई जा रही है।
जल
उद्योगो के एनओसी रद्द
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सदन में जानकारी दी कि केंद्रीय भूजल बोर्ड के पास उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक रेवाड़ी में कुल 134 उद्योगों ने अनापत्ति प्रमाणपत्र के लिए आवेदन
किया है, जिनमें से पात्र उद्योगों
को 24 अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी
किए गए हैं और 43 उदयोगों के एनओसी
आवेदनों को रद्द कर दिया गया है। जबकि 67 के आवेदन विचाराधीन हैं। यह कार्रवाई जल संकट
को देखते हुए की गई है।
भू-जल दोहन रोकने का प्रयास
हरियाणा उन प्रदेशों में शामिल है, जहां पर
भू-जल का अत्यधिक दोहन होता है। यहां के ज्यादातर लोग कृषि पर
आधारित हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं
कृषि संगठन के मुताबिक भारत में 90 फीसदी पानी
का इस्तेमाल कृषि में होता है। इसीलिए राज्य की मनोहर लाल सरकार ने भू-जल स्तर गिरने से रोकने के लिए एक योजना तैयार की है, जिसके तहत धान को छोड़कर पानी की कम खपत वाली
फसलें उगाने वाले किसानों को सरकार नगद सहायता देगी।
कुरुक्षेत्र
के अमीन गांव का नाम बदला
गृहमंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने सोमवार को हरियाणा सरकार के अनुरोध के बाद कुरुक्षेत्र जिले के एक गांव का नाम बदलने
को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसी आधार पर संबंधित विभागों
से औपचारिक तौर पर मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने यह निर्णय लिया। गृह
मंत्रालय के अनुसार इस मंजूरी के बाद अब हरियाणा के कुरुक्षेत्र
जिले में स्थित अमीन
गांव
का नाम बदलकर अभिमन्युपुर
करने
के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया है।
17Mar-2020
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