सोमवार, 30 मार्च 2020

कश्मीरी पंडितों ने बजट में मांगी अपनी हिस्सेदारी!


जम्मू-कश्मीर के लिए अब तक का सबसे बड़ा बजट आवंटन: केंद्र
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के बाद केंद्र सरकार राज्य के आर्थिक विकास और लोगों की कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का प्रयास कर रही है, जिसमें अकेले जम्मू-कश्मीर के लिए वर्ष 2020-21 का अब तक का सबसे बजट आंवटन किया गया है। वहीं विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने सरकार से वापसी पुनर्वास की इच्छा जताते हुए सरकार के समक्ष बजट में अपनीह हिस्सेदारी शामिल करने की मांग की है।
केंद्र सरकार का दावा है कि जम्मू और कश्मीर के लिए 2020-21 का बजट पहली बार एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार करेगा। इस भारी भरकम बजट को केंद्र सरकार इस केंद्र शासित प्रदेश को विकास का मॉडल बनाने की प्रतिबद्धता का एक संकेत करार दे रही है, ताकि राज्य के आर्थिक विकास और राज्य के लोगों के लिए केंद्रीय योजनाओं का कार्यान्वयन की जा सके। दूसरी और जम्मू-कश्मीर से विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय के पुनर्वास संगठन के अध्यक्ष सतीश महलदार ने शनिवार को कहा है कि वे जम्मू-कश्मीर में अपनी वापसी के लिए पुनर्वास चाहते हैं, जिसके लिए संगठन ने गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करके इच्छा जताई है। वहीं महलदार ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका साथ के केंद्र सरकार के आदर्श वाक्य पर पूरा भरोसा जताया है, लेकिन संगठन मानता है कि जम्मू-कश्मीर के लिए आंवटित किये गये इस बजट में 30 साल से विस्थापन का दर्द झेल रहे कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास, राहत और कल्याण के साथ विश्वासघात नजर आ रहा है, क्योंकि आवंटित बजट की योजनाओं में कहीं भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए किसी योजना का जिक्र तक नहीं है। हालांकि कश्मीरी प्रवासियों के लिए वेतन, नकद सहायता, खाद्यान्न और नागरिक कार्रवाई कार्यक्रम के लिए 679 करोड़ रुपये का आवंटन करने का सरकार ने दावा किया है, लेकिन कश्मीरी पंडित के पुनर्वास के लिए कोई प्रावधान बजट आवंटन नहीं है।
कश्मीरी पंडितों की प्रमुख मांगे
जम्मू-कश्मीर के लिए आंवटित किये गये मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास या अन्य कसी भी योजना में कोई प्रस्ताव नहीं है। कश्मीरी पंडितों के संगठन का नेतृत्व करने वाले सतीश महलदार ने केंद्र सरकार से मांग की है कि राज्य के लिए हर योजना में कश्मीरी पंडितों को शामिल किया जाए। उन्होंने खेलों में 50 कश्मीरी पंडित छात्रों को शामिल करने, पेशेवर कॉलेजों में कश्मीरी प्रवासियों को 20 फीसदी सीटें कोटा आरक्षित देने, पीएम रोजगार पैकेज योजना के तहत कश्मीरी पंडितों के लिए आयु और योग्यता में छूट देने, घाटी में की दिशा में उद्योग स्थापित करने के लिए कश्मीर पंडित प्रवासियों को औद्योगिक भूमि उपलब्ध कराकर आर्थिक पुनर्वास, 600 नहरों का आवंटन कश्मीरी पंडित प्रवासियों के लिए करने की प्रमुख रूप से मांग की गई। महलदार ने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वेच्छा से 419 कश्मीरी पंडित परिवारों को वापसी और पुनर्वास प्रक्रिया के तहत कश्मीर में भूमि और घर देने का वादा किया गया था, लेकिन इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है। कश्मीरी पंडित अपने समुदाय के वरिष्ठ नागरिकों के लिए कश्मीर में 200 कमरों वाले वृद्धाश्रम उपलब्ध कराने पर भी बल दिया है।
बजट में किये गये ये प्रावधान
कश्मीरी  पंडितों के नेता सतीश महलदार ने बजट का जिक्र करते हुए कहा कि इस में चालू वर्ष के दौरान 1705 करोड़ रुपये डीबीटी के जरिए 45 लाख लोगों को वितरित किये जा रहे हैं,जिनमें 60 हजार नए पेंशनधारी कवर किये गये हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना में एक भी कश्मीरी पंडित लाभांवित होगा। जबकि 200 करोड़ रुपये राज्य की सांस्कृतिक विरासत और पांच हजार करोड़ 1,387 व तीन हजार से ज्यादा मंदिर और विरासत के विकास व जीर्णोद्धार के लिए तय किये गये हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बजट में मनरेगा के तहत 350 लाख दिन के रोजगार का प्रस्ताव रखा है, तो डेयरी, पोल्ट्री, भेड़ पालन और मत्स्य पालन क्षेत्रों में 45 हजार स्वरोजगार रोजगार पैदा करने के अलावा इनडोर और आउटडोर खेलों में 15 लाख से अधिक युवाओं की भागीदारी करने का प्रस्ताव दिया है। वहीं स्कूल और उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए 2,392 करोड़ रुपये के आवंटन किया। 
22Mar-2020

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